वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बलूचिस्तान की आजादी का सवाल

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 30, 2022 03:03 PM2022-04-30T15:03:43+5:302022-04-30T15:03:43+5:30

बलूच लोग पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं। वे अपना अलग राष्ट्र बनाना चाहते हैं। कई बलूच नेताओं ने मुझे कराची, इस्लामाबाद और पेशावर में हुई भेंटों में बताया कि वे पाकिस्तान में कभी मिलना ही नहीं चाहते थे।

Vedpratap Vaidik blog The question of Balochistan's independence | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बलूचिस्तान की आजादी का सवाल

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बलूचिस्तान की आजादी का सवाल

कराची विश्वविद्यालय में तीन प्रोफेसरों की हत्या हो गई। ये पाकिस्तानी नहीं थे, चीनी थे। ये कराची के कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट में पढ़ाते थे। इन प्रोफेसरों ने बलूचों का क्या नुकसान किया था कि उन्होंने इनको मार दिया? सच्चाई तो यह है कि ये हत्याएं इसलिए की गई हैं कि बलूचिस्तान में चीन इतने अधिक निर्माण-कार्य कर रहा है कि उनसे बलूचिस्तान पर इस्लामाबाद का शिकंजा कसता चला जा रहा है। यह तथ्य ही बलूच बागियों के गुस्से का असली कारण है।

बलूच लोग पाकिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं। वे अपना अलग राष्ट्र बनाना चाहते हैं। कई बलूच नेताओं ने मुझे कराची, इस्लामाबाद और पेशावर में हुई भेंटों में बताया कि वे पाकिस्तान में कभी मिलना ही नहीं चाहते थे। इसीलिए 1947 में कलात के खान ने कलात, लासबेला, खरान और मकरान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया था लेकिन 1948 में पाकिस्तानी फौज ने डंडे के जोर पर बलूचों को पाक में मिला लिया।

बलूच प्रांत आधे पाकिस्तान के बराबर बड़ा है और उसकी जनसंख्या मुश्किल से पाकिस्तान की जनसंख्या के 3.5 प्रतिशत के बराबर है। बलूच कहते हैं कि हम लोग सैकड़ों बरस से आजाद रहे हैं। अंग्रेज भी हमें गुलाम नहीं बना सके।  बांग्लादेश की आजादी के बाद बलूच आजादी के आंदोलन ने काफी जोर पकड़ा लेकिन जुल्फिकार अली भुट्टो ने उसे निर्दयतापूर्वक कुचल डाला। मुशर्रफ के जमाने में प्रसिद्ध बलूच नेता नवाब अकबर खान बुगती को एक गुफा में बम से उड़ा दिया गया था। इसके बावजूद बलूच आंदोलन कभी ढीला नहीं पड़ा।

कई बलूच नेता वाॅशिंगटन, लंदन, काबुल और तेहरान में बैठकर बागियों को हवा देते रहते हैं। बलूच आंदोलन पूर्णरूपेण हिंसक है। उसके कार्यकर्ता पाकिस्तानी फौज और चीनी लोगों पर अब तक कई सीधे आक्रमण कर चुके हैं। उनमें अब तक दर्जनों पाकिस्तानी और चीनी लोग मारे गए हैं। कराची के चीनी वाणिज्य दूतावास पर और ग्वादर का बंदरगाह बनानेवाले चीनी कामगारों पर कई बार हमले हो चुके हैं। बलूच लोग इन्हें अपनी बंदूक की गोलियों का शिकार बनाते हैं।  बलूच नहीं चाहते कि उनके ग्वादर के बंदरगाह का चीनी लोग इस्तेमाल करें। चीन चाहता है कि ग्वादर के जरिये वह अरब और अफ्रीकी देशों तक अपनी पहुंच बढ़ा ले। इसीलिए वह काराकोरम से ग्वादर तक पक्की सड़क बना रहा है। 

Web Title: Vedpratap Vaidik blog The question of Balochistan's independence

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