जानिए किस टीवी चैनल पर आज से रामायण, महाभारत का होगा प्रसारण, मुफ़्त हैं दोनों चैनल नहीं देना होगा एक भी पैसा
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: March 28, 2020 09:35 AM2020-03-28T09:35:10+5:302020-03-28T09:44:21+5:30
टीवी के चर्चित सीरियल 'महाभारत' 2 अक्टूबर 1988 को दूरदर्शन पर शुरू हुआ था और 24 जून 1990 तक इसके 94 एपिसोड प्रसारित किए गए थे। उस समय 'महाभारत' एक घंटे का आता था।
कोरोना वायरस का कहर हर तरफ देखने को मिल रहा है। इस वायरस ने भारत में भी तबाही मचाना शुरू कर दिया है। ऐसे में अब देश को बचाने के 21 दिन के लॉकडाउन कर दिया गया है। ऐसे में इन दिनों हर कोई अपने घर पर वक्त गुजार रहा है। कोरोना वायरस की चोट मनोरंजन इंडस्ट्री पर पड़ी है। कोरोना के कारण ना तो कई फिल्म रिलीज हो रही है या ना ही किसी सीरियल की शूटिंग इन दिनों हो पा रही है। कई टीवी चैनल शोज के रिपीट टेलीकास्ट दिखाने पर मजबूर हैं।
ऐसे में सरकार ने इस बात को मान लिया है और ऐलान किया है कि दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामायण दिखाई जाएगी। मंत्री सूचना और प्रसारण प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि जनता की मांग पर यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हम कल, शनिवार 28 मार्च से डीडी नेशनल में 'रामायण' का पुन: प्रसारण शुरू कर रहे हैं, एक एपिसोड सुबह 9 बजे से सुबह 10 बजे तक, दूसरा शाम 9 बजे से रात 10 बजे तक आएगा।
वहीं, रामायण के बाद महाभारत के प्रसारित होने की भी घोषणा की गई है।सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ट्वीट कर बताया है कि 28 मार्च से डीडी भारती पर दोपहर 12.00 बजे और शाम 7.00 बजे 'महाभारत' के रोज 2 एपिसोड का प्रसारण किया जाएगा।
आज सुबह 9.00 बजे और रात 9.00 बजे देखना न भूले 'रामायण' @DDNational पर ।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) March 28, 2020
आज दोपहर 12.00 बजे और शाम 7.00 बजे देखना न भूले 'महाभारत' @DD_Bharati पर ।
अगर आपके यहाँ यह दोनों चैनल नहीं आते है तो अपने केबल ऑपरेटर से संपर्क करे। केबल ऑपरेटर को यह दोनों चैनल देना अनिवार्य है।
खास बात ये कि रामायण और महाभारत देखने के लिए फैंस को कई पैसे नहीं देने होंगे। ये दो शोज सभी की टीवी पर मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएंगे। रामायण दूरदर्शन और महाभारत डीडी भारती पर पेश किया जाएगा।
'महाभारत' 2 अक्टूबर 1988 को दूरदर्शन पर शुरू हुआ था और 24 जून 1990 तक इसके 94 एपिसोड प्रसारित किए गए थे।रामायण के किरदारों को उस वक्त वाकई में भगवान स्वरूप ही मानने लगे थे। वह जिस भी शहर या गांव-कस्बे में ये कलाकार जाया करते थे उन्हें भगवान सरीखा ही सम्मान दिया जाता था।