Why Cheat India Movie Review : बोरिंग और बासी कहानी में जान डालती है इमरान हाश्मी की परफॉरमेंस
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: January 18, 2019 02:52 PM2019-01-18T14:52:38+5:302019-01-18T14:52:38+5:30
Emraan Hashmi की 'Why Cheat India' इंडियन एजुकेशन सिस्टम और कोचिंग को लेकर होने वाले घोटालों को लेकर बनाई गई है. इस से पहले भी इंडियन एजुकेशन सिस्टम को लेकर कई फिल्में बनी हैं।
फिल्म - Why Cheat India
स्टार कास्ट: इमरान हाशमी , श्रेया धनंवतरी
निर्देशक: सौमिक सेन
निर्माता: भूषण कुमार, अतुल कसबेकर
अवधि: 2 घंटा 08 मिनट
रेटिंग - 2/5 स्टार्स
इमरान हाशमी की 'Why Cheat India' इंडियन एजुकेशन सिस्टम और कोचिंग को लेकर होने वाले घोटालों को लेकर बनाई गई है। इस से पहले भी इंडियन एजुकेशन सिस्टम को लेकर कई फिल्में बनी हैं। इमरान हाशमी की इस फिल्म में इंडियन एजुकेशन सिस्टम से जुड़ी परेशानियों और परीक्षा के दौरान होने वाले वाली चीटिंग को दर्शाया गया है। कैसे इस पेपर में होने वाली को चीटिंग माफिया अंजाम देते हैं।
फिल्म में चीटिंग माफिया का पर्दाफाश किया गया है और ये दिखाया गया है कि किस प्रकार ये इंडियन एजुकेशन सिस्टम को खराब करता है। फिल्म की कहानी राकेश सिंह उर्फ रॉकी की है जो अपने पारिवारिक समस्या के चलते चीटिंग माफिया बन जाता है। राकेश सिंह उर्फ रॉकी (इमरान हाशमी ) के पास हर इम्तिहान को पास करने का जुगाड़ है और नए नए चीटिंग के तरीके हैं अपने इस चीटिंग के तरीको से वो यंग स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स को बहका देता है। राकेश सिंह एजुकेशन सिस्टम की कमियों का पूरा फायदा उठाता है।
इंटेलीजेंट और गरीब स्टूडेंट्स के ज़रिये वो एक्जाम में पास करवाता है और उनके माँ बाप से मोटे पैसे वसूलता है और इस तरह से राकेश सिंह चीटिंग माफिया का एक पूरा नेटवर्क और रैकेट देश के हर हिस्से में चलाता है। लेकिन इसका अंजाम क्या होता है? क्या राकेश सिंह पकड़ा जायेगा ? ये देखने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
फिल्म Why Cheat India की कहानी अच्छी तो है लेकिन कमज़ोर भी। एक अच्छे मेसेज पर है पर वो मेसेज हम तक ढँक से कन्वे नहीं हो पाता। डायरेक्टर सौमिक सेन एक स्ट्रोंग प्लाट वाली कहानी को सही से भुन नहीं पाते। कांसेप्ट अच्छा था लेकिन राइटिंग और स्क्रीन प्ले ढीला ढाला। कई कई जगह आपको फिल्म बड़ी ही कंफ्यूजिंग और बोरिंग लगती है।आपका कनेक्शन बीच बीच में टूटता है और फिल्म लम्बी लगने लगती है।
कुछ सीन तो ऐसे लगते है जैसे ज़बरदस्ती ठूसे गए हो. इस लिहाज़ से सौमिक फ़ैल होते नज़र आते है और दर्शक ठगा महसूस करेंगे। इमरान हाश्मी की एक्टिंग की बात करू तो उनका किरदार जनता और वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई के उनके किरदार से मिलता जुला लगता है। इस फिल्म में वो सीरियल किसर से सीरियल चीटर के अवतार में नज़र आए हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी उनके करैक्टर को दमदार बनाते है।
कुल मिलकर उनकी परफॉरमेंस ठीक है। श्रेया धनंवतरी इस फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही है। हालांकि रोल कम है लेकिन वो कहानी में ट्विस्ट लाती है। यहां उनका किरदार भी फिल्म जन्नत की हीरोइन सोनल चौहान से इंस्पायर्ड लगता है। फिल्म में सत्येंद्र दुबे उर्फ सत्तू के किरदार में स्निग्धदीप चैटर्जी की एक्टिंग भी शानदार है। फिल्म के गाने भी ठीक ठाक है। सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग के लिहाज़ से भी फिल्म कमज़ोर है।ओवरआल फिल्म बस इमरान हाश्मी की एक्टिंग की वजह से ही देख सकते है क्यूंकि कहानी और कंटेंट के लिहाज़ से फिल्म बोरिंग और बासी है।