वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: थाईलैंड में बगावत का बिगुल बजा!
By वेद प्रताप वैदिक | Published: October 26, 2020 03:44 PM2020-10-26T15:44:28+5:302020-10-26T15:44:28+5:30
थाई नौजवानों ने इस कदम के विरु द्ध जन-आंदोलन छेड़ दिया और अब वह इतना फैल गया है कि फौज की भी नाक में दम हो गया है. थाईलैंड की फौजी सरकार ने कई अखबारों और टीवी चैनलों का गला घोंट दिया है और दर्जनों नेताओं को जेल के सींखचों के पीछे डाल दिया है.
आजकल थाईलैंड में जैसे विशाल जनप्रदर्शन हो रहे हैं, वैसे उसके इतिहास में पहले शायद कभी नहीं हुए. लाखों नौजवान बैंकाक के राजमहल को घेरकर प्रधानमंत्नी प्रयुत चन ओचा को हटाने की मांग तो कर ही रहे हैं, वे थाईलैंड के राजा महावज्र लोंगकार्न के अधिकारों में भी कटौती की मांग कर रहे हैं. 2017 में जो नया संविधान बना था, उसने थाईलैंड की फौज को तो सर्वोच्च शक्ति संपन्न बना ही दिया था लेकिन उसमें राजा को भी कई अतिरिक्त शक्तियां और सुविधाएं दे दी गई थीं.
1932 में जोक्र ांति हुई थी, उसमें थाईलैंड के राजा की हैसियत ब्रिटेन के राजा की तरह नाम-मात्न की रह गई थी लेकिन 2014 में सेना के तख्ता-पलट के बाद राजा को सभी कानूनों के ऊपर मान लिया गया और राज्य की अकूत संपत्तियों पर उनके व्यक्तिगत अधिकार को मान्यता दे दी गई.
राजा और फौज की सांठ-गांठ थाईलैंड में वैसी ही हो गई, जैसी पाकिस्तान में इमरान खान और फौज की है. इसका नतीजा यह हुआ कि थाईलैंड की फौज और प्रधानमंत्नी प्रयुत निरंकुश हो गए. उन्होंने और उनके परिवार के लोगों ने अपनी अरबों रुपए की संपत्तियां खड़ी कर लीं, सारी सरकार में भ्रष्टाचार फैल गया और अर्थव्यवस्था चरमरा गई. जब विपक्षी दल ‘फ्यूचर फार्वर्ड पार्टी’ ने लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने की मांग की और राजा के असीमित अधिकारों के विरुद्ध आवाज उठाई तो थाईलैंड के सर्वोच्च न्यायालय ने उस पार्टी को ही भंग कर दिया.
थाई नौजवानों ने इस कदम के विरु द्ध जन-आंदोलन छेड़ दिया और अब वह इतना फैल गया है कि फौज की भी नाक में दम हो गया है. थाईलैंड की फौजी सरकार ने कई अखबारों और टीवी चैनलों का गला घोंट दिया है और दर्जनों नेताओं को जेल के सींखचों के पीछे डाल दिया है.
थाईलैंड के राजा आजकल जर्मनी के एक होटल में अपनी चार पत्नियों और दर्जनों सुरक्षाकर्मियों के साथ डेरा डाले हुए हैं. वे खुद पर लाखों रुपए रोज खर्च कर रहे हैं. अपने कुत्ते को उन्होंने एयर चीफ मार्शल का खिताब दे रखा है.
उन्हें थाई जनता से नहीं, उस कुत्ते से बड़ा प्यार है. उसे अपने साथ टेबल पर बिठाकर वे डिनर खिलाते हैं और उधर थाईलैंड में लोग भूख और बेरोजगारी के मारे बेहाल हो रहे हैं. कोई आश्चर्य नहीं कि थाईलैंड के नौजवान फौजी प्रधानमंत्नी प्रयुत के साथ-साथ राजा को हटाने की भी मांग शुरू कर दें.