बंगाली सिनेमा के दिग्गजों का छलका दर्द कहा- सिनेमा जगत में अमिट छाप छोड़ने वाले इरफान खान के साथ काम करने के मौके छूटने का हमेशा रहेगा अफसोस

By भाषा | Published: April 29, 2020 06:45 PM2020-04-29T18:45:22+5:302020-04-29T18:45:22+5:30

अपने तीन दशक के फिल्मी करियर में इरफान ने सांस्कृतिक और भाषायी सीमाओं को तोड़ते हुए ‘मकबूल’, ‘द नेमसेक’और ‘द लाइफ ऑफ पाई’ जैसी बेहतरीन फिल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

Bengali film veterans regret missed chances after Irrfan Khan death | बंगाली सिनेमा के दिग्गजों का छलका दर्द कहा- सिनेमा जगत में अमिट छाप छोड़ने वाले इरफान खान के साथ काम करने के मौके छूटने का हमेशा रहेगा अफसोस

(फाइल फोटो)

Highlightsइरफान ने बंगाली सिनेमा में केवल फिल्म ‘डूब’ में काम किया था, जिसे याद कर पूरा सिनेमा जगत आज शोकग्रस्त है।मशहूर बंगाली निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता ने कहा कि उन्होंने 1989 की ‘बाघ बहादुर’ और 2013 की फिल्म ‘अनवर का अजब किस्सा’ को लेकर इरफान से बात की थी लेकिन इन योजनाओं को मूर्त रुप देने में असफल रहे।

अभिनेता इरफान खान के असामयिक निधन के बाद बंगाली सिनेमा के दिग्गज फिल्मकारों का कहना है देश के सबसे अच्छे कलाकारों में से एक के साथ काम नहीं कर पाने का हमेशा अफसोस रहेगा, क्योंकि अब यह मौका फिर नहीं आ पाएगा। इरफान का मुम्बई के एक अस्पताल में बुधवार को निधन हो गया। वह 53 साल के थे और लंबे समय से एक दुलर्भ किस्म के कैंसर से जंग लड़ रहे थे। इरफान को 2018 में न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था। उनके परिवार में पत्नी सुतापा और दो बेटे बाबिल और अयान हैं। अपने तीन दशक के फिल्मी करियर में इरफान ने सांस्कृतिक और भाषायी सीमाओं को तोड़ते हुए ‘मकबूल’, ‘द नेमसेक’और ‘द लाइफ ऑफ पाई’ जैसी बेहतरीन फिल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाया।

हालांकि, इरफान ने बंगाली सिनेमा में केवल फिल्म ‘डूब’ में काम किया था, जिसे याद कर पूरा सिनेमा जगत आज शोकग्रस्त है। मशहूर बंगाली निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता ने कहा कि उन्होंने 1989 की ‘बाघ बहादुर’ और 2013 की फिल्म ‘अनवर का अजब किस्सा’ को लेकर इरफान से बात की थी लेकिन इन योजनाओं को मूर्त रुप देने में असफल रहे। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने पीटीआई-भाषा को बताया, "मुझे हमेशा अफसोस रहेगा कि मैं उसे अपनी किसी भी फिल्म में नहीं ले पाया। कई साल पहले वह मुंबई में 'बाघ बहादुर' के ऑडिशन के लिए आया था लेकिन यह भूमिका किसी और को दे दी गई। जब भी मैं उससे मिलता था तो हम एक साथ काम करने की बात करते थे।” दिग्गज फिल्मकार ने इरफान को भारतीय सिनेमा के समकालीन अभिनेताओं में सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि वो बहुमुखी थे और उनमें गैर-पारंपरिक भूमिकाओं को निभाने की एक भूख थी।

दासगुप्ता ने मुंबई में दो साल पहले इरफान से अपनी आखिरी मुलाकात को भी याद किया। बांग्ला सिनेमा के प्रसिद्ध फिल्मकार गौतम घोष भी लेखक कमल कुमार मजूमदार की रचना पर आधारित फिल्म में इरफान के साथ काम करना चाहते थे, लेकिन वित्तीय कठिनाइयों के कारण वे वह फिल्म नहीं बना पाए। घोष के मुताबिक इरफान ऊर्जा से भरे हुए थे और उन्होंने कभी इरफान को तनाव में नहीं देखा था। उन्होंने कहा, "वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के अभिनेता थे। वह बहुत सहज थे और उनमें बहुत समझदारी थी।" दिग्गज अभिनेत्री-निर्देशक अपर्णा सेन ने कहा कि वह इरफान को एक फिल्म में लेना चाहती थीं, लेकिन उस समय उनकी ब्रेन सर्जरी होनी थी, जिसके कारण वे साथ काम नहीं कर पाए।

सेन ने कहा, "लंचबॉक्स, मकबूल जैसी फिल्मों में उनका अभिनय और उनके हावभाव मुझे हमेशा याद रहेंगे।” निर्देशक श्रीजीत मुखर्जी को भी इरफान के साथ काम न कर पाने का अफसोस है। मुखर्जी ने कहा, "उन्हें मेरी हेमलॉक सोसायटी पसंद थी और हमारी एक दिन साथ काम करने की योजना थी।" फिल्म "डूब" में इरफान के सह-कलाकार रहे अभिनेता पर्णोमित्र ने भी उनके साथ काम करने की यादें साझा कीं। मित्रा ने कहा, "वह क्रिकेट खेलना पसंद करते थे। वह बल्लेबाजी करते थे और हमें फील्डिंग करने के लिए कहते थे। वह कभी आउट नहीं होना चाहते थे। मेरे लिए इरफान उम्दा व्यक्ति, प्रेरणादायक अभिनेता और पसंदीदा सह-कलाकार थे। इरफान की की कमी हमेशा महसूस की जाएगी।” 



 

Web Title: Bengali film veterans regret missed chances after Irrfan Khan death

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