चूक के बाद बैंकों को आईएल एंड एफएस खातों को फंसे कर्ज में वर्गीकरण करना जरूरी: आरबीआई
By भाषा | Published: April 17, 2019 05:52 AM2019-04-17T05:52:11+5:302019-04-17T05:52:11+5:30
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से कहा कि बैंकों को कर्ज में डूबे आईएल एंड एफएस तथा उसकी कंपनियों के खातों को उसके मूल परिपत्र तथा उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में फंसे कर्ज के रूप में वर्गीकरण करना होगा।
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय कंपनी अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) से कहा कि बैंकों को कर्ज में डूबे आईएल एंड एफएस तथा उसकी कंपनियों के खातों को उसके मूल परिपत्र तथा उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में फंसे कर्ज के रूप में वर्गीकरण करना होगा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह बैंकों की बाध्यता है कि 90 दिन की चूक के बाद वे इसे फंसे कर्ज (एनपीए) में चिन्हित करे। उन्हें इससे राहत नहीं मिल सकती।
शीर्ष बैंक के अनुसार यह प्रक्रिया है जिसे प्रत्येक बैंक को अनुकरण करना होगा। आरबीआई ने अपीलीय न्यायाधिकरण के पास आवेदन देकर उसके आदेश में संशोधन का आग्रह किया है। आदेश में बैंकों को आईएल एंड एफएस तथा उसकी समूह की कंपनियों के खातों को फंसे कर्ज के रूप में घोषित करने से मना किया गया है। रिजर्व बैंक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल जैन ने एनसीएलएटी के समक्ष कहा कि निष्पक्ष लेखा के लिये बैंकों के बही-खातों का सही रूप से दिखना जरूरी है क्योंकि यह यह एक शुरूआती चेतावनी संकेत होता है।
जैन ने कहा, ‘‘इसका मकसद पारदर्शी तथा निष्पक्ष एकाउंटिंग प्रणाली सुनिश्चित करना है ताकि संस्थानों की सेहत प्रभावित नहीं हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आईएल एंड एफएस में समाधान के लिये जो भी प्रक्रिया है..., हम केवल इतना कह रहे हैं कि बैंकों को मूल परिपत्र तथा उच्चतम न्यायालय के फैसले के संदर्भ में बैंकों को फंसे कर्ज की स्थिति रिकार्ड में लेनी होगी।’’ न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह आरबीआई के पक्ष को अगली सुनवाई में भी सुनेंगे।
अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने 25 फरवरी के आदेश में कहा था, ‘‘हम यह स्पष्ट करते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लि. तथा उसकी इकाइयों द्वारा बकाये का भुगतान नहीं करने करने के कारण कोई भी वित्तीय संस्थान इनके खातों को एनपीए घोषित नहीं करेंगे।’’