Mimi Movie Review: एंटरटेन करने के साथ साथ इमोशनल भी कर देगी आपको ‘मिमी’, पंकज-कृति की दमदार एक्टिंग जीत लेगी दिल
By वैशाली कुमारी | Published: July 28, 2021 05:27 PM2021-07-28T17:27:04+5:302021-07-28T17:27:04+5:30
मिमी की कहानी ने दबे पाँव ही सही लेकिन समाज में एक महिला को लेकर घुली हुई कुरीतियों पर भी प्रहार किया है।
• फिल्म- मिमी
• अवधि- 2 घण्टे 13 मिनट
• मेन लीड- कृति सेनन, पकंज त्रिपाठी
• डायरेक्टर- लक्षमण उतेकर
• म्यूज़िक- ए॰ आर॰ रहमान
• IDBM- 8.5/10
सबसे पहले बात करते हैं फिल्म की कहानी के बारे में। कहानी है मिमी नाम की एक मिडिल क्लास लड़की की, जो बालीवुड जा कर हीरोइन बनने का सपना देखती है। अपने सपने को पूरा करने के लिए उसे ज़रूरत है पैसों की। इसलिए मिमि होटल में डांसर का काम करती है। लेकिन उसे इतने पैसे नहीं मिलते हैं, जितने पैसे उसे बॉलीवुड जाने के लिये चाहिए। फिर उसकी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जो मिमि की पूरी जिन्दगी को उलट-पलट कर रख देता है। पूरी कहानी इसी किरदार को केन्द्र मे रखकर गढ़ी गई है। लेकिन मिमि की इस कहानी में कुछ और भी महत्वपूर्ण किरदार हैं जिनसे रूबरू होना जरूरी है।
हमें मिमी के किरदार में दिखाई देती हैं कृति सेनन। मिमी के बारे में तो मैं आपको ऊपर बता ही चुकी हूं। अब इसके बाद कहानी में दूसरा सबसे अहम किरदार है "भानुप्रताप पाण्डेय" यानी पंकज त्रिपाठी का। भानुप्रताप पाण्डेय एक टैक्सी ड्राइवर है जो राजस्थान घूमने आने वाले टूरिस्ट को वहां की सैर कराता है। तीसरा अहम किरदार है मिमि की सहेली समा का। समा का किरदार निभाया है साई तमहनकर ने। समा एक तलाक़ सुदा औरत है और वह भी मिमि के साथ ही काम करती है। मिमि जब भी इस समाज से लड़ते हुये अपने आप को कमजोर महसूस करती है तो समा हमेशा मिमि के साथ खड़ी हो जाती है। कुल मिलाकर सभी किरदारों के कहानी में होने की अपनी एक जायज़ वजह है।
अगर आप बॉलीवुड में जबरजस्ती परोसे जाने वाले फूहड़पन और बे-सिर-पैर के एक्शन सीन से तंग आ चुके हैं तो 'मिमी' देखना आपके लिये एक बेहतर चॉइस हो सकती है। एक अलग थीम पर बनी फिल्म मिमी की कहानी, कब कॉमेडी से निकल कर हमें इमोशनल कर जाती है पता ही नहीं चलता।
माँ की ममता और उसके बेजोड़ प्रेम को मानो इस फिल्म ने शब्द दे दिए हों। किस तरह मिमी अपने परिवार, लोगों और इस समाज के सामने खड़ी होती है, अपने करियर और अपने सपनों को एक माँ किस तरह अपनें बच्चे के लिए कुर्बान कर सकती है, मिमि की कहानी इस बात को बखूबी बयां करती है।
हंसते-हँसाते मिमी की कहानी, एक सिनेमा प्रेमी के तौर पर आपके दिल में उतरकर ऑखों को ज़रूर नम कर जाती है। खैर एक दर्शक के तौर पर आपके जज्बात इस कहानी को जिस मोड़ पर ख़त्म करवाना चाहतें हैं, कहानी भी वहीं ख़त्म होती है।
मिमी की कहानी ने दबे पाँव ही सही लेकिन समाज में एक महिला को लेकर घुली हुई कुरीतियों पर भी प्रहार किया है। फिल्म में कुछ ऐसे डायलाग है जो आपकी अंतरआत्मा को छू लेंगे जैसे, "इस परिवार के बाहर भी मेरी पहचान है" और "जो हम सोचते हैं ज़िन्दगी वो नहीं बल्कि, जो हम जीते हैं ज़िन्दगी वो होती है " जैसे डायलाग्स आपके दिल में उतर जाते हैं।
अगर ऐक्टिंग की बात करें तो पंकज त्रिपाठी उम्मीद के मुताबिक ही शानदार हैं। फिल्म में वह ड्राइवर के किरदार में हैं और उसी तरह वो इस फिल्म को बिलकुल नपे-तुले अंदाज़ में लेकर आगे बढ़ते हैं। फ़िल्म से दर्शकों को बांधकर रखनें का जिम्मा एक तरह से भानुप्रताप पाण्डेय यानी पंकज त्रिपाठी के उपर ही है, और इस पर बहुत हद तक वह कामयाब भी हुये हैं। कृति सेनन की भी ऐक्टिंग काबिले-तारीफ़ है। फिल्म के म्यूज़िक की बात करें तो, फिल्म में एआर रहमान का म्यूज़िक आपको जरूर पसंद आयेगा।
फिल्म का डायरेक्शन काफी शानदार है, वाइड एंगल और क्लोज-अप शाट्स का अच्छा इस्तेमाल किया गया है। कुल मिलाकर यह फिल्म आपके लिए एंटरटेनमेंट का कम्पिलीट पैकेज साबित हो सकती है। अगर आप काफी समय कुछ अच्छा ढूंढ रहे हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।