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यदि दुनिया ट्रम्प के खिलाफ खड़ी हो गई तो..?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 8, 2025 07:20 IST

क्या अमेरिका जैसे देश से ऐसी ओछी हरकत की उम्मीद कोई कर सकता था? इस पर यूरोप भी हैरान रह गया!

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जब पूरी दुनिया यह नहीं समझ पा रही है कि डोनाल्ड ट्रम्प आखिर चाहते क्या हैं तो फिर खुद अमेरिकियों को ट्रम्प की हरकतें समझने में थोड़ा वक्त तो लगना ही था. ट्रम्प के खिलाफ अमेरिका के 50 राज्यों में करीब 1200 स्थानों पर लोगों ने जिस गुस्से का इजहार किया है, उससे एक बात तो तय हो गई है कि ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति अमेरिकियों के लिए भी किसी छलावे से कम नहीं है.

अमेरिकी हितों की बात करके ट्रम्प ने चुनाव तो जीत लिया लेकिन उनकी नीति यदि अमेरिका के लिए वाकई हितकारी होती तो वहां का उद्योग और व्यापार जगत उसका स्वागत करता. सत्ता संभालते ही ट्रम्प ने जो कदम उठाए उससे कम से कम अमेरिका में तो स्थायित्व का भाव आता! उन्हें तो लगता कि ट्रम्प अमेरिका को समृद्ध करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं! लेकिन हुआ क्या?

पूरी दुनिया असमंजस की स्थिति में आ गई कि ये बेलगाम व्यक्ति जो कर रहा है, उसके परिणाम क्या होंगे. अब साफ दिख रहा है कि ट्रम्प के टैरिफ की मार से दुनिया तो परेशान होगी ही, इसका खामियाजा खुद अमेरिका को भी भुगतना है. आयातित सामान अब अमेरिकी बाजार में महंगा हो जाएगा क्योंकि निर्यातक देशों पर ट्रम्प ने अनाप-शनाप टैरिफ लगा दिया है.

दुनिया के दूसरे देशों से सामान जब अमेरिकी बाजार में पहुंचेगा तो उस पर अतिरिक्त टैरिफ लगा होगा. ऐसा करते वक्त ट्रम्प ने दो बातें सोची होंगी. पहला तो यह कि दूसरे देश अमेरिकी टैरिफ से डर जाएंगे और अमेरिकी सामान पर अपनी टैरिफ कम करेंगे लेकिन अभी ऐसा होता दिख नहीं रहा है.

दूसरी बात उन्होंने यह सोची होगी कि इससे अमेरिकी आयात कम होगा और स्थानीय निर्माताओं को फायदा होगा लेकिन वे शायद यह भूल गए कि बहुत सारी चीजों के लिए अमेरिका दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर है. वो चीजें तो आयात करनी ही होंगी!

सीधी सी बात है कि पैसा अमेरिकियों की जेब से जाएगा. इसके अलावा सरकारी नौकरियों में छंटनी का कहर भी अमेरिकियों पर टूटा है और इससे बेरोजगारी का नया संकट खड़ा होगा. इसके अलावा अमेरिकी इस बात को भी समझ रहे हैं कि दुनिया का अमेरिका में जो रुतबा है वह तेजी से कम होता चला जाएगा. इसमें कोई संदेह नहीं कि विश्व युद्ध के बाद अमेरिका ने एक ऐसी विश्व व्यवस्था को जन्म दिया था जिसमें सुरक्षा का एक गहरा भाव था.

भले ही इस मामले को लेकर अमेरिका पर उंगलियां उठती रही हों लेकिन विश्व में एक व्यवस्था तो बनी! अब आप देखिए कि ट्रम्प ने क्या किया? केवल यूक्रेन का ही उदाहरण लें तो अमेरिकी नीतियों के तहत जो बाइडेन और यूरोप ने रूसी हमले के बाद यूक्रेन की मदद की लेकिन ट्रम्प ने सत्ता संभालते ही खुलेआम यह कहना शुरू कर दिया कि उन्हें तो वो पैसा वापस चाहिए जो अमेरिका ने यूक्रेन को युद्ध के लिए दिया है. क्या अमेरिका जैसे देश से ऐसी ओछी हरकत की उम्मीद कोई कर सकता था? इस पर यूरोप भी हैरान रह गया!

यही नहीं जो यूरोप हर स्थिति में खुलकर अमेरिका के साथ रहा है, उसी को ट्रम्प औकात दिखाने की बात करने लगे! ट्रम्प की नीतियों के कारण बाजार के ग्लोबलाइजेशन को सबसे ज्यादा झटका लगा है. इस बात की पूरी आशंका है कि कुछ वक्त के लिए ही सही लेकिन ट्रम्प ने दुनिया को डार्क एज का रास्ता दिखा दिया है. लेकिन दुनिया यदि ट्रम्प के खिलाफ एकजुटता के साथ खड़ी हो गई तो वो दिन अमेरिका के लिए डार्क एज की शुरूआत होगी. अमेरिकी यह बात समझ रहे हैं. ये विद्रोह उसी का प्रतिफल है.

टॅग्स :डोनाल्ड ट्रंपUSभारतबिजनेस
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