वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: इजराइल के नए पैंतरे ने मचाई खलबली

By वेद प्रताप वैदिक | Published: November 25, 2020 02:30 PM2020-11-25T14:30:32+5:302020-11-25T14:39:36+5:30

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सऊदी अरब की यात्रा ने नई चर्चा छेड़ दी है. इससे पहले 68 साल में किसी इजराइली नेता ने सऊदी अरब की यात्रा नहीं की थी.

Vedapratap Vedic blog: in detain Israel Benjamin Netanyahu visits to Saudi Arab and and its meaning | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: इजराइल के नए पैंतरे ने मचाई खलबली

बेंजामिन नेतन्याहू और सऊदी शासक मुहम्मद बिन सलमान की मुलाकात से खलबली!

Highlightsसऊदी अरब और इजराइल दोनों अमेरिकापरस्त रहे हैं लेकिन दोनों में 36 का आंकड़ा बना रहा हैसऊदी शासक मुहम्मद बिन सलमान से बेंजामिन नेतन्याहू की मुलाकात के मायनों पर अटकलबाजी जारी

इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस वक्त तहलका मचाए हुए हैं. उन्होंने चुपचाप सऊदी अरब की यात्रा कर ली, जो पिछले 68 साल में किसी भी इजराइली नेता ने नहीं की. सच्चाई तो यह है कि सऊदी अरब और इजराइल, दोनों ही अमेरिकापरस्त रहे हैं लेकिन दोनों में हमेशा 36 का आंकड़ा बना रहा है. 

सऊदी अरब फिलिस्तीन की आजादी का सबसे बड़ा हिमायती और प्रवक्ता रहा है. हालांकि इजराइल की सऊदी अरब के साथ वैसी लड़ाई नहीं हुई, जैसी मिस्र और जॉर्डन के साथ हुई है लेकिन इजराइल के खिलाफ संपूर्ण इस्लामी जगत को खड़ा करने में सऊदी अरब का बड़ा योगदान रहा है.

नेतन्याहू और मुहम्मद बिन सलमान की मुलाकात से अरब जगत में सनसनी 

इसीलिए जब इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू लाल समुद्र के पास स्थित इजराइल के नियोम में जाकर सऊदी शासक मुहम्मद बिन सलमान और अमेरिकी विदेश मंत्नी माइक पोंपियो से चुपचाप मिल लिए तो सारे अरब जगत में सनसनी फैल गई.

सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने तो अखबारों को कह दिया कि यह खबर ही झूठी है. सऊदी युवराज सिर्फ पोंपियो से मिले हैं. लेकिन इजराइल के पत्रकारों ने साफ-साफ तथ्य पेश करके बताया है कि नेतन्याहू कितने बजे किसके जहाज में बैठकर किसके साथ उस शहर में गए थे.

सऊदी राजपरिवार को यह डर लग रहा है कि दुनिया के इस्लामी देश उसकी अब टांग खिंचाई करेंगे. कोई आश्चर्य नहीं कि ईरान और तुर्की अब सऊदी अरब पर बरस पड़ें. वे यह शंका भी प्रकट करेंगे कि हाल ही में जैसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बहरीन के साथ इजराइल के कूटनीतिक संबंध स्थापित हुए हैं, वैसे ही सऊदी अरब के साथ भी होने वाले हैं. 

अमेरिका में बाइडन प्रशासन के आने से बदलने लगे समीकरण!

इस वक्त इजराइल के सिर्फ चार मुस्लिम देशों के साथ कूटनीतिक संबंध हैं- मिस्र, जॉर्डन, यूएई और बहरीन. इतना बड़ा पट-परिवर्तन अरब जगत में अमेरिका के दबाव में तो हो ही रहा है, उसका मूल कारण ईरान ही है. सबको लग रहा है कि अमेरिका का बाइडेन प्रशासन ईरान के प्रति ट्रम्प नीति को जरूर बदलेगा.

उस स्थिति का सामना करने के लिए इजराइल और मुस्लिम देशों का एकजुट होना जरूरी है. ओबामा-काल में संपन्न हुआ ईरानी परमाणु-समझौता यदि फिर जीवित हो गया तो सबसे ज्यादा इजराइल डरेगा. इसीलिए इजराइल जरूरत से ज्यादा सक्रिय दिखाई पड़ रहा है.

Web Title: Vedapratap Vedic blog: in detain Israel Benjamin Netanyahu visits to Saudi Arab and and its meaning

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