Valentines 2018 स्पेशलः रेखा की अधूरी प्रेम कहानियां, एक बोलक्कड़ लड़की को क्यों सांप सूंघ गया
By खबरीलाल जनार्दन | Published: February 14, 2018 04:58 PM2018-02-14T16:58:20+5:302018-02-14T20:22:50+5:30
रेखा को प्यार में जो मिला वो ये है, 'वो डायन मेरे बेटे को खा गई। भगवान उसे कभी माफ नहीं करेगा।' The Black Widow, The Macabare Truth Behind Mukesh's Suicide। पढ़िए, उनके प्यार की अधूरी कहानियां।
रेखा ने उन्हें देखा और झट से वापस कार में बैठ गईं। मुकेश कार की ओर बढ़े तो कार चलने लगी। वो हल्की बरसात वाली शाम थी। लेकिन मुकेश के गाल आंसू से भीगे हुए थे। वे आंसू बहाते कार के पीछे दौड़ते रहे, रेखा-रेखा कहकर पुकारते रहे। लेकिन रेखा ने एक बार पलट के भी नहीं देखा।
अभिनेत्री दीप्ति नवल ने मुकेश अग्रवाल की भाभी (मिठो भाभीजी, मुकेश अग्रवाल के बड़े भाई अनिल गुप्ता की पत्नी) के हवाले से इस घटना का जिक्र स्टारडस्ट के निशी प्रेम को दिए साक्षात्कार में किया था। इस घटना के करीब तीन महीने बाद दिल्ली के फॉर्महाउस बसेरा में मुकेश अग्रवाल रेखा के दुपट्टे से फंदे में पंखे से झूल गए थे।
मुकेश की मां ने इसके बाद एक बयान दिया, 'वो डायन मेरे बेटे को खा गई। भगवान उसे कभी माफ नहीं करेगा।' और तत्कालीन मीडिया में शीर्षक छापे गए- The Black Widow (शोटाइम, नवंबर 1990), The Macabare Truth Behind Mukesh's Suicide (सिने ब्लिट्ज, नवंबर 1990)। उन दिनों रेखा की 'नागमणि' फिल्म रिलीज हुई थी, उसके पोस्टर गोबर और रेखा के चेहरे वाले हिस्से पर कालिख पोतकर आम लोगों ने विरोध किया। स्टारडस्ट में निशी प्रेम को दिए एक साक्षात्कार में शोमैन सुभाष घई ने कहा, 'अब उनके साथ कोई निर्देशक कैसे काम करेगा पता नहीं।'
ये सब लोग इतने अधिकारपूर्वक नवंबर 1990 में रेखा का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि 4 मार्च 1990 को ही रेखा ने मुकेश अग्रवाल से शादी की थी। शादी अगले दिन के बारे में दीप्ति नवल ने फिल्मफेयर मैगजीन को दिए इंटरव्यू में कहती हैं, 'रेखा ने मुझे फोन कर के कहा कि अंदाजा लगाओ! अरे मैं तुम्हारी भाभी बन गई हूं। मैं अब रेखा अग्रवाल हूं। मुकेश तुम्हारे भाई जैसे हैं ना।'
यही वे कुछ इंटरव्यूज और घटनाएं थीं, जिनके बाद से छक बोलने वाली, डंके की चोट पर बोलने वाली बिना किसी गुरेज ये कहने वाली 'अपने पतियों को ठीक कीजिए, मुझे नहीं' रेखा ने सदा, सदा के लिए निजी जिंदगी पर बात करना बंद कर दिया। साल 2016 में युवा पत्रकार यासिर उस्मान ने जब रेखा पर किताब लिखी तो रेखा के एक इंटरव्यू के लिए एड़ी-चोटी का दम लगा दिया। लेकिन रेखा ने उनसे एक शब्द बात नहीं की।
ऐसा नहीं है कि रेखा की जिंदगी महज उनके प्यार के कुछ स्याह पन्नों तक सिमटी हैं। दिवंगत अभिनेता शशि कपूर के शब्दों में 'रेखा में बॉलीवुड अभिनेत्री बनने के कोई गुण नहीं थे' के बावजूद उन्होंने करीब 4 दशक तक हिन्दी सिनेमा पर राज किया। तमिल सिनेमा के तब के सबसे बड़े स्टारों में से एक जेमिनी गणेशन की नाजायज औलाद का तमगा लिए मात्र 12 साल की उम्र से अपनी पांच बहनों, मां का खर्च उठाने वाली खुद्दार महिला हैं।
लेकिन हम यहां वैलेंटाइन डे पर उनकी जिंदगी की उन कहानियों की ओर आपको ले चल रहे हैं, जिनमें वो अपनी मांग में सिंदूर तो भरती हैं, पर कह नहीं पाती कि ये सिंदूर किसके नाम का है-
रेखा की अधूरी प्रेम कहानी, मुकेश अग्रवाल
फिल्मफेयर मैगजीन 1990 की एक रिपोर्ट के मुताबिक रेखा ने अपनी मशहूर फैशन डिजाइनर व सोशलिस्ट दोस्त बीना रमानी से शादी कर के घर बसा लेने के बारे में जिक्र करती थीं। इसी बाबत बीना ने उन्हें दिल्ली के बिजनेसमैन मुकेश अग्रवाल से मिलाया। मुकेश इस कल्पना से ही लट्टू हो गए कि रेखा की उनसे बात होगी। मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक रेखा की दिल्ली की दोस्त बीना व एक अन्य दोस्त सुरिंदर कौर ने उनसे कहा, 'मुकेश कमाल का आदमी है, तुम्हें उसे जाने नहीं देना चाहिए'।
नतीजतन रेखा दिल्ली आकर मुकेश और उनके परिवार से मिलीं। इस मुलाकात के बारे में फिल्मफेयर के 1990 के प्रकाशित साक्षात्कार I didn't kill Mukesh में रउफ अहमद रेखा के हवाले लिखते हैं, 'मुझे वे लोग बहुत पसंद आए। वे बहुत साधारण लोग थे। मिठो भाभीजी ने मुझे पूरी तरह जीत लिया। जबकि मुकेश की भाभी के हवाले से रेखा के बारे में लिखा, 'मेरे घर हूर आई है'।
फिल्मफेयर के दिसंबर 1990 के अंक में प्रकाशित Her Story में इसका उल्लेख मिलता है कि इसी मुलाकात के बाद रेखा ने मुकेश से शादी के लिए सुरिंदर को फोन कर हां कह दी थी। इसके बाद 4 मार्च 1990 को दोनों शादी के बंधन में बंध गए। चौबीस घंटे के भीतर दोनों हनीमून के लिए लंदन चले गए। लौटकर दोनों ने कई समारोह किए। दिल्ली में बसेरा नाम के फार्महाउस में दोनों की जिंदगी आगे बढ़ने लगी। लेकिन रेखा तब यह जानना जरूरी नहीं समझा कि मुकेश लंबे समय से तनावग्रस्त चल रहे हैं। उनकी पिछली शादी नाकाम रही थी। बिजनेस में भी उनकी अच्छी हालत नहीं चल रही थी। एक बार उन्होंने नींद की गोलियां लेकर आत्महत्या की कोशिश भी की थी।
शादी के कुछ महीनों बाद ही रेखा को मुकेश की पिछली जिदंगी का असर दिखने लगा। फिल्मफेयर के इस अंक में इस बारे में विस्तार से प्रकाशित हुआ कि कैसे मुकेश, रेखा को अपने बिजनेस में इस्तेमाल करने के दृष्टि से आगे बढ़ने लगे। उन्होंने एक दिन राजीव गांधी के फॉर्महाउस की तरफ यूं ही गाड़ी मोड़ दी और वहां जाकर राजीव के सामने यह जताने लगे कि मेरी पत्नी से मिलिए। मुकेश के मुताबिक उन्हें उस वक्त बिजनेस के लिए सभी लोगों की हेल्प चाहिए। मुकेश बॉलीवुड की पार्टियों में जाते और बताते कि रेखा उनकी पत्नी हैं। नतीजतन 10 सितंबर 1990 को मुकेश ने रेखा के उस प्रस्ताव पर हामी भरने के लिए फोन किया, जिसमें रेखा ने उनसे तलाक मांगा था।
रेखा की अधूरी प्रेम कहानी, जीतेंद्र
रेखा (जन्मदिन, 10 अक्टूबर, 1954) ने पहली हिन्दी फिल्म 'अंजाना सफर (1969)' की। उनकी उम्र 14 साल थी। इसकी शूटिंग उन्होंने उम्र के 12वें साल में शुरू कर दी थी। उन्हें हिन्दी नहीं आती थी। उनके डांस और मां पुष्पावली (तमिल अभिनेत्री) सिफारिश पर निर्देशक कुलजीत पाल ने उन्हें यह फिल्म दी थी। लेकिन फिल्म के बीच में उन्होंने एक दृश्य रखा, 'अभिनेता बिश्वजीत पूरी कास्ट-क्रू के सामने 13 साल की रेखा को चुंबन (स्मूच) करते रहे।' 25 Years of a Special Woman में दिनेश रहेजा रेखा के हवाले से लिखा, 'मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करती। मैं अचंभित थी। मैंने वहां जो महसूस किया था उसकी भरपाई नहीं की जा सकती।'
उस दौर को याद करते हुए रेखा ने रेन्डिवू विद सिमी ग्रेवाल में कहा, 'मैं हर रोज रोती थी। 13 साल की बच्ची से इस स्टूडियो से उस स्टूडियो, ऐसे कपड़े जो वो नहीं पहनना चाहती थी।' लेकिन फिल्म रिलीज से पहले ही उन्हें बिश्वजीत के साथ मैगजीन के कवर फोटो के लिए फिर से उन्हें किस करना पड़ा। वे इस पर मीडिया में खूब बोली भीं। लेकिन सकारात्मक, इसे फिल्म चलाने के नुस्खे से जोड़ा गया। उनकी एक्टिंग या फिल्म से ज्यादा उनके बयान फिल्म पत्रिकाओं की सुर्खियां बनीं। लेकिन उनकी जिंदगी दूसरा दौर आया। उन्हें भी कोई लड़का पसंद आया।
मैं उस शख्स से नफरत करती हूं जिसने मेरे बचपन से प्यार, रोमांस और शादी को लेकर बनी धारणा का तहस-नहस कर दिया। मेरी ख्वाब थे जैसे दूसरी लड़कियों के होते हैं कि मेरी जिंदगी में एक शख्स हो, जिसपर मैं सबकुछ भूलकर विश्वास करूं, प्यार करूं। और मैंने जीतू (अभिनेता जीतेंद्र) पर विश्वास किया। उस वक्त में शादी या किसी भी चीज के लिए बेताब नहीं थी। मैं बस चाहती थी कि वो मुझ पर भरोसा करें, मेरे प्रति ईमानदार हों। -शिवानी पब्लिकेशन की किताब Eurekha! The Intimate Life Story of Rekha में रेखा का बयान
फर्ज (1967) के बाद से जीतेंद्र की महिलाओं चाहनेवालियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी। उन्हें 'जंपिंग जैक' की उपाधि मिल गई थी। साल 1972 बीएन घोष की फिल्म 'एक बेचारा' में दोनों की मुलाकात हुई। फिल्म की शूटिंग में शिमला हुई। फिल्म के कुछ सूत्रों के हवाले से यासिर उस्मान की किताब 'Rekha: The Untold Story' में लिखा है कि जीतेंद्र ही रेखा से नजदीकियां बढ़ाई थीं। लेकिन उन्होंने अपनी एयर हॉस्टेस गर्लफ्रेंड शोभना को नहीं छोड़ा। उन्होंने रेखा के साथ संबंधों को 'टाइम पास' रखा। लेकिन रेखा के लिए यह सपने तोड़ने वाला रहा।
रेखा की अधूरी प्रेम कहानी, विनोद मेहरा
जीतेंद्र के बर्ताव से रेखा टूट गई थीं। उस वक्त उनकी मुलाकात ईमानदार, खुशमिजाज और चुस्त विनोद मेहरा से हुई। वे जल्दी रेखा के करीब हो गए कि क्योंकि वे उस वक्त बॉलीवुड में जमीन तलाश रहे थे। कुछ ही मुलाकातों में रेखा ने विनोद को 'विन-विन' कहना शुरू कर दिया। दोनों यहां-वहां हाथों में हाथ डाले घूमते नजर आने लगे। रेखा अपनी रिलेशनशिप छिपाने वालों में नहीं थीं।
मेरे जन्मदिन पर विनोद ने मुझे किस किया। लेकिन निजी पलों में, सुबह-सुबह मेरे बेडरूम में। - रेखा, स्टार एंड स्टाइल मैगजीन के 1972 के एक साक्षात्कार में
तब विनोद मेहरा मीडिया में आकर साफ तौर पर रेखा के बारे में अच्छी बातें करते। अगर उन पर कोई सवाल उठाता तो वे उन सवालों के जवाब देते। रेखा ने उनके बारे में कहा, 'विनोद ऐसा पहला आदमी है, जिसने मुझे वाकई प्यार किया। मुझे उस रूम स्वीकार किया जैसी मैं हूं।' बल्कि विनोद इस रिश्ते को नाम देना चाहते थे। लेकिन बीच में उनकी मां कमला मेहरा आ गईं। कमला मेहरा अपनी बहू के रूप में एक शालीन और परंपरागत लड़की चाहती थीं।
शादी से पहले सेक्स बहुत प्राकृतिक है। वे सारे लोग यह समझते हैं कि लड़की को पहली बार सुहागरात पर सेक्स करना चाहिए वे सब कूड़ा बात करते हैं- रेखा, स्टारडस्ट, सितंबर 1972
ये बयान कमला मेहरा को नागवार हुए। करीब एक साल बीते। स्टारडस्ट के ही साल 1973 के सितंबर अंक में रेखा का इंटरव्यू प्रकाशित हुआ- उनके (विनोद मेहरा की मां कमला मेहरा) लिए मैं एक अभिनेत्री नहीं हूं। बल्कि मैं एक बदमान अभिनेत्री हूं जिसका बहुत बुरा अतीत रहा है। विनोद के चलते वो मुझे इतने दिनों तक बर्दाश्त करती रहीं। लेकिन अब वो मुझे एक पल भी बर्दाश्त नहीं करना चाहतीं।
लेकिन तभी विनोद और रेखा दोनों इस बात पर राजी हो गए कि कमला मेहरा को बताए बगैर वे शादी कर लेंगे। इसके बाद वो मान जाएंगी। यासिर उस्मान की किताब 'रेखाः दी अनटोल्ड स्टोरी' कलकत्ता के पार्क सर्कस इलाके में मौसमी चटर्जी के पति रितेश चजर्टी की मौजूदगी में दोनों ने शादी कर ली। इसी किताब में एक फिल्म मेकर (बिना नाम लिए) के हवाले से लिखा गया है कि जब विनोद और रेखा कलकत्ता से मुंबई लौटे और कमला मेहरा के निवास पर पहुंचे-
रेखा आगे बढ़कर अपनी सास का पैर छूने के लिए झुकी, लेकिन कमला मेहरा ने पीछे हटते हुए रेखा को धक्का दे दिया। उन्होंने अपने घर में रेखा को घुसने से मना कर दिया। कुछ समय में उन्होंने अपना परा खो दिया और रेखा को गालियां देने लगीं। दरवाजे पर खड़े विनोद मेहरा ने जब अपनी मां को समझाने की कोशिश की तो कमला ने अपनी चप्पल उठाई और रेखा को मारने के लिए दौड़ीं। यह रिश्ता यही बनते-बनते रह गया। साल 2004 में रेन्डिवू विद सिमी ग्रेवाल में रेखा ने कहा कि विनोद मेहरा उनके अच्छे दोस्त थे।
रेखा की अधूरी प्रेम कहानी, किरण कुमार
विनोद, रेखा की जिंदगी से निकले। साल 1973 और हृषिकेश मुखर्जी की नमक हराम। अमिताभ-रेखा की पहली फिल्म। लेकिन साथ कोई दृश्य नहीं। ऐसा अंदाजा लगाया जाता है कि अगर इस फिल्म अमिताभ के साथ रेखा के एक भी दृश्य होते तो उनकी जिंदगी 'किन-किन' के प्यार के स्याह पन्ने ना जुड़ता। विन-विन की तर्ज पर ही रेखा ने किरण कुमार (मशहूर खलअभिनेता जीवन के बेटे) को किन-किन कहना शुरू किया। किरण फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीटीआई) से आए थे। उनकी फिल्म ख्वाजा अहमद अब्बास निर्देशित 'दो बूंद पानी (1971)' कई अवार्ड जीत रही थी। वे रेखा की अच्छी दोस्त योगिता बाली के साथ संबंध में थे।
योगिता बाली के 'सुपर' को दिए इंटरव्यू के अनुसार किरण कुमार उन्हें रेखा से दूर होने की सलाह देते। कहते कि मुझ पर रेखा का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जबकि कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि रेखा के साथ उनका अफेयर चल रहा है। ताली एक हाथ से नहीं बजती। इसमें दोनों लोगों ने मुझे अंधेरे में रखा। दोनों मेरे करीब थे।
रेखाः दी अनटोल्ड स्टोरी में फिल्म धर्मात्मा (निर्देशक फिरोज खान) की शूटिंग के दौरान की एक घटना जिक्र मिलता है। शूटिंग चल रही थी। बीच में लाइट्स बदलने के लिए एक छोटा सा ब्रेक रखा गया। सबकुछ ठीक कर के जब रेखा को बुलाने के लिए क्रू गया। पता चला कि वो अपनी कार में बैठकर निकल गई हैं। इसके बाद दो दिनों तक किसी को पता नहीं चला रेखा कहां हैं। उनके लौटने के बाद पता चला वो किन-किन के साथ थीं। लेकिन इतिहास ने फिर से एक बार खुद को दोहराया। किरण कुमार के पिता जीवन लंबे समय से फिल्म इंडस्ट्री में थे। साथ ही वे कश्मीरी पंडित थे। उन्हें यह रिश्ता कबूल नहीं हुआ।
रेखा की अधूरी प्रेम कहानी, अमिताभ बच्चन
अमिताभ से रेखा के रिश्तों के समझने के लिए उनके ये बयान पढ़िए-
एक समय मैं समझती थी जया (जया बच्चन) बेहद जहीन महिला हैं और मेरे लिए तो बहन की तरह हैं। क्योंकि वह कई बार बहुत गहराई से मुझे सलाह देतीं। लेकिन अब मुझे अहसास हुआ कि वह अपना प्रभाव जमाने के लिए किसी को ऐसी सलाह देती फिरती हैं। शुरुआती दिनों इतनी करीब रहने के बाद भी एक ही इमारत में रहने के बाद भी उन्होंने अपनी शादी में मुझे नहीं बुलाया। - रेखा, सुपर 1980 में
मि. बच्चन के सामने खड़े रहना आसान नहीं होता। अमिताभ कुछ ऐसे थे जैसा मैंने अपनी जिंदगी में कभी कुछ नहीं देखा। उनके होने से मैंने अच्छाई पर विश्वास और खुद पर भरोसा करने सीखा। रेखा, रेन्डिवू विद सिमी ग्रेवाल 2004
मैं यह उनके घर तोड़ने के लिए नहीं कह रही। एक इंसान के नाते मैं यह कह सकती हूं। उनके होने से मुझे खुशी होती है। हां, उनकी अच्छाइयों से मैं प्रभावित हुई। मैं शाकाहारी हो गई। खतरनाक जीवनशैली से उबर गई। योगा करने लगी। रेखा, रेन्डिवू विद सिमी ग्रेवाल 2004
रेखा जब कभी बोलती हैं अब ऐसे ही सधे शब्दों में अमिताभ से जुड़े सवालों का जवाब देती हैं। अमिताभ ने कभी अपने और रेखा के रिश्ते पर एक भी शब्द नहीं कहे। रेखा पर लिखी किताब में एक जिक्र मिलता है कि एक बार एक शख्स उनके सामने रेखा को भला-बुरा कह रहा था तो पहले उन्होंने उसे चुप कराने की कोशिश की। फिर वह नहीं माना तो अमिताभ उसे पीटने लगे। फिर दोनों अलग क्यों- रेखा इस बारे में रेखा बताती हैं-
मैंने प्रोजेक्शन रूम से साफ देखा था। उनका (बच्चन) पूरा परिवार 'मुकद्दर का सिकंदर' की स्क्रीनिंग में बैठा था। जया सिनेमाघर में पहली पंक्ति में ही बैठी थीं। वे और बाकी लोग उनके पीछे वाली पंक्ति में थे। फिल्म में जब मेरे और उनके (बच्चन) बीच लव सीन आए जया के आंखों से आंसू छलक रहे थे। इसी के बाद से सारे निर्माता-निर्देशक मुझसे कहने लगे कि जया ने मना किया है मुझे और उन्हें साथ फिल्म में रखने से। रेखा, स्टारडस्ट 1978 में एक साक्षात्कार
रेखाः दी अनटोल्ड स्टोरी के मुताबिक जब कूली फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन चोटिल हुए तो रेखा भागती हुई उन्हें देखने ब्रीच कैंडी अस्पताल पहुंची। लेकिन वहां जया बच्चने के सख्त हिदायत थे कुछ भी हो जाए रेखा को अंदर आने दें। अमिताभ जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे। अस्पताल के बाहर उन्हें एक बार देखने के लिए रेखा छटपटा रही थीं। लेकिन जया बच्चन को यह मंजूर नहीं था।
किताब में कई फिल्म हस्तियों के हवाले से बताया गया है कि यही दौर था जब जया, अमिताभ के और करीब हुईं। पति-पत्नी होने के बाद भी रिश्ते में रेखा का प्रभाव था। लेकिन इस हादसे के बाद जया ने जिस तरह रेखा को दूर रखकर अपनी पति की सेवा की। वहां से दोनों का रिश्ता अटूट हो गया।
दूसरी तरफ रेखा शांत हो गईं। इसके बाद भी कई नाम रेखा से जोड़े गए। बिश्वजीत, नवीन निश्चल, संजय खान, शत्रुघ्न सिन्हा, अक्षय कुमार, संजय दत्त के नाम इस लिस्ट में हैं। लेकिन इन पर रेखा ने कभी कुछ नहीं कहा। कहते हैं रेखा की जिंदगी को आज भी काफी-कुछ नियंत्रित करने वाली उनकी सिक्रेटरी फरजाना, बेल-बाटम पैंट पहनती हैं। अमिताभ बच्चन जैसे बाल रखती हैं। उन्हें देखकर कई बार अमिताभ का खयाल आता है। वह मर्दाना दिखती हैं। दबी आवाज में कहा जाता है कि रेखा अमिताभ को नहीं भूलना चाहतीं।