नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसे लेकर ये माना जा रहा था कि अब एडुटेक कंपनी बायजूस (Byju's) भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के बकाए राशि समझौते को चुकाने को लेकर मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि बीसीसीआई (BCCI) को बायजूस कुल 158 करोड़ देना है, जिसे लेकर उसका उधार काफी पुराना है।
एनसीएलएटी ने यह फैसला बीते 14 अगस्त को सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बीसीसीआई को जिस रकम का भुगतान किया गया है, वह एक अलग एस्क्रो अकाउंट में रखा जाएगा।
बायजूस के कर्जदाताओं (लेंडर्स) ने अमेरिकी इकाई ग्लास ट्रस्ट की अगुवाई में बीते सात अगस्त को एससी में अपील दायल की थी। इसमें नेशनल लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल के उस फैसले को चुनौती दी गई, जिसमें बायजूस और बीसीसीआई को भुगतान के सेटलमेंट की अनुमति दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय में बीसीसीआई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ अपील का विरोध करते हुए कहा कि रोक के कारण बीसीसीआई का बायजूस के साथ समझौता नहीं हो पाएगा।
केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, अगले आदेश तक इस पर रोक जारी रहेगी। इस बीच बीसीसीआई को सेटलमेंट के तौर पर जो 158 करोड़ रुपए मिलने थे, अब उसे अलग खाते में रखा जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बीसीसीआई (BCCI) की तरफ से पेश होते हुए एनसीएलएटी के ऑर्डर के खिलाफ दायर अपील का विरोध किया। उन्होंने कहा कि रोका का मतलब है कि हमारा सेटलमेंट जारी रहेगा। हम कोर्ट को इसके लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होनी है। बायजूस के अमेरिकी कर्जदाता ग्लास ट्रस्ट का कहना है कि बायजूस ने जो 158 करोड़ रुपए चुकाने पर सहमति जताई है, वह गलत स्त्रोतों से जुटाई गई है। बायजूस के भाई रिजू रवींद्रन ने पर्सनल फंस से बकाया रकम चुकान पर सहमति जताई थी।