चालू वित्त वर्ष में 2.97 लाख करोड़ और खाद्य सब्सिडी जारी करेगी सरकार
By भाषा | Published: February 19, 2021 08:53 PM2021-02-19T20:53:34+5:302021-02-19T20:53:34+5:30
नयी दिल्ली, 19 फरवरी खाद्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के शेष दो महीनों में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी जारी करेगी। इसका कारण वह सब्सिडी मद में पिछले सभी बकायों को खत्म करना चाहती है।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को अनिवार्य रूप से किसानों को फसल की कीमत (एमएसपी) का भुगतान करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करना होगा।
मंत्रालय ने कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को हस्तांतरित करने और देरी से बचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का उपयोग करना होगा। उसने कहा कि नई प्रणाली से मंडियों और आढ़तियों (मध्यस्थों) के माध्यम से फसल खरीद के मौजूदा तौर तरीके समाप्त नहीं होंगे।
सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत सब्सिडी पर खाद्यान्न उपलब्ध कराती है। खाद्य कानून के तहत, केंद्र प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो गेहूं और चावल 2-3 करोड़ रुपये किलो की दर से 80 करोड़ से अधिक लोगों को उपलब्ध कराता है।
बयान में कहा गया है, ‘‘सरकार ने इस साल 1,25,217.62 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि जारी की है। इसके अलावा 2,97,196.52 करोड़ रुपये इस वित्त वर्ष के दौरान और जारी किए जाएंगे, जिसमें से पंजाब के लिए खाद्य सब्सिडी 1,16,653.96 करोड़ रुपये पीएफएमएस में दर्शाया गया है।’’
पीएफएमएस का संदर्भ सार्वजनिक वित्तीय मॉड्यूल प्रणाली से है।
लगभग 24,841.56 करोड़ रुपये हरियाणा के लिये है।
हाल में पेश बजट के अनुसार, वित्तवर्ष 2020-21 के संशोधित अनुमान (आरई) में खाद्य सब्सिडी भारी वृद्धि के साथ 4,22,618.14 करोड़ रुपये हो गई जो बजट अनुमान में 1,15,569.68 करोड़ रुपये थी। केंद्र ने कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव से गरीब प्रवासी की मदद के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न मुफ्त वितरित किये।
अगले वित्त वर्ष के लिए, खाद्य सब्सिडी 2,42,836 करोड़ रुपये अनुमानित है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत सरकार का पंजाब और हरियाणा में आढ़तियों को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है और मंडी प्रणाली से आढ़तियों को खत्म करने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है।’’
सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से भुगतान यह सुनिश्चित करता है कि किसानों, आढ़तियों और मंडियों सहित सभी प्रतिभागियों को भुगतान पारदर्शी तरीके से सुनिश्चित होगा।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह मौजूदा एपीएमसी प्रणाली का खात्मा नहीं है। यह केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और गड़बडी को खत्म करता है।’’
मंत्रालय ने कहा कि इलेक्ट्रानिक पद्धति से एमएसपी भुगतान का तरीका पहले से भारत भर में लागू है, केंद्र कम से कम वर्ष 2015-16 से पंजाब और हरियाणा में इसे सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है।
तीन नए कृषि कानून पिछले साल सितंबर में लागू किए गए थे। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान (इन कानूनों के खिलाफ) तीन महीने से दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग है कि इन तीन कृषि कानूनों को रद्द किया जाये और एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जाये।
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