बदलाव के दौर से गुजरते मेक्सिको की कहानी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 7, 2018 07:30 AM2018-07-07T07:30:32+5:302018-07-07T07:30:32+5:30

गौरतलब है कि हाल के दिनों में मेक्सिको से अमेरिकी सीमा में आने वाले अवैध प्रवासियों और उनके बच्चों को लेकर दोनों देशों की तल्खियां और बढ़ गई हैं।

the story of change mexico | बदलाव के दौर से गुजरते मेक्सिको की कहानी

बदलाव के दौर से गुजरते मेक्सिको की कहानी

विदेश नीति पर नजर और दिलचस्पी रखने वालों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जून 2016 की चर्चित मेक्सिको यात्रा की वो तस्वीरें याद होंगी, जब मेक्सिको के राष्ट्रपति एनरिक पेना नियेतो खुद गाड़ी चला कर मोदी को शाकाहारी डिनर के लिए एक रेस्तरां में ले जा रहे थे। उस यात्रा के दौरान न केवल दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और ऊर्जा जैसे क्षेत्नों में सहयोग बढ़ाने पर बल दिया, साथ ही एक अहम बात यह रही कि मेक्सिको ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह- एनएसजी में भारत की दावेदारी को समर्थन दिया।

मेक्सिको में इसी सप्ताह बदलाव की नई बयार बहनी शुरू हुई है। उथल-पुथल के दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, निरंतर बढ़ते अपराध के ग्राफ से जूझ रही मेक्सिको की जनता ने हाल ही में  पिछले लगभग सौ साल से सत्तारूढ़  पेना  और  पीआरआई  पार्टी को एक झटके से सत्ता से बाहर कर पहली बार साफ-सुथरी छवि वाले वामपंथी नेता अंद्रेस मानुएल लोपेज ओब्राडोर को बदलाव की उम्मीद से सत्ता सौंप दी। अब अमेरिका सहित दुनिया की नजरें इस आने वाली नई सरकार की नीतियों, प्राथमिकताओं, उसके असर, विशेष तौर पर विदेश नीति पर रहेगी, खास तौर पर ऐसे में जबकि अमेरिका और मेक्सिको के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद से व्यापार युद्ध, चर्चित नाफ्टा संधि और मेक्सिको के प्रवासियों पर अमेरिका की नीति को लेकर तनाव काफी बढ़ा हुआ है।

गौरतलब है कि हाल के दिनों में मेक्सिको से अमेरिकी सीमा में आने वाले अवैध प्रवासियों और उनके बच्चों को लेकर दोनों देशों की तल्खियां और बढ़ गई हैं। प्रवासियों से उनके बच्चों को अलग करने और बच्चों को  डिटेंशन सेंटर  में रखे जाने के ट्रम्प प्रशासन की काफी आलोचना हुई थी। बदलाव के इस नए दौर में अगर हम भारत की बात करें तो कुछ समय पहले ही भारत और मेक्सिको के बीच उभयपक्षीय संबंध बढ़ाने के लिए ‘डिनर  डिप्लोमेसी’  का जो दौर था, अब बदलाव के इस नए दौर में  सुदूरवर्ती मेक्सिको का यह बदलाव उभयपक्षीय संबंधों के नजरिये से कितना अहम रहेगा?

विशेषज्ञों का मत है कि संबंधों में उसी सहजता की उम्मीद संभवत: आगे भी की जा सकती है। दरअसल भौगोलिक दृष्टि से काफी दूर होने के बावजूद लैटिन अमेरिकी देशों के साथ भारत का व्यापार बढ़ा है। भारत दुनिया भर में अपने वाहनों का जो निर्यात करता है, उसमें 23 प्रतिशत निर्यात इन्हीं देशों को करता है। भारतीय कारों का एक चौथाई निर्यात अब भी मेक्सिको को ही होता है। पिछले तीन वर्षो में यह बढ़ा है और पिछले वर्ष तो यह 39 प्रतिशत बढ़ा।

विशेषज्ञों का मत है कि अगर यह माना जाए कि दूरी के कारण माल ढुलाई की वजह से यह व्यापार फायदे का सौदा नहीं है तो जमीनी सच्चाई इससे अलग है। दरअसल 2016-17 में यह व्यापार 3.5 अरब डॉलर रहा जो कि म्यांमार, थाईलैंड और ईरान जैसे पड़ोसी देशों से ज्यादा ही है। मेक्सिको, भारत का लैटिन अमेरिकी देशों में सबसे पुराना और भरोसेमंद व्यापारिक साङोदार रहा है। यह सौदेदारी 1960 और 1970 के दशक से चली आ रही है जबकि भारत में हरित क्रांति के दौरान बीज और कृषि संबंधी जानकारी उससे मिलती रही थी। यहां यह भी जानना दिलचस्प है कि भारत के लिए मेक्सिको उत्तर और दक्षिण अमेरिका का द्वार सा है।

भारत में मेक्सिको की राजदूत मेल्बा प्रिया जो मेक्सिको राजदूत के सरकारी वाहन बतौर ऑटो के प्रयोग के लिए काफी खबरों में रहती हैं, कुछ माह पूर्व एक न्यूज साइट को दिए गए एक इंटरव्यू  में उन्होंने दोनों देशों के बीच और अधिक प्रगाढ़ संबंधों की संभावनाएं जताते हुए कहा था कि  वर्ष 2006 में जहां दोनों देशों के बीच 1.8 अरब डॉलर का व्यापार ही होता था, वहीं 2016 में यह बढ़ कर 6.5 अरब डॉलर हो गया। दरअसल लैटिन अमेरिकी देशों में मैक्सिको  भारत में सर्वाधिक विदेशी पूंजी निवेश करने वाला देश है। दो वर्ष पूर्व के व्यापार के आंकड़ों की बात करें तो मैक्सिको की 13  प्रमुख  कंपनियों ने भारत में 800 मिलियन डॉलर का निवेश किया। इन्फोसिस और टीसीएस जैसी  प्रमुख भारतीय आईटी कंपनियां वहां कारोबार कर रही हैं।

भारतीयों सहित  लगभग 8 हजार से अधिक कर्मचारी इन कंपनियों में काम करते हैं। लेकिन भारत-मेक्सिको व्यापार का सर्वाधिक अहम पहलू मैक्सिको द्वारा भारत को निर्यात किया जाने वाला खनिज तेल है। लैटिन अमेरिका-भारत संबंधों के एक विशेषज्ञ के अनुसार ईरान से तेल लिए जाने को लेकर अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध चल रहा है, उसमें मेक्सिको खनिज तेल का विकल्प बन सकता है।

ये ब्लॉग लोकमत के लिए शोभना जैन ने लिखा है...

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Web Title: the story of change mexico

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