दूरसंचार सेवा दरें बढ़ाने में पक्ष में एयरटेल, 5जी स्पेक्ट्रम की ऊंची लागत पर जताई चिंता
By भाषा | Published: July 31, 2020 05:02 AM2020-07-31T05:02:27+5:302020-07-31T05:02:27+5:30
भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में अब सिर्फ जियो, एयरटेल और वोडाफोन कंपनी ही बची हुई है.
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल ने गुरुवार को कहा कि दूरसंचार सेवा दरों (टैरिफ) में बढ़ोतरी तय है और बस सवाल यह है कि ऐसा कब होता है। कंपनी ने कहा कि टिकाऊ कारोबार के लिये प्रति उपभोक्ता औसत मासिक राजस्व (एआरपीयू) को अभी बढ़ाकर 200 रुपये और बाद में 300 रुपये किया जाना आवश्यक है।
एयरटेल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) गोपाल विट्टल ने पहली तिमाही के परिणाम के बाद शेयर धारकों को संबोधित करते हुए कहा कि 5जी स्पेक्ट्रम के लिये सांकेतिक आरक्षित मूल्य काफी अधिक है, अवहनीय है और उन स्तरों पर कारोबार को समर्थन करने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि 5जी पारिस्थितिकी अभी शुरुआती स्तर पर है और इसकी शुरुआत में अभी कई साल का विलंब है।
विट्टल ने कहा, ‘‘5जी पर मौलिक मुद्दा यह है कि 100 मेगाहर्ट्ज के लिए 50 हजार करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम की लागत किसी भी तरह के व्यवसाय मॉडल के काम करने से परे है। स्पेक्ट्रम की लागत में कमी लाने की जरूरत है और पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने की आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा, ‘‘डिवाइस की कीमतें अभी भी 5G के लिये अधिक हैं और समय के हिसाब से ये नीचे आती रहेंगी, लेकिन अभी, हम इसे जल्दी गिरते नहीं देखते हैं।’’ कंपनी ने कहा कि वह लैब में 5जी समाधान का निर्माण करेगी और साझेदारों के साथ मिलकर अभिनव समाधान लाने के लिये काम करेगी। चीनी उपकरण और विक्रेताओं के मुद्दे पर विट्टल ने कहा कि एयरटेल कई कंपनियों के साथ काम करती है, जिसमें चीनी और यूरोपीय साझेदार शामिल हैं। कंपनी ऐसा करते समय ‘सही वाणिज्यिक मॉडल और ‘लागत संरचनाएं’ आदि को देखती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई सरकारी अधिसूचना सामने आती है, तो हम देश के कानून का पालन करेंगे।" उल्लेखनीय है कि भारती एयरटेल ने बुधवार को जून तिमाही का परिणाम जारी किया। इस तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 15,933 करोड़ रुपये हो गया। यह लगातार पांचवीं तिमाही है, जब कंपनी घाटे में रही है।