बैंकों का NPA: बट्टा खाते में डाले गए 1.44 लाख करोड़ रुपए, मोदी राज में डूबी रिकॉर्ड रकम

By आदित्य द्विवेदी | Published: June 15, 2018 04:20 PM2018-06-15T16:20:03+5:302018-06-15T16:20:03+5:30

साल-दर-साल बैंकों का नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ता जा रहा है। रिकवरी ना होने की स्थिति में कर्ज राइट ऑफ कर दिया जाता है।

Banks write off record bad loans worth over Rs 1.44 lakh crore financial year 2017-18 | बैंकों का NPA: बट्टा खाते में डाले गए 1.44 लाख करोड़ रुपए, मोदी राज में डूबी रिकॉर्ड रकम

बैंकों का NPA: बट्टा खाते में डाले गए 1.44 लाख करोड़ रुपए, मोदी राज में डूबी रिकॉर्ड रकम

नई दिल्ली, 15 जूनः लगातार बढ़ रहे घाटे और एनपीए के बोझ तले बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1 लाख 44 हजार करोड़ रुपये के रिकॉर्ड कर्ज बट्टा खाते (राइट ऑफ) में डाल दिए हैं। यह राशि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 61.8 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 2016-17 भी बैंकिंग सेक्टर के लिए बेहद खराब रहा था। इंडियन एक्सप्रेस ने रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के हवाले से लिखा है कि पिछले 10 सालों में सरकारी और सहकारी बैंकों ने करीब 4 लाख 80 हजार करोड़ का कर्ज राइट ऑफ किया है। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने करीब 4 लाख करोड़ का कर्ज राइट ऑफ किए।

सामान्यतः बैंक ऐसे कर्ज को बट्टा खाते में डालता है जिसकी रिकवरी में मुश्किल होती है। बट्टा खाते में डालने के बाद इसे बैंक के हिसाब-किताब से बाहर कर दिया जाता है। इससे बैंक को टैक्स लाभ मिलता है। हालांकि राइट ऑफ किए जाने के बाद भी बैंक कर्ज की रिकवरी करने की कोशिश करते हैं।

आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में सबसे ज्यादा कर्ज स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने राइट ऑफ किया है। यह राशि 40, 281 करोड़ रुपये है। वहीं पंजाब नेशनल बैंक ने 7,407 करोड़ और इंडियन ओवरसीज बैंक ने 10,307 करोड़ रुपये राइट ऑफ किए हैं।

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पिछले 10 सालों में एसबीआई ने अकेले ही 1,23,137 करोड़ के लोन राइट ऑफ कर दिए। वहीं बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने 28,068 करोड़ रुपये के कर्ज राइट ऑफ किए। केनरा बैंक ने 25,505 करोड़ और पीएनबी ने 25,811 करोड़ के कर्ज राइट ऑफ किए। देखिए चार्टः-

बैंकराइट ऑफ कर्ज (2017-18) (करोड़ रु.)10 वर्ष में राइट ऑफ कर्ज (करोड़ रु.)
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया40,2811,23,137
बैंक ऑफ इंडिया9,09328,068
केनरा बैंक8,31025,505
पंजाब नेशनल बैंक7,40725,811
आईसीआईसीई9,11024,493
एक्सिस बैंक11,68823,077
इंडियन ओवरसीज बैंक10,30723,117
आईडीबीआई6,63219,546
इलाहाबाद बैंक3,64816,313
बैंक ऑफ बड़ोदा5,20016,920

बैंकर्स का मानना है कि राइट ऑफ किए जा चुके कर्ज की रिकवरी बहुमत मुश्किल होती है। एकबार लोन राइट ऑफ होने के बाद उसे बैंक के एनपीए से बाहर कर दिया जाता है। अगर रिकवरी हो जाती है तो इसे बैंक के मुनाफे में शामिल कर लिया जाता है। वित्त वर्ष 2018 में बैंकों का एनपीए बढ़कर 10.3 लाख करोड़ पहुंच चुका है। पिछले साल 8 लाख करोड़ की तुलना में यह 11.2 प्रतिशत अधिक है।

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Web Title: Banks write off record bad loans worth over Rs 1.44 lakh crore financial year 2017-18

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