आरबीआई के रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती के बावजूद औसत ब्याज दर बढ़ी
By भाषा | Published: November 18, 2019 10:08 PM2019-11-18T22:08:36+5:302019-11-19T05:50:56+5:30
आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है। पहली तिमाही से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि दर में कमी या गिरावट को देखते हुए वृद्धि दर में आगे और कमी की आशंका है।
रिजर्व बैंक कर्ज के सस्ता करने के बावजूद अगर महंगाई दर तथा आर्थिक वृद्धि में गिरावट को ध्यान में रखा जाए तो कर्जदाताओं के लिये ब्याज दर बढ़ रही है। विदेशी ब्रोकरेज कंपनी ने सोमवार को यह कहा। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने एक रिपोर्ट में कहा कि भारांकित औसत ब्याज दर अप्रैल से 0.08 प्रतिशत बढ़ी है।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में 5 प्रतिशत रही जो छह साल का न्यूनतम स्तर है। पहली तिमाही से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की वृद्धि दर में कमी या गिरावट को देखते हुए वृद्धि दर में आगे और कमी की आशंका है। मुद्रास्फीति में नरमी के बाद आरबीआई ने अप्रैल के बाद से नीतिगत दर में कुल मिला कर 1.10 प्रतिशत की कटौती कर के इसे 5.40 प्रतिशत के स्तर पर ला दिया है।
यह इसका नौ साल का न्यूनतम स्तर है। आरबीआई ने ग्राहकों को पूरा लाभ नहीं मिलने को लेकर बैंकों को जिम्मेदार ठहराया है और लगातार ब्याज दर में कटौती के लिये कह रहा है ताकि ऋण लेने में तेजी आए और वृद्धि को गति मिले। रिपोर्ट के अनुसार वृद्धि दर अभी भी कम हो रही है क्योंकि वास्तविक ब्याज दर अभी भी बढ़ रही है। वास्तविक ब्याज दर मुद्रास्फीति के समायोजन के बाद प्राप्त होती है।