Birthday Special: 'कर्ज' से 'ताल' तक, सुभाष घई निर्देशन और संगीत जगत के हैं 'युवराज'
By मेघना वर्मा | Published: January 24, 2019 08:00 AM2019-01-24T08:00:31+5:302019-01-24T08:00:31+5:30
Subhash Ghai Birthday Today: 60 से 70 के दशक में पुर्नजन्म की कहानी बहुत आम सी बात थी मगर कर्ज फिल्म के गानों ने इस फिल्म में जान डाल दी। फिल्म में मॉन्टी के किरदार की कहानी सच दिखाने में एक्टिंग और स्टोरी के साथ म्युजिक ने कमाल का जादू किया।
फिल्म इंडस्ट्री के शो मैन कहे जाने वाले सुभाष घई फिल्मों के साथ 'ताल' यानी म्युजिक की दुनिया के भी 'युवराज' कहे जा सकते हैं। सुभाष घई वो 'सौदागर' हैं जो अपने म्युजिक सेंस से लोगों के जहन में अपनी 'यादें' बनाये हुए हैं। सुभाष घई हिंदी सिनेमा जगत के वो 'हीरो' हैं जिनकी फिल्मों के दीवाने लोग सिर्फ देश ही नहीं बल्कि 'परदेस' में भी हैं। सुभाष घई आज अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। सुभाष घई जितना अपनी फिल्मों के लिए समर्पित थे उतना ही फिल्मों के संगीत के प्रति भी उनका झुकाव था।
सुभाष घई का जन्म 24 जनवरी, 1945 को पंजाबी परिवार में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उनके पिता दिल्ली में एक डेंटिस्ट थे। अपने जीवन की शुरुआत की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली से पूरी की थी। 12वीं पास करने के बाद कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। दिल्ली में पढ़ाई के बाद सुभाष 1963 में पुणे आ गए और फिर उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीयूट ऑफ इंडिया में दाखिला ले लिया।
पत्नी के नाम पर खोला मुक्ता आर्ट्स
साल 1970 में उन्होंने बॉलीवुड की तरफ रुख किया और किस्मत आजमाने मुंबई आ गए। सुभाष घई की शादी रिहाना उर्फ मुक्ता से हुई है। पत्नी मुक्ता के नाम से सुभाष घई ने ‘मुक्ता आर्ट्स’ नाम से प्रोडक्शन हाउस भी शुरू किया है। अपने शुरूआती सफर में वह हीरो का किरदार निभाना चाहते थे मगर किस्मत में उनके बॉलीवुड का एक बेहतरीन डायरेक्टर बनने का अंजाम सोच रखा था।
कर्ज फिल्म का गाना बन गया मील का पत्थर
शुरूआती समय में सुभाष घई ने म्युजिक कंम्पोजर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम किया। अपनी फिल्म के लिए उन्होंने एक साथ मिलकर कई बेहतरीन नगमें बनाये। जो ना सिर्फ उस समय के लोगों के मन को भाये बल्कि म्युजिक की दुनिया में मील का पत्थर बन गए। साल 1980 में आई फिल्म कर्ज के उन्हीं में से एक है।
बन गई सिग्नेचर ट्यून
60 से 70 के दशक में पुर्नजन्म की कहानी बहुत आम सी बात थी मगर कर्ज फिल्म के गानों ने इस फिल्म में जान डाल दी। फिल्म में मॉन्टी के किरदार की कहानी सच दिखाने में एक्टिंग और स्टोरी के साथ म्युजिक ने कमाल का जादू किया। एक हसीना था...गाने की ट्यून एक सिगनेचर ट्यून बन गई। जिसे बस धुन से ही फिल्म की सारी झलक आंखों के सामने आने लगी। 1983 में आई फिल्म हीरो का गाना लम्बी जुदाई..., गाने की ट्यून आज भी बज जाए तो आप खुद को गाने के बोल गुनगुनाने से रोक नहीं पाएंगे। जैकी श्रॉफ के इसी गाने की ट्यून का इस्तेमाल टाइगर श्रॉफ की डेब्यू फिल्म हीरोपंती में भी किया गया है।
बन गया लैंडमार्क
कर्मा, राम-लखन, सौदागर जैसी फिल्मों के गाने लोगों के लिए आज भी माइलस्टोन हैं। माई नेम इज लखन, ईमली का बूटा और ऐ वतन तेरे लिए गाने लोग कभी भुला नहीं पाये। सुभाष घई की 1993 में आई फिल्म खलनायक हर मायनों में एक लैंडमार्क बन गई। संजय दत्त की जबजदस्त एक्टिंग, माधुरी दीक्षिक के डांस और सरोज खान के कोरियोग्राफ ने इस फिल्म का स्टैंडर्ड सेट कर दिया। इसी फिल्म के गाने चोली के पीछे क्या है पर बवाल तो हुआ लेकिन इसको आज तक कोई रिप्लेस नहीं कर पाया।
सुभाष घई की फिल्म परदेस भी ऐसी ही फिल्मों में से एक है जो स्टोरी के साथ म्युजिक के लिए भी जानी जाती है। इस फिल्म में नदीम-श्रवण के साथ मिलकर सुभाष घई ने लोगों के सामने बेहतरीन फिल्म बनाई। वहीं ताल फिल्म में ए आर रहमान के साथ मिलकर उन्होंने बेहतरीन संगीत हमारे बीच रखा। रहमान ने बताया कि ताल फिल्म के गाने को बनाने के लिए 70 रातों तक काम किया जिसका रिजल्ट आज आप फिल्म के संगीत में देख सकते हैं।
सिर्फ यही नहीं घई की यादें, किसना, युवराज जैसी कई ऐसी फिल्में है जो लोगों को अच्छी तो नहीं लगी मगर उसका संगीत लोगों के दिलों में घर कर जाते हैं। साथ ही सुभाष घई ही वो डायरेक्टर हैं जिन्होंने बॉलीवुड को जैकी श्रॉफ, माधुरी दीक्षित, अनिल कपूर जैसे कलाकार दिए।