शोभना जैन का ब्लॉग: फ्रांस में दक्षिणपंथ की पराजय से राहत की सांस ले रहा यूरोप

By शोभना जैन | Published: April 29, 2022 09:49 AM2022-04-29T09:49:19+5:302022-04-29T09:49:19+5:30

फ्रांस इस समय ध्रुवीकरण से जूझ रहा है. साल 2015 के आतंकी हमले के बाद से फ्रांस की राजनीति में दक्षिणपंथी झुकाव नजर आ रहा है. इन सबके बावजूद इमैनुएल मैक्रों की नीतियों या यूं कहें उनके चुनावी मुद्दों को मतदाताओं ने प्रमुखता दी.

Shobhna Jain's blog: France election Europe breathing a sigh of relief after defeat of right wing | शोभना जैन का ब्लॉग: फ्रांस में दक्षिणपंथ की पराजय से राहत की सांस ले रहा यूरोप

इमैनुएल मैक्रों की लगातार दूसरी जीत (फाइल फोटो)

इस सप्ताह फ्रांस के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने दूसरी बार चुनाव जीतने की अपनी ऐतिहासिक उपलब्धि के फौरन बाद ही घरेलू मोर्चे की तमाम चुनौतियों के बीच राजधानी पेरिस में एफिल टॉवर के नीचे खड़े होकर देश के मतदाताओं को भरोसा दिलाया कि वे वादा करते हैं कि वे सभी के राष्ट्रपति होंगे. 

निश्चय ही मैक्रों मान रहे होंगे चुनाव तो वे जीत गए हैं लेकिन उनकी विजय के साथ बड़ी चुनौतियां हैं, जिनसे उन्हें, उनकी सरकार को निपटना है. अपनी दक्षिणपंथी प्रतिद्वंद्वी मरीन ली पेन को चुनाव में हराकर पिछले बीस वर्षों में पहली बार दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित हुए मैक्रों की जीत कई मायनों में बेहद अहम है. दरअसल मैक्रों की विजय का घरेलू मोर्चे, यूरोपीय एकजुटता, अंतरराष्ट्रीय  जगत के साथ-साथ भारत के लिए भी अहम संदेश है.

घरेलू मोर्चे की बात करें तो फ्रांस इस वक्त ध्रुवीकरण से जूझ रहा है, 2015 के आतंकी हमले के बाद से फ्रांस की राजनीति में दक्षिणपंथी झुकाव नजर आ रहा है हालांकि कोविड के बाद उनकी सरकार ने आर्थिक विकास दर तेजी से बहाल की, बेरोजगारी भी कम हुई है, लेकिन विशेष तौर पर कामकाजी वर्ग और युवाओं में बढ़ता जन असंतोष, ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे जो बहुत कुछ यूक्रेन युद्ध से पहले प्रमुखता से चुनावी मुद्दे बन रहे थे, उनकी जगह धीरे धीरे मैक्रों की नीतियों या यूं कहें उनके चुनावी मुद्दों को मतदाताओं ने प्रमुखता दी. 

नाटो के प्रमुख यूरोपीय देश फ्रांस के राष्ट्रपति के नाते मैक्रों की जीत अमेरिका, यूरोप के लिए एक बड़ी राहत की खबर है. यूक्रेन युद्ध में उलझे यूरोप की राजनीति के समीकरणों को इस बात से समझा जा सकता है कि इस चुनाव से पहले पुर्तगाल और स्पेन के प्रधानमंत्री के साथ जर्मनी के चांसलर ने फ्रांस के एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक ले मोंद में एक लेख के जरिये फ्रांसीसी मतदाताओं से मरीन को हराने का आह्वान किया. जाहिर है कि यूरोपीय एकता के लिए यूरोप मैक्रों की जीत को बेहद अहम मान रहा था.

भारत के लिए भी मैक्रों की जीत एक अच्छी खबर है, दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ आर्थिक सामरिक रिश्ते हैं. वर्ष 1998 से दोनों देशों के बीच शुरू हुई सुदृढ़ सामरिक साझीदारी और व्यापक रूप ले चुकी है, जिसके तहत रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, साइबर सुरक्षा, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों में उभयपक्षीय सहयोग के साथ ही दोनों देश आतंक निरोधी अभियानों में भी आपसी सहयोग से काम कर रहे हैं. 

फ्रांस भारत के लिए अत्याधुनिक सैन्य सामग्री का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता रहा है. पिछले वर्षों में ही भारत ने फ्रांस से 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीदे हैं. दोनों देशों के बीच हुए रक्षा करार के तहत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत भारत में छह P-75 स्कॉर्पीन पनडुब्बियां बनाने की परियोजना पर  भी काम  चल रहा है. खबरों के अनुसार इनमें से चार पनडुब्बियां भारतीय नौसेना को सौंपी जा चुकी हैं और बाकी दो इस साल बन कर तैयार हो जाएंगी. 

एक विशेषज्ञ के अनुसार फ्रांस का प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के मामले में रुख यूरोपीय देशों या अमेरिका के मुकाबले बहुत खुला है. हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी फ्रांस भारत का अहम रणनीति साझीदार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अगले माह के प्रथम सप्ताह में जर्मनी और डेनमार्क की यात्रा के बाद फ्रांस का भी संक्षिप्त दौरा करने का कार्यक्रम है, जिस दौरान उनकी मैक्रों से भी मुलाकात होगी. उम्मीद है कि इससे भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक रिश्तों को गति मिलेगी.

चुनावों के बाद अपने संबोधन में इमैनुएल मैक्रों ने माना था कि मतदाताओं के कुछ वर्गों में उनकी सरकार को लेकर नाराजगी है. उम्मीद की जानी चाहिए कि अपने इस दूसरे कार्यकाल में वे सभी को साथ लेकर चलने, कामकाजी वर्ग, विशेष तौर पर युवाओं के असंतोष को दूर करने और समावेशी आर्थिक नीतियों के एजेंडे पर चलेंगे. साथ ही विश्वास जताया जा रहा है कि मैक्रों के दूसरे कार्यकाल में भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी और आर्थिक रिश्तों में और मजबूती आएगी. 

Web Title: Shobhna Jain's blog: France election Europe breathing a sigh of relief after defeat of right wing

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