Kedarnath Review: डायरेक्शन और कहानी में है झोल, सारा अली खान के लिए देख सकते हैं फिल्म
By प्रतीक्षा कुकरेती | Published: December 7, 2018 12:58 PM2018-12-07T12:58:58+5:302018-12-07T15:23:58+5:30
Kedarnath Movie Review in hindi: अभिषेक कपूर की फिल्म केदारनाथ उत्तराखंड के पहाड़ों और वादियों में बनी हैं. फिल्म कि कहानी 2013 में केदरानाथ में आई प्राकृतिक आपदा था पर आधारित है , जिसके साथ एक प्रेम कहानी को बुना गया. 'रॉक ऑन' और 'काई पो चे' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले अभिषेक कपूर की फिल्म केदारनाथ से सैफ अली खान और पहली पत्नी अमृता सिंह सारा अली खान अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं. उनके अपोजिट सुशांत सिंह राजपूत हैं जिनका दिल छू लेने वाला किरदार हैं.
अभिषेक कपूर कि फिल्म केदारनाथ उत्तराखंड के पहाड़ों और वादियों में बनी हैं. फिल्म कि कहानी 2013 में उत्तराखंड के केदरानाथ में आई प्राकृतिक आपदा पर आधारित है। इस प्राकृतिक विभीषिका के ईर्द-गिर्द एक प्रेम कहानी को बुना गया. 'रॉक ऑन' और 'काई पो चे' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले अभिषेक कपूर की फिल्म केदारनाथ से सैफ अली खान और पहली पत्नी अमृता सिंह सारा अली खान अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं. उनके अपोजिट सुशांत सिंह राजपूत हैं जिनका दिल छू लेने वाला किरदार हैं.
'केदारनाथ' की कहानी
'केदारनाथ (Kedarnath)' की कहानी उत्तराखंड केदारनाथ धाम की है. पंडितजी की बेटी मन्दाकिनी यानी मुक्कू (सारा अली खान) को मंसूर (सुशांत सिंह राजपूत) नाम का एक पिट्ठू का काम करने वाले नौजवान से प्यार हो जाता है. दोनों को एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत हो जाती है. लेकिन हर लव स्टोरी की तरह प्यार करने वालो का दुश्मन ज़रूर होता है.
मुक्कू ठहरी केदारनाथ के सबसे बड़े पंडितजी की बिटिया और मंसूर एक मुसलमान. तो बीच में आ जाती है धर्म की एक बड़ी दीवार जिसकी वजह से रिश्ता नामुमकिन है. यह रिश्ता नामुमकिन है. और हर एक प्रेम कहानी की तरह यहाँ भी कुछ ऐसा ही होता है लड़की की शादी हो जाती है और लड़के की बुरी तरह पिटाई हो जाती है, सबकुछ बिखर जाता है, लेकिन मोहब्बत जिंदा रहती है. फिर लंबे इंतजार के बाद आती है केदारनाथ का प्राकृतिक त्रासदी. डायरेक्टर अभिषेक कपूर ने केदारनाथ में मची तबाही को फिल्म का बैकड्रॉप बनाया है।
केदारनाथ का रिव्यू
केदारनाथ फिल्म का सारा फोकस मुक्कू और मंसूर की लव स्टोरी पर है. इस तरह की त्रासदी के बीच लव स्टोरी को स्थापित करने की अभिषेक कपूर की कोशिश थोड़ी कमज़ोर साबित होती है. डायरेक्शन थोडा कमजोर है क्यूंकि कहानी कुछ भी नया नहीं दिखाती है. फिल्म के ट्रेलर में हम आलरेडी सब कुछ देख चुके थे. फिल्म किसी एक चीज़ को पकड़ कर नहीं बैठी यानी ना तो लव स्टोरी के तौर पर छूती है और न ही केदारनाथ त्रासदी का दर्द पूरा दर्द बयान कर पाती है.
लेकिन फिल्म का हाईलाइट है सारा अली खान का मज़बूत डेब्यू. सारा अली खान की परफॉर्मेंस दमदार है। पूरी फिल्म में उनकी एक्टिंग को देखकर लगा ही नहीं की वो अपना इस फिल्म से डेब्यू कर रही है. उनका कॉन्फिडेंस, उनकी ब्यूटी, उनका अभिनय एकदम शानदार है दर्शकों को बांधती है. सारा जिस भी सीन में नजर आती हैं एकदम फ्रेश लगती। और कही कही पर वो 'बेताब' की अमृता सिंह की याद दिलाती हैं।
सुशांत सिंह राजपूत के साथ उनकी केमिस्ट्री देखने लायक है. सुशांत एक दमदार एक्टर है और हमेशा की तरह इस फिल्म में भी उन्होंने अच्छा अभिनय किया है लेकिन उनकी इससे बेहतर परफॉर्मेंस दर्शक देख चुके हैं. सारा उनपर थोड़ी भारी नज़र आती है. स्क्रीनप्ले अच्छा है लेकिन कुछ कमियाँ। तुषार कान्ति की ड्रोन असिस्टेड सिनेमटॉग्रफी जानदार और शानदार है और हिमालय की खूबसूरत तस्वीरों को बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया है। उत्तराखंड की खुबसूरत वादियों को आप देख सकते हो.
लव स्टोरी के हिसाब से फिल्म में कुछ खास रोमांटिक गाने नहीं है। 'नमो-नमो' के अलावा अमित त्रिवेदी केदारनाथ के बैक ड्राप के हिसाब से कुछ कमाल नहीं कर पाए है. कंप्यूटर ग्राफिक्स और स्पेशल इफेक्ट्स के जरिए केदारनाथ में हुई त्रासदी को बखूभी दिखाया गया है. हर तरह से फिल्म में जान डालने की कोशिश करी है लेकिन फिल्म की कहानी पर और काम हो सकता था. हालाँकि सारा अली खान के लिए आप ये फिल्म ज़रूर देख सकते है.