रहीस सिंह का ब्लॉग: वाम दिशा में आखिर क्यों चल पड़ा ब्रिटेन?

By रहीस सिंह | Published: July 10, 2024 01:59 PM2024-07-10T13:59:01+5:302024-07-10T14:03:46+5:30

सवाल यह है कि ब्रिटिश मतदाताओं ने कंजरवेटिव पार्टी के उन चेहरों को ठुकराया है जो जनता के दर्द समझने और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने में अक्षम रहे हैं अथवा कारण कुछ और हैं? 

Why did Britain move in the left direction? | रहीस सिंह का ब्लॉग: वाम दिशा में आखिर क्यों चल पड़ा ब्रिटेन?

रहीस सिंह का ब्लॉग: वाम दिशा में आखिर क्यों चल पड़ा ब्रिटेन?

Highlightsब्रिटेन में कंजरवेटिव राज खत्म हुआ और सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी कीर स्टार्मर के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आ गई. क्या लेबर पार्टी उन झंझावातों से ब्रिटेन को निकाल पाएगी जिसमें पिछले 14 वर्षों में ब्रिटेन उलझता चला गया?वैसे तो इस नवऔद्योगिक-नवपूंजीवादी दौर के पूंजी और बाजार की दृष्टि से दोनों ही पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं. 

ब्रिटेन में कंजरवेटिव राज खत्म हुआ और सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी कीर स्टार्मर के नेतृत्व में भारी बहुमत के साथ सत्ता में आ गई. सवाल यह है कि ब्रिटिश मतदाताओं ने कंजरवेटिव पार्टी के उन चेहरों को ठुकराया है जो जनता के दर्द समझने और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने में अक्षम रहे हैं अथवा कारण कुछ और हैं? 

ब्रिटिश मतदाताओं ने एक संदेश तो अवश्य दिया है कि वे अब ग्लोबलाइजेशन और पूंजीवादी बाजारवाद की बड़ी-बड़ी बातें और विज्ञापनी दुनिया से दूर यथार्थ को जीना चाहते हैं, उसके साथ चलना चाहते हैं. तो क्या कीर स्टार्मर और उनके नेता ऐसा कर पाएंगे? क्या लेबर पार्टी उन झंझावातों से ब्रिटेन को निकाल पाएगी जिसमें पिछले 14 वर्षों में ब्रिटेन उलझता चला गया?

यहां एक बात समझने की जरूरत तो है कि आखिर वह कौन सी वजह रही जिसके चलते ब्रिटेन यूरोप के उस धुर दक्षिणपंथी ढर्रे पर चलने के लिए तैयार नहीं हुआ जिस पर अधिकांश यूरोपीय देश दौड़ लगाने के लिए तैयार दिख रहे हैं? वैसे तो इस नवऔद्योगिक-नवपूंजीवादी दौर के पूंजी और बाजार की दृष्टि से दोनों ही पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं. 

फिर यूरोप में धुर दक्षिण पंथ (फार-राइट) की हवा चल रही है तो इसका कारण है इमिग्रेशन (आप्रवासन). इस इमिग्रेशन से ही साढ़े चार साल पहले तक ब्रिटिश मतदाताओं ने लेबर पार्टी के ‘क्वासी नेशनलिस्ट’ और ‘क्वासी लिबरल’ एप्रोच को खारिज कर कंजरवेटिव नेशनलिज्म को क्यों पसंद किया था और अब वे 180 डिग्री क्यों घूम गए? वजह क्या रही? 

ब्रिटेन ने यूरोप के साथ चलना क्यों पसंद नहीं किया? कंजरवेटिव राष्ट्रवाद औंधे मुंह क्यों गिर गया और क्यों हाउस ऑफ कामंस लेबर पार्टी के लाल रंग में पूरी तरह से रंगा हुआ नजर आया? वैसे परिवर्तन ब्रिटेन में ही नहीं, अब तो फ्रांस में भी दस्तक देता हुआ दिख रहा है. रविवार को फ्रांस में हुए संसदीय चुनाव में कुल 577 सीटों में से वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) गठबंधन को 182 सीटें मिलीं. 

जबकि राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की रेनासां पार्टी 163 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही. यह इस बात का संकेत है कि यूरोप इस समय संक्रमण से गुजर रहा है. चुनाव में जीत के बाद स्टार्मर ने कहा, ‘अब रीसेट का समय आ गया है.’ 

उन्होंने यह भी कहा कि हालात को बदलने में समय लगेगा लेकिन मैं एक-एक ईंट जोड़कर देश को फिर से बनाऊंगा. ‘रीसेट’ अच्छा और आशावादी शब्द है, यदि ऐसा संभव होता है तो ब्रिटेन वास्तव में चल पड़ेगा परंतु यह इतना आसान नहीं लगता. ऋषि सुनक और उनकी कंजरवेटिव पार्टी ने ब्रिटेन को जहां छोड़ा है, वहां से बाहर एक ऐसे ‘हाई वे’ तक उसे लाना जहां वह फर्राटा भर सके, बेहद मुश्किल कार्य है.

Web Title: Why did Britain move in the left direction?

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