बजट 2019: अमीरों पर सरचार्ज बढ़ाने पर सरकार में ही असहमति के सुर, निवेश को होगा खतरा!
By स्वाति सिंह | Published: July 16, 2019 10:08 AM2019-07-16T10:08:23+5:302019-07-16T10:08:23+5:30
बाजार को लेकर रिसर्च करने वाले ग्रुप 'न्यू वर्ल्ड वेल्थ' के साल 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत हाई नेटवर्थ इंडिविजूअल (एचएनआई) या कह लें कि ज्यादा कमाई वाले निवेशकों के बाहर जाने के खतरे वाले देशों की टॉप-5 सूची में दूसरे स्थान पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में अमीरों पर सरचार्ज बढ़ाने के फैसले पर केंद्र सरकार में ही एक धड़े का मानना है कि इससे नये निवेशकों को झटका लगेगा। साथ ही इससे भारत से अपर क्लास वाले व्यक्तियों के बाहर जाने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। यही नहीं, सरचार्ज बढ़ाने के कदम को पूरे बजट के असल लक्ष्य जैसे सुस्त निवेश में निजी भागीदारी से जान डालने की कोशिश के उलट माना जा रहा है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनडीए सरकार के एक शीर्ष नीति निर्माता ने कहा कि सरचार्ज से देश के निवेश पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ेगा। खासकर इससे 'यूनिकॉर्न' (वे टेक स्टार्टअप कम्पनियां जिनकी मार्केट वैल्यू 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा है ) हतोत्साहित होंगी। इसके साथ ही उच्च वर्ग वालों की संख्या पर देश में बढ़ने पर बुरा असर पड़ेगा।
अधिकारी के अनुसार, 'अगर सरकार दो करोड़ की आमदनी वालों पर सरचार्ज लगाएगी तो जाहिर है ऐसे में वह निवेश करने से बचेगा और देश से बाहर जाने का विचार करेगा। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इस मामले में कुछ और भी बदलाव करे।'
अधिकारी के अनुसार, 'सरकार को टैक्स रेट के मामले में नॉर्वे जैसे विकसित देशों को उदाहरण के तौर पर नहीं देखना चाहिए और इसकी तुलना खुद से नहीं करनी चाहिए। इसके बजाय हमें दूसरे देशों मसलन चीन, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को देखना चाहिए जो प्रतिस्पर्धात्मक टैक्स रेट रखते हैं। नॉर्वे का प्रति व्यक्ति आय ज्यादा है, उनकी सामाजिक सुरक्षा सुदृढ़ है और साथ ही वहां कई दूसरे फायदे भी मौजूद हैं जो भारत के निवेशकों को हासिल नहीं होते।'
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार देश में निवेश पर नजर बनाये रखने वाले एक अन्य अधिकारी ने माना कि निवेशकों को लाना चुनौती है और सरकार इस दिशा में पूरी मुस्तौदी से काम कर रही है कि यहां घरेलू सहित विदेशी निवेश का वातावरण और बेहतर हो। अधिकारी ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में जब दोनों वित्तीय और मानव संसाधन के परिवर्तनशील होने के मौके ज्यादा हैं, ऐसे में भारत से भी निवेशकों के बाहर जाने के खतरे निराधार नहीं हैं।
बाजार को लेकर रिसर्च करने वाले ग्रुप 'न्यू वर्ल्ड वेल्थ' के साल 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत हाई नेटवर्थ इंडिविजूअल (एचएनआई) या कह लें कि ज्यादा कमाई वाले निवेशकों के बाहर जाने के खतरे वाले देशों की टॉप-5 सूची में दूसरे स्थान पर है। 'न्यू वर्ल्ड वेल्थ' के पास दुनिया भर के 125 शहरों के बड़े निवेशकों का डाटाबेस मौजूद है। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू-2018 के अनुसार चीन इस मामले में पहले स्थान पर है जबकि भारतीय एचएनआई के बाहर जाने की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल 2015 में जहां 4000 करोड़पति देश से बाहर गये थे, वहीं 2017 में यह संख्या 7,000 तक जा पहुंची थी।