वेदप्रताप वैदिक की खरी-खरी: यूरोप में भारत का विरोध

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 29, 2020 05:40 PM2020-01-29T17:40:05+5:302020-01-29T17:40:05+5:30

फ्रांसीसी दूतावास ने सफाई देते हुए कहा है कि यूरोपीय संसद की राय को यूरोपीय संघ की आधिकारिक राय नहीं माना जा सकता है.

Vedpratap Vedic blog India in Eu caa nrc article 370 | वेदप्रताप वैदिक की खरी-खरी: यूरोप में भारत का विरोध

आर्टिकल 370

Highlights यूरोपीय संसद को किसी देश के आंतरिक मामले में टांग अड़ाने का कोई अधिकार नहीं है. ये प्रस्ताव शफ्फाक मुहम्मद नामक एक पाकिस्तानी मूल के सांसद के अभियान के कारण लाए जा रहे हैं.

यूरोपीय संघ की संसद में भारत की निंदा होनेवाली है. उसके 751 सदस्यों में से 600 से भी ज्यादा ने जो प्रस्ताव यूरोपीय संसद में रखे हैं, उनमें हमारे नए नागरिकता कानून और कश्मीर के पूर्ण विलय की कड़ी आलोचना की है. जिन सांसदों ने इस कानून को भारत का आतंरिक मामला माना है और भारत की निंदा नहीं की है, उन्होंने भी अपने प्रस्ताव में कहा है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आनेवाले शरणार्थियों में धार्मिक भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.

मेरी खुद की राय भी यही है लेकिन मैं यह भी मानता हूं कि यूरोपीय संसद को किसी देश के आंतरिक मामले में टांग अड़ाने का कोई अधिकार नहीं है. वहां ये प्रस्ताव शफ्फाक मुहम्मद नामक एक पाकिस्तानी मूल के सांसद के अभियान के कारण लाए जा रहे हैं. इसीलिए इन प्रस्तावों में भारत-विरोधी अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया गया है. हमारे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस संबंध में यूरोपीय संघ के अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है. मान लें कि यूरोपीय संसद इन प्रस्तावों को पारित कर देती है तो भी क्या होगा? कुछ नहीं. भारत की संसद भी चाहे तो यूरोपीय संसद के विरु द्ध प्रस्ताव पारित कर सकती है लेकिन हम भारतीयों को यूरोपीय लोगों की एक मजबूरी को समझना चाहिए. हिटलर के जमाने में यहूदियों पर जो अत्याचार हुए थे, उनसे आज भी कांपे हुए यूरोपीय लोग दूसरे देशों की घटनाओं को उसी चश्मे से देखते हैं. वे भारत की महान और उदार परंपरा से परिचित नहीं हैं.

इस समय यूरोपीय देशों के साथ भारत का व्यापार सबसे ज्यादा है. मार्च में भारत और यूरोपीय संघ की शिखर-बैठक होने वाली है. कहीं ऐसा नहीं हो कि दोनों के बीच ये प्रस्ताव अड़ंगा बन जाएं. इससे दोनों पक्षों को काफी हानि हो सकती है. इसीलिए फ्रांसीसी दूतावास ने सफाई देते हुए कहा है कि यूरोपीय संसद की राय को यूरोपीय संघ की आधिकारिक राय नहीं माना जा सकता है. यदि ऐसा है, तो यह अच्छा है लेकिन भारत सरकार चाहे तो अगले सप्ताह शुरू होनेवाले संसद के सत्र में इस नए नागरिकता कानून में आवश्यक संशोधन कर सकती है.

Web Title: Vedpratap Vedic blog India in Eu caa nrc article 370

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