गामक घर: बिहार के गांवों से शहर पहुंचे लोगों के छूट चुके घरों की कहानी कर देगी भावुक
By भाषा | Published: July 7, 2020 04:59 PM2020-07-07T16:59:43+5:302020-07-07T16:59:43+5:30
बिहार के गांवों से पलायन करके शहरों की ओर जाते लोग और पीछे खाली घरों की कहानी हिंदी सिनेमा का विषय नहीं रहा है लेकिन बिहार के ही 23 साल के फिल्म निर्माता अचल मिश्रा ने ‘गामक घर’ (Gamak Ghar) में इस पृष्ठभूमि का इस्तेमाल मुख्य किरदार के रूप में किया है।
मैथिली भाषा की इस फिल्म में मिथिला और वहां रहने वाले लोगों को जिस तरह पेश किया गया है उस तरह से फिल्मी दुनिया में अमूमन बिहार को नहीं दिखाया जाता है मिश्रा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ढेर सारे लोगों ने फिल्म से जुड़ाव महसूस किया क्योंकि फिल्म की चीजें उन्हें परिचित लगी। बिहार को अलग तरीके से पर्दे पर दिखाया जाता है। मिथिला को संस्कृति को ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं मिला, संभवत: बाहर इसे पेटिंग की वजह से जाना गया।’’
मुंबई के फिल्मनिर्माता ने कहा, ‘‘ भोज, लोक गीत, मैथिली भाषा और अन्य छोटी-छोटी बातें जो मुझे लगता है कि अब लापता हो रही हैं या बदल रही हैं। मैं उन्हें किसी भी रूप में संरक्षित करना चाहता था।’’ यह फिल्म दरभंगा के उनके पैतृक गांव माधोपुर में बनी है। इसमें एक घर की कहानी है जिसे 1950 के दशक में उनके दादा ने बनाया था। यहीं उन्होंने बचपन के कुछ यादगार पल भी बिताए हैं और किसी खास त्योहार पर यहां उनका पूरा परिवार अब भी जमा होता है।
इस फिल्म में 1998, 2010 और 2018 के तीन काल को दिखाया गया है और इसमें शहर में रहने वाले लोगों के छूट चुके गांव और घर की कहानी को पटकथा में शामिल किया गया है। इसमें घर और पलायन को केंद्र में रखा गया है। मिश्रा ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि निजी स्तर की इस कहानी वाली फिल्म को मुंबई फिल्म फेस्टिवल, 2019 में दिखाए जाने के बाद से लोग इसे पसंद कर रहे हैं। इस फिल्म को फिल्म स्ट्रीमिंग साइट 'मुबी' पर जगह मिली है और यहां से लोग इस फिल्म को देख सकते हैं।