‘सस्पेंस’ में लटके अमेरिकी चुनाव परिणाम और कुछ अबूझ सवाल, शोभना जैन का ब्लॉग

By शोभना जैन | Published: November 6, 2020 01:49 PM2020-11-06T13:49:38+5:302020-11-06T13:50:53+5:30

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दृष्टि से अभूतपूर्व माने जा रहे इस चुनाव के मतदान के तीन दिन बाद भी मतगणना जारी है. अमेरिकी राज्यों में पड़े एक-एक वोट को चुनाव नतीजे के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

US Election 2020 donald trump joe biden results hanging  suspense questionsShobhana Jain's blog | ‘सस्पेंस’ में लटके अमेरिकी चुनाव परिणाम और कुछ अबूझ सवाल, शोभना जैन का ब्लॉग

ट्रम्प संभवत: न्यायालय में नतीजा अपने पक्ष में आने की उम्मीद  कर रहे हों. (file photo)

Highlightsपरिणाम एक अहम मसला है ही, दुनिया की भी उत्सुकता, विस्मय और आशंका से भरी नजरें इन चुनाव नतीजों पर लगी हैं. ‘अमेरिकी मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी’ बताते हुए इसे कानूनी लड़ाई के रूप में लड़ने के लिए अदालत में पहुंच गए हैं. चुनाव परिणाम अगर ट्रम्प के पक्ष में नहीं जाता है तो वे इस कानूनी लड़ाई को देश के सर्वोच्च न्यायालय में ले जाएंगे.

दुनिया के सबसे पुराने और मजबूत लोकतंत्न माने जाने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव नतीजों की रात लंबी होती जा रही है और चुनाव परिणाम की जल्द घोषणा की बजाय चुनाव परिणाम कानूनी लड़ाई में बदलने का माहौल बनता जा रहा है. अमेरिकियों के लिए तो यह चुनाव परिणाम एक अहम मसला है ही, दुनिया की भी उत्सुकता, विस्मय और आशंका से भरी नजरें इन चुनाव नतीजों पर लगी हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दृष्टि से अभूतपूर्व माने जा रहे इस चुनाव के मतदान के तीन दिन बाद भी मतगणना जारी है. अमेरिकी राज्यों में पड़े एक-एक वोट को चुनाव नतीजे के लिए बेहद अहम माना जा रहा है. राष्ट्रपति व रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के साथ कांटे की टक्कर में  डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन बढ़त ले चुके हैं और इसके चलते उनकी जीत की संभावना फिलहाल बढ़ गई है.

लेकिन जिस तरह से ट्रम्प न केवल  इस बढ़त पर सवाल उठा रहे हैं बल्कि मतगणना के अंतिम दौर में मतगणना के नतीजों को लेकर ‘अमेरिकी मतदाताओं के साथ धोखाधड़ी’ बताते हुए इसे कानूनी लड़ाई के रूप में लड़ने के लिए अदालत में पहुंच गए हैं, उस सबसे चुनाव परिणाम जल्द आने को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है.

यानी सस्पेंस गहराता जा रहा है, और ऐसा अंदेशा जताया जा रहा है कि  चुनाव परिणाम अगर ट्रम्प के पक्ष में नहीं जाता है तो वे इस कानूनी लड़ाई को देश के सर्वोच्च न्यायालय में ले जाएंगे. हालांकि यह भी सच है कि सत्तारूढ़ दल से प्रभावित अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के चलते ही ट्रम्प संभवत: न्यायालय में नतीजा अपने पक्ष में आने की उम्मीद  कर रहे हों. खैर, इन सवालों का जवाब तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन चुनाव नतीजों की वैधता पर सवाल उठना गंभीर चिंता का विषय है, खासतौर पर किसी भी सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश के लिए.

फिर अमेरिका जैसा देश, जिसे दुनिया में सबसे पुराना लोकतंत्न माना जाता है, वहां ऐसे सवाल खासतौर पर ऐसे दौर में जबकि अमेरिकी समाज विभाजित नजर आ रहा है, इस तरह के कदमों से विभाजन और बढ़ने का अंदेशा है. वैसे चुनाव पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अभी तक की चुनाव प्रक्रिया और मतगणना में उन्हें धोखाधड़ी का कोई सबूत नहीं मिल सका है और ऐसे में ट्रम्प का धोखाधड़ी के सवाल उठाना सही नहीं है.

इन चुनावों को अमेरिका के हाल के इतिहास के सबसे विभाजनकारी चुनावों में से एक बताया जा रहा है. देश हाल ही में ‘ब्लैक लाइफ मैटर्स’ की नस्लीय हिंसा से गुजरा है, जिसका असर अब भी समाज पर दिखाई दे रहा है. चुनाव के पूर्व जिस तरह से अमेरिका में नस्लीय हिंसा पर रिपब्लिकन एवं डेमोक्रे टिक पार्टी के बीच सियासत हुई है, इससे विभाजन ज्यादा गहरा होने की आशंका और प्रबल हो गई है. चंद महीने पहले अमेरिका में हुई नस्लीय हिंसा के दौरान जमकर हिंसा और लूटपाट हुई थी.

नस्लीय हिंसा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और डेमोक्रे टिक पार्टी के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला. चुनाव प्रचार के दौरान भी देश में अश्वेत और श्वेत की राजनीति गरम रही. विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को अश्वेत विरोधी करार दिया था और देश में नस्लीय हिंसा के लिए जिम्मेदार माना, जबकि ट्रम्प का कहना था कि कानून और व्यवस्था बिगड़ने को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस सब के साथ ही चुनाव में कोविड, अर्थव्यवस्था, कानून और व्यवस्था की स्थिति जैसी अन्य आंतरिक चुनौतियां अहम मुद्दे तो रहे ही हैं.

नए राष्ट्रपति चाहे वे बाइडेन हों या ट्रम्प, इनसे कैसे निपटेंगे, इस पर सबकी नजरें हैं. विश्व पटल पर अहम प्रभाव रखने वाले अमेरिका के नए राष्ट्रपति की ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर क्या नीतियां होंगी, अमेरिका के मित्न राष्ट्रों के साथ धुर विरोधियों सहित दुनिया भर की नजरें खास तौर पर इस बात पर लगी हैं. चुनाव नतीजों से  सस्पेंस जल्द हटने का सब इंतजार कर रहे हैं ताकि पता चल सके कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा.
बहरहाल, इन चुनावों पर नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ के अनुसार  ‘मतगणना के मौजूदा हालात से लग रहा है कि कहीं राष्ट्रपति का यह चुनाव राजनीतिक और कानूनी उठापटक वाला चुनाव नहीं बन जाए और ऐसे में अमेरिका का राष्ट्रपति कौन बनेगा, इसका फैसला अदालत,  राजनीतिज्ञ और  अमेरिकी कांग्रेस को करना पड़ सकता है.’ लेकिन निश्चय ही यह उठापटक  अमेरिकी समाज को कमजोर करेगी, अमेरिकी लोकतंत्न के लिए खराब होगी और दुनिया में भी अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति अच्छा संकेत नहीं जाएगा.

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