नवाद लपिड ने एक बार फिर कहा, "मैंने बर्लिन, कान, लोकार्नो और वेनिस में दर्जनों फिल्म फेस्टिवल देखा है, 'द कश्मीर फाइल्स' अश्लील और सस्ते प्रचार वाली फिल्म है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 4, 2022 02:22 PM2022-12-04T14:22:27+5:302022-12-04T14:28:14+5:30
53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी अध्यक्ष और इजराइली फिल्मकार नवाद लपिड ने अपने ताजा बयान में कहा कि वो किसी भी फिल्म को निष्षक्ष दृष्टिकोण से देखते हैं लेकिन फिल्म द कश्मीर फाइल्स में उन्हें ऐसी कोई बात नजर नहीं आयी, जो उन्हें प्रभावित करे।
दिल्ली: 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के जूरी अध्यक्ष और इजराइली फिल्मकार नवाद लपिड ने एक बार फिर फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर टिप्पणी करते हुए बेहद साधारण और सपाट फिल्म मानते हुए फेस्टिवल में शामिल किये जाने के लायक नहीं बताया है। नवाद लपिड ने गोवा में आयोजित हुए भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म को उस समय विवादित बना दिया था, जब उन्होंने बतौर जूरी प्रमुख फिल्म की आलोचना करते हुए उसे अश्लील तक करार दिया था। लपिड ने अपने ताजा बयान में कहा कि वो किसी भी फिल्म को निष्षक्ष दृष्टिकोण से देखते हैं लेकिन फिल्म द कश्मीर फाइल्स में उन्हें ऐसी कोई बात नजर नहीं आयी, जो उन्हें प्रभावित करे।
उन्होंने कहा, “जब मैं जूरी (फिल्म फेस्टिवल) में होता हूं, तो उसमें शामिल की गई फिल्मों का कैटलॉग पढ़ने की कोशिश नहीं करता हूं। जब मैंने फिल्म द कश्मीर फाइल्स (2022) देखी, तब मुझे पता था कि यह एक भारत की ओर से नॉमिनेटेड है। कमोबेश यही एक चीज है, जो मैं फिल्म के बारे में जानता था। हालांकि, जब मैंने इसे देखा तो यह फिल्म मुझे अश्लील और सस्ते प्रचार वाली लगी। मैं विवादित फिल्मों के खिलाफ नहीं हूं और न ही मैं द कश्मीर फाइल्स में दिखाई गई हिंसा के स्तर के खिलाफ हूं। हालाँकि, इसने मुझे निराश किया, क्योंकि फिल्म में कोई आंतरिक विरोधाभास, जटिलता या द्वंद नहीं था। यह बिल्कुल सपाट थी।"
गोवा के फिल्म फेस्टिवल से पहले अंतरराष्ट्रीय फिल्मकार के तौर पर पहचान रखने वाले इज़राइली लेखक और निर्देशक लपिड को लंबे समय तक चलने वाले कश्मीर संघर्ष के बारे में बेहद कम मालूम था। हालांकि आईएफएफआई जूरी प्रमुख के रूप में गोवा आने से पहले उन्होंने भारत के राजनीतिक स्थितियों के बारे में थोड़ा बहुत पढ़ा था। द कश्मीर फाइल्स देखने के बाद लपिड इस बात को बेहद मजबूती से स्वीकार करते हैं कि उन्हें फेस्टिवल के मंच से अपने विचार रखने चाहिए थे, भले ही कई लोग इस फिल्म के समर्थन में थे।
उन्होंने कहा, "स्वाभाविक रूप से मैं एक ऐसा आदमी नहीं हूं कि तुरंत ही किसी बात पर उत्तेजना में आकर अपने विचार रखूं, लेकिन इसके बारे में (द कश्मीर फाइल्स) में मुझे ऐसा लगा कि कुछ कहा जाना चाहिए। इस कारण से मैंने अन्य जूरी सदस्यों ने भी अपनी भावनाओं को साझा किया। बीते सोमवार शाम फिल्म फेस्टिवल के समापन समारोह में लपिड ने जूरी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा था, "हम (जूरी के सदस्य) फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' से परेशान और हैरान थे। यह फिल्म हमें एक प्रचार, अश्लील फिल्म की तरह लगी, जो इस तरह के प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल के लिए अनुपयुक्त है।
लपिड के इस बयान के उलट ज्यूरी केअन्य सदस्य सुदीप्तो सेन द्वारा कहा गया कि फेस्टिवल के समापन समारोह में लपिड ने कुछ कहा वह "उनका निजी विचार" था। इस आरोप पर लपिड ने कहा, "केवल मैंने नही बल्कि जूरी के अन्य सदस्यों ने भी महसूस किया कि यह एक प्रचार फिल्म थी। जूरी के सभी सदस्य मंच पर इसके बारे में बात करने वाले थे और हमने उस पर चर्चा भी की थी। मैंने जो स्टैंड लिया है, उसके खिलाफ जूरी का कोई भी सदस्य नहीं था।"
इस पूरे विवाद में सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि जूरी सदस्य सुदीप्तो सेन के अलावा अन्य सदस्यों, जिसमें जूरर और बाफ्टा (ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स) के विजेता जिन्को गोटोह भी शामिल थे। उन्होंने लपिड के बयान का समर्थन किया है और उनके साथ ही जूरी के दो अन्य सदस्यों, फ्रांस के पत्रकार जेवियर एंगुलो बारटुरेन और फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस ने भी बयान जारी करके लपिड द्वारा 'द कश्मीर फाइल्स' के बारे में दिए गए बयान पर सहमति जताई है।
फ्रांस के पत्रकार जेवियर एंगुलो बारटुरेन और फ्रांसीसी फिल्म संपादक पास्कल चावांस ने सामूहिक बयान जारी करते हुए कहा, “हम लपिड के बयान का समर्थन करते हैं और उस पर कायम हैं। हम स्पष्ट कहना चाहते हैं कि हमें यह देखकर बहुत दुख होता है कि फेस्टिवल का मंच राजनीति के लिए इस्तेमाल किया गया और बाद में लपिड पर फिल्म की आलोचना के लिए व्यक्तिगत हमले भी किये गये।”
फिल्म की आलोचना पर अब भी कायम लपिड ने कहा, "मैं बर्लिन, कान, लोकार्नो और वेनिस में आयोजित दर्जनों अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में बतौर जूरी शिरकत की है। मैंने कभी भी इन फेस्टिवल्स में द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म नहीं देखी। मैं अब भी अपनी बात पर पूरी मजबूती के साथ कायम हूं कि इस तरह की फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के लिए नहीं चुना जाना चाहिए था।"