संगीतकार प्रीतम ने कहा- नए दौर के सिंगर में नहीं है पुराने गायकों जैसा परफेक्शन, गिने-चुने प्रोजेक्ट्स पर कर रहे हैं काम

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 11, 2019 05:14 PM2019-04-11T17:14:32+5:302019-04-11T17:14:32+5:30

pritam says that new singers has no perfection like old singers | संगीतकार प्रीतम ने कहा- नए दौर के सिंगर में नहीं है पुराने गायकों जैसा परफेक्शन, गिने-चुने प्रोजेक्ट्स पर कर रहे हैं काम

संगीतकार प्रीतम ने कहा- नए दौर के सिंगर में नहीं है पुराने गायकों जैसा परफेक्शन, गिने-चुने प्रोजेक्ट्स पर कर रहे हैं काम

असीम चक्रवर्ती संगीतकार प्रीतम का संगीत इन दिनों 'कलंक' में फिर लोकप्रिय हो रहा है. असल में प्रीतम अभी बेहद चुनिंदा काम कर रहे हैं. उनका म्यूजिक वर्ल्ड कुछ गिनी-चुनी फिल्मों में सिमट कर रह गया है. 'कलंक' के अलावा 'ब्रह्मास्त्र', 'गुड न्यूज' जैसी कुछ ही फिल्में उनके पास हैं. अब तक 120 से ज्यादा फिल्मों का संगीत दे चुके प्रीतम आज भी अपनी हर फिल्म की रचना सुर को एक नई चुनौती मानते हैं.

उनकी पिछली फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' का संगीत कुछ खास पसंद नहीं किया गया था, पर सुपरफ्लॉप फिल्म 'जग्गा जासूस' के संगीत के लिए वह खूब सराहे गए. प्रीतम कहते हैं, ''मैं श्रोताओं की किसी पसंद को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं. अब जैसे कि 'कलंक' का संगीत श्रोताओं के बीच अपनी पकड़ बना रहा है. मतलब, मैंने अपना काम अच्छा किया है. 'ब्रह्मास्त्र', 'गुड न्यूज' के संगीत के बारे में भी ऐसा कहूंगा. यह अच्छी बात है कि मैं बिल्कुल अलग-थलग मूड की फिल्मों का संगीत दे रहा हूं.

इसमें कोई शक नहीं है कि 'कलंक' के लिए मुझ काफी सिटिंग करनी पड़ी थी. मुझे खुशी है कि इसके लिए करण ने मुझे काफी समय दिया. इसके टाइटल ट्रैक के अलावा इसके दो गाने 'घर मोरे परदेशिया' और 'फर्स्ट क्लास' को तैयार करने के लिए हमने कई-कई दिनों तक सिटिंग की थी.'' प्रीतम के बारे में कहा जाता है कि वह मीडिया से बहुत भागते हैं. वह खुद भी इस बात को कबूल करते हैं. वह कहते हैं, ''मेरी मुश्किल यह है कि मैं अपने काम में ज्यादा रमा रहता हूं.

एक फिल्म के संगीत में मुझे बहुत वक्त लगता है. फिर फिल्म संगीत के अलावा भी संगीत से जुड़े मेरे कई काम हैं. मैं कोई एक्टर नहीं हूं. शुरू से ही स्टारडम का कोई लबादा मैंने नहीं ओढ़ा है. रिकॉर्डिर्ंग रूम में रहना मुझे ज्यादा अच्छा लगता है. वहां से बाहर निकालता हूं तो आप जैसे मीडियामैन मुझे पकड़ लेते हैं. इसीलिए कई बार टाइम मैनेजमेंट को लेकर मंै मुश्किल में पड़ जाता हूं. मैं अपनी सफलता का ज्यादा आकलन भी नहीं करता हूं.

अपनी पहली फिल्म से लेकर आज तक मैं सिर्फ अपना काम कर रहा हूं. पंचम दा, मदन मोहन, सलिल दा आदि मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं. उनका म्यूजिक मुझमें एक नया उत्साह भरता है. इन महान लोगों से मैंने बहुत कुछ सीखा है.'' धुन चोरी के आरोप सामान्य संगीत के प्रति पूरे समर्पण के बावजूद बीच-बीच में प्रीतम पर भी धुन चोरी के आरोप लगते हैं. वह इसे बहुत साधारण-सी बात मानते हैं. उनके मुताबिक ऐसे आरोप तो कई महान संगीतकारों पर भी लग चुके हैं.

प्रीतम बताते हैं, ''मेरी कमजोरी यह है कि मैं अच्छी सुर रचना से लगातार प्रेरित होता रहता हूं. पर आज हम संगीतकारों को एक बड़े संकट का भी सामना करना पड़ रहा है. पहले की तुलना में आज बिल्कुल अच्छे गायक नहीं आ रहे हैं. आज तो तकनीक के सहारे उनकी आवाज की खामियों को संभाला जा रहा है, जबकि पुराने दौर के गायक इतने ज्यादा परफेक्ट थे कि उनके लिए किसी तकनीक की जरूरत नहीं पड़ती थी.

Web Title: pritam says that new singers has no perfection like old singers

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