International Womens Day 2020: समाज से लड़ने के जज़्बे को दिखाती है यह फिल्में, देखकर आपके हौसलों को भी मिलेगी नई उड़ान
By अमित कुमार | Published: March 7, 2020 07:12 AM2020-03-07T07:12:28+5:302020-03-07T07:12:28+5:30
इंटरनेशनल विमेंस डे 8 मार्च को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आज हम आपको बॉलीवुड की हाल में आई कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे जिसमें महिलाओं ने समाज को एक कड़ा संदेश पहुंचाने का काम किया है।
बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से एक्ट्रेसेस लीड रोल प्ले कर फिल्म को सफल बनाने में कामयाब रही हैं। तापसी पन्नू, भूमि पेडनेकर, कंगना रनौत, दीपिका पादुकोण और रानी मुखर्जी का नाम उन एक्ट्रेसेस में लिया जाता है जो अपने दम पर फिल्म को हिट कराना जानती हैं। इंटरनेशनल विमेंस डे 8 मार्च को मनाया जाने वाला है। ऐसे में आज हम आपको बॉलीवुड की हाल में आई कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताएंगे जिसमें महिलाओं ने समाज को एक कड़ा संदेश पहुंचाने का काम किया है।
जब एक थप्पड़ की वजह से हुआ तलाक
दिल्ली की पॉश सोसाइटी में रहने वाली अमृता (तापसी पन्नू ) अपने पति विक्रम (पावैल गुलाटी ) से सिर्फ एक थप्पड़ की वजह से तलाक ले लेती हैं। विक्रम अपने करियर को लेकर काफी महत्वाकांक्षी रहता है। वह अमृता की खुशियों को समझ नहीं पाता और दोनों के बीच एक थप्पड़ को लेकर चीजें इतनी उलझती है कि नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। भले ही थिएटर में फिल्म की कमाई कुछ खास न रही हो, लेकिन तापसी के इस एक फैसले से समाज को एक बड़ा संदेश जरूर जाता है।
सपनों को पूरा करने के लिए उम्र की जरूरत नहीं
जया निगम(कंगना) भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तान रह चुकी है। लेकिन शादी के बाद परिवारिक जिम्मेदारियों के कारण वह खेलना छोड़ देती हैं। अब वह रेलवे में नौकरी कर रही होती है। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा होता है कि जया को बेटा और पति उसे फिर से खेलने के लिए प्रेरित करता है। जया भी दोबारा देश के लिए खेलना चाहती है, इस काम में उसकी दोस्त मीनू (ऋचा चड्ढा) उसकी मदद करती है और वह भारत को जीत दिलाने में सफल रहती है।
समाज के लिए सबक छपाक की कहानी
छपाक की कहानी मालती (दीपिका पादुकोण) नाम की लड़की की जिंदगी पर आधारित है। मालती को एक शख्स शादी के लिए प्रपोज करता है जिसके लिए वो इंकार कर देती है, जिसके बाद वो शख्स मालती पर एसिड से हमला करता है। इसके बाद मालती की जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। इसके बाद हालातों के कारण मालती नौकरी की तलाश में जुट जाती है। इसी दौरान उसकी मुलाकात अमोल (विक्रांत मैसी) से होती है।
जो पत्रकार से साथ समाजसेवक हो चुका है और एक एनजीओ चलाता है। अमोल एसिड अटैक पीड़ितों का इलाज करवाता है और उनके लिए लड़ता है। मालती भी इस एनजीओ से जुड़ जाती है। साथ ही खुद के खिलाफ हुए हमले पर आवाज उठाती है। वह तेज़ाब बैन कराने के लिए कानून में बदलाव की भी मांग करती है।
मर्दानी बनकर रानी ने दिखाया दम
फिल्म की कहानी राजस्थान की है। यहां एक दरिंदा लड़कियों को किडनैप करता है फिर उनके साथ रेप करता है और टार्चर करके उनकी हत्या कर देता है। ऐसा ही दिल देहला देने वाला मामला सामने आता है जिसकी हैवानियत देख कर पूरे देश का खून खौल उठता है। इस हैवानियत वाले केस को सैल्व करने आती है शिवानी शिवाजी रॉय यानि रानी मुखर्जी।
फिल्म में हैवानियत करने वाला विलेन (विशाल जेठवा) है। जो पुलिस के साथ गेम खेलता है। वह पुलिस ऑफिसर शिवानी को चुनौती देता है कि वह फिर एक और लड़की के साथ ऐसी ही हैवानियत करने जा रहा होता है, जिसे रानी मुखर्जी बचाने में कामयाब हो जाती है।
महिला प्रधान फिल्म है 'सांड की आंख'
जोहरी गांव बागपथ की रहने वाली प्रकाशी तोमर और चंद्रो तोमर जो अपने घर परिवार को पूरी तरह से जी रही हैं। उनके परिवार में महिलाओं को बाहर जाने की इजाजत नहीं है। दोनों दादियों की जिंदगी केवल घर का काम बच्चे संभालना और खेत देखना है। उनके मर्दो को परेशानी ना और वह उनको पहचान सकें इसलिए वह अलग अलग रंग दुप्पटे पहनती हैं।
सख्त नियमों में प्रकाशी और चंद्रो ने आधी उम्र निकाल दी है। लेकिन फिर वह चाहती हैं जैसी उनकी जिंदगी है वैसी उनकी बेटी या पोतियों की ना हो। लेकिन बेटियों और पोतियों की राह बनाते बनाते खुद प्रकाशी और चंद्र एक दिन शूटर दादी बन जाती हैं। तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने इस फिल्म में जबरदस्त एक्टिंग का परिचय दिया था।