Kedarnath: केदारनाथ धाम में हिंदू-मुस्लिम समाज का नाजुक रिश्ते को दिखाती है ये फिल्म
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 8, 2018 01:21 PM2018-12-08T13:21:42+5:302018-12-08T13:21:42+5:30
मदद के लिए दौड़ कर आने वाला गरीब हीरो, अमीर खूबसूरत हीरोइन, उसका गुस्सैल और घमंडी मंगेतर तथा इन्सानियत का दर्शन कराने वाली एक भीषण आपदा आदि सब कुछ इस फिल्म में है.
-जाह्नवी सामंत
सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान की डेब्यू फिल्म 'केदारनाथ' शुक्रवार को रिलीज हो गई. सारा की इस पहली फिल्म की चर्चा काफी समय से थी और इसको लेकर सब काफी उत्साहित भी थे. तो आइए, जान लेते हैं कि फिल्म कैसी है. संक्षेप में कहें तो फिल्म 'केदारनाथ' ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर 'टाइटैनिक' का हिंदी रीमेक है. जहाज डूबने के बजाय महाप्रलय के बदलाव को छोड़ दें तो 'टाइटैनिक' और 'केदारनाथ' में काफी समानताएं हैं.
मदद के लिए दौड़ कर आने वाला गरीब हीरो, अमीर खूबसूरत हीरोइन, उसका गुस्सैल और घमंडी मंगेतर तथा इन्सानियत का दर्शन कराने वाली एक भीषण आपदा आदि सब कुछ इस फिल्म में है. 'केदारनाथ' के ट्रेलर को देख कर लग रहा था कि फिल्म में काफी रोना-धोना होगा, लेकिन इसके विपरीत फिल्म काफी मनोरंजक है. इसका प्रमुख कारण है मन्सूर (सुशांत सिंह राजपूत) और मुक्कू (सारा अली खान) की स्वीट और मासूम जोड़ी.
मन्सूर एक मुस्लिम युवक है और वह अपनी आजीविका चलाने के लिए केदारनाथ में पिट्ठू (पर्यटकों को पीठ पर लादकर गंतव्य तक पहुंचाने वाला) का काम करता है. दूसरी ओर फिल्म की हीरोइन मुक्कू जरा-सी जिद्दी और विद्रोही है. वह अपने पिता की दुकान और उनका काम संभालती है. उसके पिता (नीतीश भारद्वाज) केदारनाथ में अपनी दुकान चलाते हुए पुजारी का काम करते हैं.
मुक्कू के माता-पिता की इच्छा के विपरीत घरवाले उसकी शादी उन्हीं की बिरादरी के एक लड़के से तय कर देते हैं. इस वजह से मुक्कू अपने परिवारवालों से काफी गुस्सा है. उसका यह गुस्सा विद्रोह में बदल जाता है. इसी बीच क्रिकेट के बहाने उसकी मन्सूर से पहचान हो जाती है. दोनों दोस्त बन जाते हैं. धीरे-धीरे यह दोस्ती प्यार में तब्दील हो जाती है.
मन्सूर यह बात जानता है कि एक हिंदू लड़की से उसका रिश्ता काफी दूर तक नहीं चल पाएगा. इसके बावजूद मुक्कू और मन्सूर एक-दूसरे के प्यार में खो जाते हैं. उनके रिश्ते का परिवार वाले तो विरोध करते ही हैं, लेकिन इस प्रेम प्रकरण की वजह से गांव में सांप्रदायिक संघर्ष भी बढ़ जाता है. इसके पश्चात केदारनाथ में महाप्रलय आ जाता है.
इसमें मुक्कू और मन्सूर का प्यार कैसे बरकरार रहता है, यह रिश्ता किस स्तर पर पहुंचता है, इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी. 2013 में केदारनाथ में आए विनाशकारी महाप्रलय में 4300 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 70 हजार लोग लापता हुए थे. इस महाप्रलय की पृष्ठभूमि पर तैयार की गई 'केदारनाथ' एक संवेदनशील फिल्म है.
ग्लोबल वॉर्मिंग, प्रदूषण का बढ़ता खतरा, हिंदू-मुस्लिम समाज का नाजुक रिश्ता, इस रिश्ते का राजनीतिक प्रभाव और इन सबमें एक मासूम और स्वार्थहीन प्रेमकहानी इन तमाम धागों को निर्देशक अभिषेक कपूर ने बहुत ही खूबसूरत अंदाज से एक-दूसरों में गूंथा है. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी भी उतनी ही असरदार है.
इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत और सारा अली खान ने कमाल की एक्टिंग की है. मानवीय स्वभाव और प्रकृति इन दोनों ताकतों के स्वार्थ, परमार्थ और क्रोध के कई पहलुओं को यह फिल्म उजागर करती है और इसी वजह से दिल को छू जाती है.
(जाह्नवी सामंत लोकमत समाचार से जुड़ी हैं)