अमेरिका से झुककर नहीं, तनकर बात करनी होगी !
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 19, 2025 07:35 IST2025-06-19T07:34:58+5:302025-06-19T07:35:59+5:30
क्या यह सब ट्रम्प ने नहीं देखा? ट्रम्प को सब पता है लेकिन उन्हें भारत की नहीं, इजराइल की चिंता है.

अमेरिका से झुककर नहीं, तनकर बात करनी होगी !
पाकिस्तानी मीडिया ने जब यह हवा फैलाई कि अमेरिकी सैन्य परेड में पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष आसिम मुनीर गेस्ट ऑफ ऑनर होने वाले हैं तो महज एक दिन के अंतराल पर व्हाइट हाउस ने स्पष्टीकरण दिया कि मुनीर को आमंत्रित नहीं किया गया है. मगर व्हाइट हाउस में ट्रम्प और मुनीर की लंच पर मुलाकात कोई हवा-हवाई बात नहीं बल्कि सच्चाई है. भारत के नजरिये से देखें तो हमें निश्चित ही बेचैनी होनी चाहिए कि ट्रम्प आखिर पाकिस्तान को क्यों इतनी तवज्जो दे रहे हैं?
जो मुनीर आतंकवादियों को प्रश्रय दे रहा है, जिसके आतंकवादियों ने पहलगाम में धर्म पूछकर भारतीय बेटियोें का सुहाग उजाड़ दिया उस मुनीर को ट्रम्प व्हाइट हाउस में बुलाते हैं तो यह हमारे लिए एक संदेश है कि ट्रम्प का रवैया भारत के प्रति ठीक नहीं है. ट्रम्प व्यापारी आदमी हैं और उन्हें शायद इस बात का डर भी सता रहा होगा कि भारत आज दुनिया की चौथी बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है तो संभव है कि आने वाले वक्त में चीन की तरह कहीं चुनौती न बन जाए. ट्रम्प को यह सोचना चाहिए कि भारतीय संस्कृति चीन जैसी आक्रामक नहीं है.
हम तो जियो और जीने दो में विश्वास करने वाले लोग हैं. समस्या यही है कि हम कभी हमलावर नहीं होते. ट्रम्प ने जब भारतीयों को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ कर भारत भेजा, तब हमने चुप्पी साध ली. ट्रम्प ने जब भारत पर टैरिफ का कोड़ा बरसाने की कोशिश की, तब हम चुप रहे! ऑपरेशन सिंंदूर से घबराए पाकिस्तान ने जब हमला रोकने की गुहार लगाई और हमने उसकी गुहार मान ली तो भारतीय घोषणा से पहले ट्रम्प ने घोषणा कर दी कि उन्होंने सीजफायर कराया है.
ट्रम्प को इस तरह की घोषणा का अधिकार किसने दिया? कश्मीर को लेकर भारत का नजरिया स्पष्ट रहा है कि किसी और की मध्यस्थता स्वीकार्य नहीं है तो फिर ट्रम्प इस तरह की कोशिश क्यों कर रहे हैं? और सबसे बड़ा सवाल यह है कि हमने सीधे-सीधे यह क्यों नहीं कहा कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं! सीजफायर में उनका कोई रोल नहीं है! हमने सदाशयता बरती और ट्रम्प को ये सारी बातें हमारी कमजोरी लग रही हैं इसलिए उनका रवैया भारत के प्रति ठीक नहीं है.
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वे अपना दोस्त बताते हैं लेकिन व्यवहार में भारत और अमेरिका के बीच वो दोस्ती झलकती नहीं है. बल्कि कई बार लगता है कि वे भारत की उपेक्षा कर रहे हैं. अभी जी-7 शिखर सम्मेलन में ट्रम्प और नरेंद्र मोदी के बीच मुलाकात होनी थी लेकिन नरेंद्र मोदी के कनाडा पहुंचने से पहले ही सम्मेलन को बीच में ही छोड़ कर ट्रम्प अमेरिका रवाना हो गए.
हम अपने दिल को तसल्ली दे सकते हैं कि इस बीच ट्रम्प ने नरेंद्र मोदी से फोन पर लंबी बातचीत की. मोदी ने ट्रम्प को क्या कहा, इस बात की जानकारी तो आ गई है लेकिन ट्रम्प ने यह बताने की जरूरत नहीं समझी है कि मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित क्यों किया गया? अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तानी सेना अध्यक्षों को भोज पर बुलाते रहे हैं लेकिन ऐसा कोई लंच व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति के साथ हो, यह सामान्य घटना नहीं है!
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस मुलाकात को पाकिस्तान और भारत के संबंधों के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए. चलिए, इस बात से हम सहमत भी हो जाएं तो क्या ऐसी मुलाकातों से पाकिस्तानी आतंकवाद को मदद नहीं मिलती है? मुनीर को तो मुल्ला मुनीर के नाम से भी जाना जाता है. इसका आशय है कि आतंकवादियों को प्रश्रय देने में वह अपने पूर्ववर्तियों से दो कदम आगे ही हैं.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जो पाकिस्तानी आतंकी मारे गए, उनके जनाजे में मुनीर के सैन्य अधिकारी वर्दी में शामिल हुए और आतंकवादियों को तोपों की सलामी भी दी गई! क्या यह सब ट्रम्प ने नहीं देखा? ट्रम्प को सब पता है लेकिन उन्हें भारत की नहीं, इजराइल की चिंता है. ईरानी अधिकारियों ने कह दिया कि इजराइल ने यदि परमाणु हमला किया तो ईरान की ओर से पाकिस्तान परमाणु बम बरसा देगा!
पाकिस्तान ने हालांकि ऐसे किसी आश्वासन से इनकार किया है लेकिन अमेरिका जानता है कि आतंकवाद को पालने वाला देश कुछ भी कर सकता है. मुनीर से मुलाकात का लक्ष्य फिलहाल यही है कि वह ईरान-इजराइल जंग से अलग रहे. यही वक्त है जब भारत को सीना तानकर खड़े होना चाहिए और ट्रम्प से कहना चाहिए कि ये नया भारत है, दादागीरी बर्दाश्त नहीं करेंगे.