बाबा रामदेव की मुश्किलें फिर बढ़ीं, अब पतंजलि के खिलाफ दिल्ली HC में दायर हुई याचिका
By आकाश चौरसिया | Updated: August 31, 2024 16:40 IST2024-08-31T16:30:56+5:302024-08-31T16:40:11+5:30
याचिकाकर्ता का दावा है कि वह दिव्य मंजन का इस्तेमाल लंबे समय से कर रहा है क्योंकि इसे शाकाहारी और पौधे आधारित आयुर्वेदिक उत्पाद के रूप में प्रचारित किया जाता है। हालांकि, शोध से पता चला है कि इस उत्पाद में मछली के अर्क से प्राप्त होता है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
नई दिल्ली: योग गुरू बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद अब दिल्ली हाई कोर्ट में उनके खिलाफ एक याचिका दायर हुई है। इसमें पतंजलि आर्युवेद को सीधे तौर पर निशाना बनाया गया है, जिक्र किया गया है कि ब्रांड हर्बल टूथ पाउडर 'दिव्या मंजन' में शाकाहरी होने की बात कही जाती है। जबकि दायर की गई याचिका में बात सामने आ रही है कि इसमें मांसाहारी सामग्री मिलाया हुआ है।
याचिकाकर्ता का दावा है कि वह दिव्य मंजन का इस्तेमाल लंबे समय से कर रहा है क्योंकि इसे शाकाहारी और पौधे आधारित आयुर्वेदिक उत्पाद के रूप में प्रचारित किया जाता है। हालांकि, हाल में हुए शोध से पता चला है कि इस उत्पाद में समुद्रफेन (सीपिया ऑफिसिनेलिस) है, जो मछली के अर्क से प्राप्त होता है।
अधिवक्ता यतिन शर्मा द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि पतंजलि के दिव्य मंजन की पैकेजिंग पर हरे रंग का बिंदु है, जो शाकाहारी उत्पादों का प्रतीक है, जबकि सामग्री की सूची में स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि टूथ पाउडर में सीपिया ऑफिसिनेलिस है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह गलत ब्रांडिंग है और यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम का उल्लंघन है। शर्मा ने कहा कि यह खोज उनके और उनके परिवार के लिए विशेष रूप से परेशान करने वाली है, क्योंकि उनकी धार्मिक मान्यताएं मांसाहारी सामग्री के सेवन पर रोक लगाती हैं।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि रामदेव ने खुद एक यूट्यूब वीडियो में स्वीकार किया है कि समुद्रफेन एक पशु-आधारित उत्पाद है जिसका उपयोग ‘दिव्य मंजन’ में किया जाता है। दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और आयुष मंत्रालय सहित विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ शिकायत दर्ज करने के बावजूद, याचिकाकर्ता ने कहा कि अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।