पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का दावा, 2011-12 और 2016-17 के बीच 7 नहीं 4.5% बढ़ा देश का GDP
By स्वाति सिंह | Published: June 11, 2019 12:38 PM2019-06-11T12:38:13+5:302019-06-11T12:38:38+5:30
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च पेपर में दावा किया है कि जीडीपी के लेखा-जोखा मने काफी फर्क है।
देश में जीडीपी के आकड़ों को लेकर चल रही बहस के बीच पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने दावा किया कि 2011-12 और 2016-17 के बीच देश के सकल घरेलू उत्पाद दर (जीडीपी) को लगभग 2.5 प्रतिशत अंक बढ़ाकर बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान जीडीपी में 7 नहीं बल्कि केवल 4.5 फीसदी की बढ़त हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक सुब्रमण्यन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च पेपर में यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि जीडीपी के लेखा-जोखा में काफी फर्क है। इसमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी अंतर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि के आंकड़ों को लेकर हुई है।
2011 के पहले राष्ट्रीय खाते में जिस मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू को जोड़ा जाता था, उसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), मैन्युफैक्चरिंग निर्यात जैसे विनिर्माण घटकों से सख्ती से जोड़कर देखा जाता था। लेकिन इसके बाद ऐसा नहीं हो रहा है।
सुब्रमण्यन का विश्लेषण 17 प्रमुख आर्थिक संकेत के आधार पर है, जिनका जीडीपी ग्रोथ से सीधा संबंध होता है। हालांकि, इसमें विवादित एमसीए-21 डेटा बेस को नहीं शामिल किया गया है, जो सीएसओ के अनुमान का अभिन्न हिस्सा हैं। गौरतलब है कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी जीडीपी आंकड़े को लेकर संदेह जता चुके हैं।