शोभना जैन का ब्लॉगः अनिश्चितता में घिरा ब्रेक्जिट समझौता
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 19, 2019 07:06 PM2019-01-19T19:06:38+5:302019-01-19T19:06:38+5:30
ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. 2016 में इस बाबत हुए जनमत संग्रह के बाद उसे 29 मार्च को ईयू से अलग होना है. ईयू से अलग होने की तारीख आने में केवल दो महीने बचे हैं, लेकिन अभी तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.
शोभना जैन
यूरोपीय संघ के साथ हुए अपने ब्रेक्जिट समझौते को लेकर मुश्किलों में घिरीं ब्रिटिश प्रधानमंत्नी थेरेसा मे को संसद में इसी सप्ताह समझौते को लेकर तगड़ी हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि इसके फौरन बाद विपक्ष द्वारा उनके खिलाफ संसद में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. इसी के बाद ब्रिटेन में इस समझौते को लेकर न केवल राजनैतिक सरगर्मियां और तेज हो गई हैं बल्किराजनैतिक अनिश्चितता की स्थिति भी उत्पन्न होती जा रही है. ब्रेक्जिट थेरेसा के कार्यकाल पर छाया रहा है. देखना है कि इस जटिल मुद्दे को वे कैसे हल कर पाती हैं. न केवल ब्रिटेन के लिए बल्किथेरेसा के राजनैतिक भविष्य के लिए भी यह अहम होगा.
ऐसे में नजरें इस बात पर टिकी हैं कि आखिर अनिश्चितता में घिरे ब्रिटेन के ब्रेक्जिट समझौते का क्या भविष्य होगा. थेरेसा का अगला कदम क्या होगा. इन तमाम सवालों के बीच देखना होगा कि इस मुद्दे पर हाउस ऑफ कॉमन्स में आगामी 29 जनवरी को होने वाले मतदान में क्या होगा. वैसे कहा यह जा रहा है कि अगर गतिरोध का कुछ हल नहीं निकलता, तो स्वत: ही एक स्थिति आ जाएगी जिसे हार्ड ब्रेक्जिट कहा जा रहा है - यानी 29 मार्च को ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो जाएगा और फिर आगे उनके बीच कैसा व्यापारिक संबंध रहता है, इसे लेकर एक नए समझौते पर चर्चा शुरू करेगा.
बहरहाल यह तमाम सवाल और स्थितियां भविष्य के गर्भ में हैं. ब्रिटेन भारत का बड़ा और अहम व्यापारिक साझीदार है. इसके चलते गतिरोध पर भारत की भी नजर बनी हुई है. ब्रेक्जिट समझौते का असर भारत पर भी पड़ने वाला है लेकिन भारतीय निवेशकों के लिए भी अगला कदम उठाने के लिए स्थिति तभी स्पष्ट हो सकेगी जब गतिरोध टूटेगा और कोई नतीजा निकलेगा.
ब्रिटेन 1973 में 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. 2016 में इस बाबत हुए जनमत संग्रह के बाद उसे 29 मार्च को ईयू से अलग होना है. ईयू से अलग होने की तारीख आने में केवल दो महीने बचे हैं, लेकिन अभी तक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. ब्रिटेन अभी तक यह निर्णय नहीं ले पाया है कि उसे क्या करना है. 29 मार्च 2017 को ही ब्रिटेन सरकार ने चर्चित आर्टिकल 50 लागू किया था जिसके तहत ठीक दो साल बाद ब्रेक्जिट लागू होना है.
दरअसल, एक ओर जहां यूरोपीय संघ के 27 देश ब्रिटेन के सदस्यता छोड़ने की शर्तो के बारे में एकजुट रहे हैं, वहीं ब्रिटेन में इस मुद्दे पर मतैक्य नहीं बन पाया है. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने का समर्थक नहीं होने के बावजूद प्रधानमंत्नी के रूप में थेरेसा मे ने जनमत संग्रह में हुए ब्रेक्जिट के फैसले का समर्थन किया और उसे लागू करने की कोशिश की. लेकिन मुश्किल ये रही है कि इस प्रक्रिया में वे सभी को साथ नहीं ले पाई हैं और पहले तो अपने कई मंत्री और फिर उनके बहुत से सांसद इस मुद्दे पर साथ नहीं दिखे. हालांकि इसके फौरन बाद उनके खिलाफ संसद में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया.