रजनीकांत जन्मदिन: एक मराठी बस कंडक्टर से साऊथ के भगवान बनने तक का अद्भुत सफर, यहां जानिए
By मेघना वर्मा | Published: December 12, 2018 09:50 AM2018-12-12T09:50:10+5:302018-12-12T10:14:43+5:30
Success Story of Megastar Rajinikanth: 68 साल की उम्र में काम करने का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है। इसीलिए तो शिवाजी- द बॉस, रोबोट, कबाली जैसी हिट फिल्में वो आज भी दे रहे हैं।
अनहोनी को होनी कर दे और होनी की अनहोनी, नहीं वो कोई और नहीं बल्कि अपने रजनीकांत हैं। आम लोगों में रजनीकांत की दीवानगी का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि बड़े पर्दे पर रजनी के आते ही पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता है। रजनी की फिल्म रिलीज होने से पहले ही उनके पोस्टर को लोग दूध और शहद से नहलाने लगते हैं। देश भर में शायद ही दूसरा ऐसा कोई सुपरस्टार है जिसे लोग स्टार की तरह कम और भगवान की तरह ज्यादा पूजते हैं।
सिर्फ आम लोग ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के बड़े अभिनेता भी रजनीकांत के फैन है। बॉलीवुड और साउथ के इस सुपरस्टार का आज जन्मदिन है। वो कहते हैं कि सक्सेस का कोई शॉर्टकट नहीं होता कुछ ऐसी ही कहानी है सुपरस्टार रजनीकांत की। जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर एक कारपेंटर, एक कुली और एक बीटीएस बस कंडक्टर के पायेदान पर चढ़कर तय किया। उनके जन्मदिन पर आइये आपको बताते हैं रजनीकांत की जिंदगी और बड़े पर्दे का सफर।
मध्यमवर्गीय मराठी परिवार से हैं रजनीकांत
रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को कर्नाटक के बैंगलोर में हुआ था। वे बेहद मध्यमवर्गीय मराठी परिवार से ताल्लुक रखते थे। रजनीकांत को लोग शिवाजी राव गायकवाड़ के नाम से जानते थे। शिवाजी का कठिन समय तो तभी से शुरू हो गया जब पांच साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया। रजनी के पिता पुलिस में एक हवलदार थे। घर की आर्थिक स्थिती सही नहीं थी तो शिवाजी ने कम उम्र में ही काम शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि उन्होंने अपने काम की शुरूआत एक कारपेंटर के रूप में की थी। इसके बाद वो कुली भी बने। मगर एक्टर बनने से पहले बीटीएस कंडक्टर रहे।
बचपन से ही उन्हें ड्रामें और नाटक करने का शौक था जिसके चलते उन्हें फिल्मों में काम करने का भी बहुत मन था। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए रजनीकांत ने 1973 में मद्रास फिल्म इंस्टिट्यूट में डिप्लोमा करने के लिए दाखिला लिया। इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान उस समय के मशहूर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नजर रजनीकांत पर पड़ी और वो रजनीकांत से इतना प्रभावित हुए कि वहीं उन्हें अपनी फिल्म में एक चरित्र निभाने का प्रस्ताव दे डाला।
हलांकि फिल्म अपूर्व रागांगल में रजनीकांत का इतना बड़ा किरदार नहीं था कि उनके कैरेक्टर को लोग याद रखें। मगर बस यही से शुरू हुआ उनका फिल्मी सफर बॉलीवुड में पहले नकारात्मक किरदार निभाए और उसके बाद धीरे-धीरे लोगों के दिल में बस गए। दीवानगी की हद इस कदर बढ़ गई की लोग उन्हें स्टार कम और भगवान की तरह पूजने लगे।
हमेशा जुड़े रहे जमीन से
68 साल की उम्र में काम करने का उनका जज्बा कम नहीं हुआ है। इसीलिए तो शिवाजी- द बॉस, रोबोट, कबाली जैसी हिट फिल्में वो आज भी दे रहे हैं। आज वो इतने बड़े सुपरस्टार हैं मगर जमीन से जुड़े हुए हैं। किसी भी सम्मेलन या मीडिया से मिलते हुए वह बिल्कुल सामान्य आदमी की तरह रहते हैं। बताया ये भी जाता है कि उनके पास आया कोई भी जरूरत मंद आदमी खाली नहीं जाता।
बड़े पर्दे पर हो या चुटकुलों की दुनिया में रजनीकांत ने हमेशा ही लोंगो का मनोरंजन किया है। नामुमकिन को भी जो मुमकिन कर दें और जिससे ऊपरवाला भी डर जाए वो हैं रजनीकांत। उनका यही अंदाज लोगों का दिल छू जाता है।