पहली फिल्म मिलने के पहले भूमि पेडनेकर को 6 साल ये सब करना पड़ा था, एक्ट्रेस ने बताई पूरी बात
By वैशाली कुमारी | Published: September 14, 2021 12:31 PM2021-09-14T12:31:51+5:302021-09-14T12:33:16+5:30
भूमि ने बताया कि उनके चयन के पहले तकरीबन 250 लड़कियों का ऑडिशन लिया गया था,जिसके बाद तकदीर की सुई उनके ऊपर आकर रुकी।
फिल्म दम लगा के हईशा फेम अभिनेत्री भूमि पेडनेकर आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि फिल्मों में आने से पहले भूमि पेडनेकर यशराज फिल्म्स के कास्टिंग डिवीजन का हिस्सा थीं।
फिल्म दम लगा के हईशा से प्रसिद्धि पाने वाली अभिनेत्री भूमि को ये फिल्म संयोग से ही मिली थी। टीम को यशराज फिल्म्स के बैनर तले बनने वाली फिल्म के अभिनेत्री की तलाश थी, भूमि की टीम फिल्म ‘दम लगा के हईशा’ की मुख्य नायिका संध्या के लिए संभावित अभिनेत्रियों का भी ऑडिशन कर रही थी। इस फिल्म में संध्या का किरदार उत्तर भारत की एक आत्मविश्वासी, अपने शरीर को लेकर सार्थक नजरिया रखने वाली अधिक वजन वाली लड़की का था।
भूमि ने बताया कि उनके चयन के पहले तकरीबन 250 लड़कियों का ऑडिशन लिया गया था, जिसके बाद तकदीर की सुई उनके ऊपर आकर रुकी। भूमि का कहना है कि जब वह फिल्मों के लिए कास्टिंग किया करती थीं तब कभी एक्टिंग का खयाल नहीं आया। भूमि बताती हैं कि वे अपने काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित थी, और कास्टिंग करने में इस कदर खोई हुई थी कि मेरे मन में एक बार भी खयाल नहीं आया कि ये रोल मैं भी कर सकती हूं।
ऑडिशन लेने के साथ-साथ मैं उन किरदारों को उसी वक्त निभाया भी करती थी। कभी मैं छह साल की बच्ची बन कर दिखाती थी तो कभी एक बूढ़ी औरत बन जाती थी। कुछ इसी तरह मै ऑडिशन के लिए आए लोगों को समझाया करती थी।
एक वाकया याद करते हुए भूमि कहती हैं, मै उन्हें समझाया करती थी और किरदार के हिसाब से सब कुछ करते करते मैं खुद किरदार में जम जाया करती थी। ऐसे में एक बार मेरा भी ऑडिशन लिया गया जिसके बाद मै काफी निराश थी क्यूंकि मुझे लगा कहीं मै बाकी की लड़कियों के साथ गलत तो नहीं कर रही।
संध्या की भूमिका फिल्म के निर्देशक शरत कटारिया ने बहुत सोच-विचार किया। वह चाहते थे कि संध्या के किरदार के लिए हम ऐसी लड़की का चुनाव करें जोकि उस किरदार से गुजरी हो, और सच कहूं तो मेरे चुनाव के बाद मुझे अहसास हुआ कि मै तो ऐसे किसी अहसास से नहीं गुजरी हूं। जिसके बाद मुझे अपनी काबिलियत साबित करने के लिए मेहनत करनी पड़ी और जिसका परिणाम सबके सामने है।
मुझे अपनी पहली फिल्म मिलने के पहले कैमरे के पीछे करीब 6 साल काम करना पड़ा। मुंबई में पैदा होने के कारण मेरी हिंदी शहरी लहजे की थी जिसको बाद में मैनें ठीक किया और फिल्म में संध्या के किरदार को निभा पाई।