बर्थडे स्पेशल जावेद अख्तर: जब पर्दे पर टूट गई थी जावेद की सलीम से जोड़ी, जानें इसके पीछे का अहम कारण?
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: January 17, 2019 08:31 AM2019-01-17T08:31:56+5:302019-01-17T08:31:56+5:30
'तुमको देखा तो ये खयाल आया' हो या फिर 'प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी जैसे अनगिग गानों को पर्दे पर उतारने वाले जावेद साहब का आज जन्मदिन है।
एक गीतकार के रूप में जावेद अख्तर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 'तुमको देखा तो ये खयाल आया' हो या फिर 'प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी जैसे अनगिग गानों को पर्दे पर उतारने वाले जावेद साहब का आज जन्मदिन है।जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। लेकिन बॉलीवुड के कुछ सितारे हमेशा दिलों में राज करते हैं। उनमें से एक है सलीम जावेद की जोड़ी। भारतीय सिनेमा के सुनहरे इतिहास में सलीम-जावेद की सबसे सफल स्क्रिप्टराइटर जोड़ी रही है। इस जोड़ी ने अपनी पहली ही फिल्म से पर्दे पर धमाल मचाया था। राजेश खन्ना की फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ ने इस जोड़ी को पहला और सफल मौका दिया। जबकि दुबले-पतले और लंबे नौजवान अमिताभ बच्चन को स्टार बनाने वाली भी यही जोड़ी है। लेकिन एक दिन अचानक ये जोड़ी टूट गई और पर्दे की नायाब जोड़ी फैंस से जुदा हो गई। आइए जानते हैं इस बेमिसाल जोड़ी के बनने के लेकर टूटने तक की पूरी कहानी-
जब बनीं दोनों की जोड़ी
कहते हैं सलीम खान इंदौर से मुंबई हीरो बनने आए थे। फिल्म ‘सरहदी लुटेरा’ में वह हीरो के किरदार में थे। जावेद अख्तर उस फिल्म को असिस्ट कर रहे थे। यहीं इन दोनों दिग्गजों की पहली बार मुलाकात हुई और फिर बहुत अच्छे दोस्त बन गए। फिर इस दोस्ती ने साथ में काम करने का फैसला लिया। जिसके बाद हाथी मेरे साथी के जरिए ये जोड़ी पहली बार पर्दे पर आई और छा गई।
साथ में की फिल्में
सलीम-जावेद की इस जोड़ी ने करीब 15 साल तक एक दूसरे के साथ काम किया।दोनों ने साथ में एक से बढ़कर एक फिल्में दीं। ‘सीता और गीता’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘यादों की बारात’, ‘हाथ की सफाई’, ‘शोले’, ‘क्रांति’, ‘त्रिशूल’, ‘जमाना’, ‘मिस्टर इंडिया’। दोनों ने जितनी भी फिल्में साथ में की सभी पर्दे पर हिट साबित हुईं। ये पहले स्क्रिप्टराइटर्स हुए जिन्होंने फिल्म पोस्टर्स और स्क्रीन पर भी अपना नाम डलवाया। इनसे पहले राइयटर्स के नाम स्क्रीन पर नहीं आते थे।
जब टूट गई जोड़ी
अनिता पाध्ये की मराठी किताब ‘यही है रंगरूप’ में उस बात का उल्लेख है कि इन दोनों की जोड़ी किस कारण से हमेशा के लिए टूट गई थी। इसके मुताबिक सलीम-जावेद ने मिलकर ‘मि. इंडिया’ लिखी। अमिताभ को जब पता चला कि फिल्म में उनके चेहरे से ज्यादा आवाज का प्रयोग होगा तो उन्होंने इसके लिए मना कर दिया। कहते हैं कि इस बात से सलीम इतना गुस्सा हो गए कि उन्होंने कभी अमिताभ बच्चन के साथ काम न करने की बात कही। पर जावेद की बात की जाए तो वह इसके लिए राजी नहीं थे। यहीं से दोनों के रिश्ते में दरार आ गई। इसके बाद फिर कुछ दिनों बाद होली की पार्टी में जावेद ने अमिताभ बच्चन से कहा कि सलीम उनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं। सलीम खान ने इंटरव्यू में बताया कि एक शाम जावेद अख्तर ने ही उनसे कहा कि अब दोनों को अलग-अलग काम करना चाहिए। सलीम खान उस वाकये को याद करते हुए कहते हैं, ‘मैं जावेद के घर पर था। हम किसी प्रोजेक्ट पर चर्चा कर रहे थे। दिनभर के काम के बाद जब मैं वहां से निकलने वाला था। जावेद साहब ने कहा कि उन्हें लगता है कि अब हम दोनों को अलग-अलग काम करना चाहिए। मैं उनकी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रहा। फिर मैंने उनसे कहा- मुझे पूरा भरोसा है कि आपने बहुत सोच-समझकर ये फैसला किया होगा और शायद मेरे कुछ कहने से आपका फैसला नहीं बदलेगा।’
एक्टर्स से महंगी थी ये जोड़ी
बुलंदियों पर पहुंचने के बाद इन दोनों ने कई फिल्मों को रिजेक्ट भी किया। कहते हैं इन दोनों की मार्केट में इतनी वैल्यू थी कि इन्होंने एक्टर्स से भी ज्यादा फीस ली। कहा जाता है कि ज्यादा पैसे लेने के पीछ सलीम साहब का हाथ था वह एक बिजनेसमैन की सोच रखते थे। लेकिन जब 1982 में दोनों अलग गए को तो लोगों ने पूछा भी कि आप दोनों की जोड़ी क्यों टूटी? इस पर सलीम ने कहा, ‘हर चीज की एक एक्सपायरी डेट होती है और हमारी पार्टनरशिप की भी डेट एक्सपायर हो गई थी।’ इसके बाद जावेद अख्तर ने जहां लिरिक्स राइटर बन गए, वहीं सलीम खान धीरे-धीरे सिनेमा से दूर हो गए। सलीम-जावेद की इस कामयाब जोड़ी ने छह फिल्मफेयर अवार्ड्स अवार्ड अपने नाम किए हैं।
सब बदल गया
फिल्म ‘सिलसिला’ के लिए जावेद अख्तर ने के गीत लिखने का काम शुरू किया। उन्होंने सलीम खान से कहा कि वो ‘सलीम-जावेद’ के नाम से ही लिरिक्स लिखना चाहते हैं। लेकिन सलीम खान ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं ऐसे किसी काम का क्रेडिट नहीं लेना चहता जो मैंने नहीं किया है।