दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तेलुगु निर्देशक के. विश्वनाथ का निधन

By अनिल शर्मा | Published: February 3, 2023 08:17 AM2023-02-03T08:17:24+5:302023-02-03T08:22:51+5:30

के. विश्वनाथ की आखिरी निर्देशित परियोजना 2010 की तेलुगु फिल्म सुभाप्रदम थी जिसमें अल्लारी नरेश और मंजरी फडनीस ने अभिनय किया था। उन्होंने तेलुगु और तमिल उद्योगों में दो दर्जन से अधिक फिल्मों में भी अभिनय किया।

Renowned Telugu director K.K. Vishwanath passed away awarded the Dadasaheb Phalke Award | दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तेलुगु निर्देशक के. विश्वनाथ का निधन

दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तेलुगु निर्देशक के. विश्वनाथ का निधन

Highlightsविश्वनाथ ने मद्रास में वाउहिनी स्टूडियो के लिए एक ऑडियोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। विश्वनाथ ने अपने निर्देशन की शुरुआत 1965 की फिल्म आत्मा गोवरवम से की, जिसने राज्य नंदी पुरस्कार जीता।राकेश रोशन ने कहा था कि फिल्में बनाने की कला उन्होंने के विश्वनाथ से ही सीखी थी।

प्रसिद्ध तेलुगु फिल्म निर्देशक व निर्माता के. विश्वनाथ का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। के. विश्वनाथ गुरुवार को हैदराबाद में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। पांच बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता रहे विश्वनाथ उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे। वह शंकरभरणम, सागर संगमम, स्वाति मुथ्यम और स्वर्ण कमलम जैसी प्रतिष्ठित फिल्मों के लिए जाने जाते थे। 

विश्वनाथ ने मद्रास में वाउहिनी स्टूडियो के लिए एक ऑडियोग्राफर के रूप में अपना करियर शुरू किया था। साउंड इंजीनियर के रूप में एक छोटे से कार्यकाल के बाद, उन्होंने फिल्म निर्माता अदुर्थी सुब्बा राव के तहत अपना फिल्म निर्माण करियर शुरू किया और अंततः 1951 की तेलुगु फिल्म पत्थल भैरवी में सहायक निर्देशक के रूप में काम किया।

विश्वनाथ ने अपने निर्देशन की शुरुआत 1965 की फिल्म आत्मा गोवरवम से की, जिसने राज्य नंदी पुरस्कार जीता। 1980 की तेलुगु फिल्म शंकरभरणम ने विश्वनाथ को काफी प्रसिद्धि दिलाई। शंकरभरणम ने चार राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। इसे बाद में हिंदी में विश्वनाथ द्वारा निर्देशित सूर संगम के रूप में बनाया गया था।

शंकरभरणम की सफलता के बाद, विश्वनाथ ने कई और फिल्में बनाई जिनकी पृष्ठभूमि में कला, विशेष रूप से संगीत था। इनमें से कुछ फिल्मों में सागर संगमम, स्वाति किरणम, स्वर्ण कमलम, श्रुतिलायलु और स्वराभिषेकम शामिल हैं।

विश्वनाथ की 1985 में आई तेलुगु फिल्म स्वाति मुथ्यम भी चर्चित फिल्म रही। इसमें कमल हासन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म अकादमी पुरस्कार के लिए सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए भारत की प्रविष्टि थी। 

तेलुगु के अलावा विश्वनाथ ने हिंदी फिल्में भी बनाई। 1979 की फिल्म सरगम से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की, जो उनकी अपनी फिल्म सिरी सिरी मुव्वा की रीमेक थी। उनकी कुछ अन्य लोकप्रिय हिंदी फिल्मों में कामचोर, शुभ कामना, जाग उठा इंसान, संजोग, ईश्वर और धनवान शामिल हैं।

वह बॉलीवुड में राकेश रोशन के साथ अपने कई सहयोगों के लिए लोकप्रिय थे। आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में, राकेश रोशन ने कहा था कि उन्होंने विश्वनाथ से फिल्म निर्माण के बारे में सब कुछ सीखा है।

राकेश रोशन ने कहा था- यह विश्वनाथ जी थे जिन्हें मैंने देखा और फिल्म निर्माण सीखा। हमने साथ में चार फिल्में कीं। वह दिन में शूटिंग करते थे और फिर शाम को फुटेज का संपादन करने के लिए मेरे पास छोड़ देते थे। जब मैंने विश्वनाथ जी की फिल्मों का संपादन किया तब मुझे एहसास हुआ कि मैं फिल्मों का निर्देशन कर सकता हूं।

उनकी आखिरी निर्देशित परियोजना 2010 की तेलुगु फिल्म सुभाप्रदम थी जिसमें अल्लारी नरेश और मंजरी फडनीस ने अभिनय किया था। उन्होंने तेलुगु और तमिल उद्योगों में दो दर्जन से अधिक फिल्मों में भी अभिनय किया।

के. विश्वनाथ को 1992 में पद्म श्री और 2017 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने चार दशक से अधिक के करियर में आठ बार फिल्मफेयर पुरस्कार जीते थे।

Web Title: Renowned Telugu director K.K. Vishwanath passed away awarded the Dadasaheb Phalke Award

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