बजट 2019 में बड़ी घोषणाएं नहीं कर सकती मोदी सरकार? जानें आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर
By आदित्य द्विवेदी | Published: January 24, 2019 04:23 PM2019-01-24T16:23:45+5:302019-01-24T16:23:45+5:30
Difference between Interim budget and general budget: क्या अंतरिम बजट 2019 में मोदी सरकार कोई बड़ी राहत या नीतिगत फैसले की घोषणा नहीं कर सकती? बजट श्रंखला के तहत आज पढ़िए कि कैसे आम बजट से अलग होता है अंतरिम बजट।
1 फरवरी को मोदी सरकार के इस कार्यकाल का आखिरी बजट पेश किया जाएगा। इसी साल देश में आम चुनाव हो रहे हैं इसलिए ये अंतरिम बजट माना जा रहा है। तो क्या अंतरिम बजट 2019 में मोदी सरकार कोई बड़ी राहत या नीतिगत फैसले की घोषणा नहीं कर सकती? बजट श्रंखला के तहत आज पढ़िए कि कैसे आम बजट से अलग होता है अंतरिम बजट।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत सरकार को हर साल संसद में एक वार्षिक वित्तीय विवरण पेश करना होता है। इसमें सालाना आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है। इसे ही बजट कहते हैं। वैसे संविधान में बजट शब्द का उल्लेख नहीं है। लेकिन आसान भाषा में कहें तो किसी भी सरकार द्वारा आगामी वर्ष में अपनी आय एवं व्यय का संतुलन स्थापित करते हुए विस्तृत ब्यौरा बजट कहलाता है।
आम तौर पर एक वित्त वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च के बीच का होता है। बजट में सरकार की आर्थिक नीति की दिशा दिखाई देती है। इसमें मंत्रालयों को उनके खर्चों के पैसे आवंटन होता है। लेकिन भारत में प्रत्येक पांच साल में आम चुनाव होते हैं और सरकार बदलने की संभावना रहती है। ऐसे में आम चुनाव से पहले पेश किए जाने वाला बजट सिर्फ कुछ महीनों के खर्च के लिए होता है। इसे अंतरिम बजट कहते हैं।
आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर
- आम बजट में पूरे वित्त वर्ष के आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है जबकि अंतरिम बजट कुछ महीने देश चलाने के लिए खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होती है।
- आम बजट में सरकार नीतिगत फैसले लेती है और उसे वित्त वर्ष में पूरा करने की कोशिश करती है। अंतरिम बजट में कोई ऐसा नीतिगत फैसला नहीं लिया जाता जिसके लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़े। अंतरिम बजट के फैसलों को आगामी सरकार पलट सकती है।
- आम बजट में टैक्स की दरों में आमूल-चूल परिवर्तन किए जा सकते हैं लेकिन अंतरिम बजट में आम तौर पर टैक्स में नीतिगत फैसले नहीं लिए जाते।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में आम बजट का प्रावधान है जबकि अंतरिम बजट का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 116 में है।
तो क्या इस बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं कर सकती मोदी सरकार?
आम तौर पर चुनाव से पूर्व बजट सत्र 2-3 दिनों का ही होता है जिसमें औपचारिकताएं मात्र पूरी की जाती हैं। लेकिन इस बार सरकार ने 14 दिन का बजट सत्र बुलाकर संकेत दे दिए हैं कि इसबार सिर्फ 'वोट ऑन अकाउंट' बजट पेश नहीं किया जाएगा। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार बजट में टैक्स राहत समेत कई बड़ी घोषणाएँ कर सकती है।