विष्णुगुप्त का कॉलमः जनसैलाब के सामने परास्त चीन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 19, 2019 07:44 PM2019-06-19T19:44:00+5:302019-06-19T19:44:00+5:30
यह अच्छी बात है कि चीन ने प्रत्यर्पण कानून को स्थगित करने की घोषणा की है. फिर भी दुनिया को इस बारे में सचेत रहना होगा.
विष्णुगुप्त (वरिष्ठ स्तंभकार)
हांगकांग में जनविरोधी प्रत्यर्पण कानून को स्थगित करने की घोषणा चीन ने की है. यह हांगकांग की संघर्षरत जनता की जीत है. चीन के काले कानून के सामने हांगकांग में जनसैलाब उमड़ पड़ा. चीन ने एक प्रत्यर्पण कानून का प्रस्ताव स्वीकार किया था. इस प्रत्यर्पण कानून में हांगकांग के सरकार विरोधी आरोपी का चीन में प्रत्यर्पण कर मुकदमा चलाने का प्रस्ताव था.
हांगकांग कभी ब्रिटेन से शासित होने वाला महानगर था. हांगकांग के लोगों की आजादी 1997 में तब मारी गई थी जब ब्रिटेन ने हांगकांग को चीन को दे दिया था. ब्रिटेन ने उस समय कहा था कि हांगकांग की आजादी से कोई समझौता नहीं होगा, हांगकांग के लोगों के साथ समानता और लोकतांत्रिक व्यवहार होगा, हांगकांग चीन के अंदर जरूर होगा पर उसका स्वरूप स्वशासी क्षेत्न जैसा होगा, हांगकांग के लोग ही अपना भाग्य विधाता चुनेंगे. ब्रिटेन ने यह भी कहा था कि हांगकांग के पास अलग चुनाव, उनकी अलग मुद्रा और विदेशी लोगों से जुड़े नियम के साथ ही अपनी न्यायिक प्रणाली होगी.
पर ब्रिटेन को उस समय शायद यह नहीं मालूम होगा कि भविष्य में हांगकांग की जनता की आजादी चीन छीन लेगा, हांगकांग सिर्फ नाममात्न का स्वायत्तशासी क्षेत्न होगा. हांगकांग के शासन की कुर्सी पर वही बैठता है जो चीन का अति समर्थक होता है और चीन की इच्छानुसार चलता है. हांगकांग पर शासन करने के लिए जो असेंबली चुनी जाती है उसके चुनाव में हांगकांग के लोगों की भूमिका सीमित ही होती है. असेंबली के सिर्फ 50 प्रतिशत सदस्यों का ही चुनाव हांगकांग की जनता करती है, शेष 50 प्रतिशत सदस्य चीन की इच्छानुसार नियुक्त होते हैं. इसीलिए हमेशा चीन समर्थक असेंबली ही बनती है. हांगकांग शहर का मुख्य कार्यकारी अधिकारी चीन समर्थक होता है. प्रत्यर्पण कानून भी चीन समर्थक और हांगकांग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैरी लैम ने ही लाया.
दुनिया हांगकांग की जनता के अंब्रेला मूवमेंट से भी परिचित रही है. 2014 में हांगकांग की जनता ने अंब्रेला मूवमेंट शुरू किया था. यह पूर्ण अहिंसक आंदोलन था जिसका उद्देश्य लोकतांत्रित अधिकारों की रक्षा करना था. इस मूवमेंट से लाखों लोग जुड़े थे. 79 दिन यह आंदोलन चला था. चीन की धमकियों के सामने भी हांगकांग की जनता नहीं डरी थी. हजारों लोकतांत्रिक नेताओं को जेलों में डाल दिया गया था.
यह अच्छी बात है कि चीन ने प्रत्यर्पण कानून को स्थगित करने की घोषणा की है. फिर भी दुनिया को इस बारे में सचेत रहना होगा.