शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर पाक फिर से चारों खाने चित

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 9, 2019 06:41 AM2019-02-09T06:41:26+5:302019-02-09T06:41:26+5:30

पाक के इन घड़ियाली  आंसुओं की हकीकत ब्रिटेन और पूरी दुनिया बखूबी जानती है. सम्मेलन को लेकर चल रहे विवाद  के चलते  ब्रिटेन ने इससे पूरी तरह से दूरी बनाए रखी.

Shobhana Jain's blog: Pak Chak on Kashmir issue again | शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर पाक फिर से चारों खाने चित

शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर पाक फिर से चारों खाने चित

कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के घड़ियाली आंसू और इस मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की उसकी साजिश हर बार की तरह एक बार  फिर चारों खाने चित हुई है. एक तरफ जहां पाकिस्तान का अपने कब्जे वाले कश्मीर में कश्मीरियों पर दमन चक्र जारी है वहीं अपने दोहरे चरित्न को एक बार फिर साबित करते हुए उसने इस सप्ताह लंदन में भारत विरोधी कश्मीर सम्मेलन कर कश्मीरियों के मानवाधिकार हनन का रोना रोकर घड़ियाली आंसू  बहाते हुए कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की फिर कोशिश  की. लेकिन  पाक  का  यह तमाशा इस बार भी बुरी तरह से टांय -टांय फिस्स हो गया. सूत्नों का भी मानना है कि सम्मेलन में जो कुछ घटा उससे साफ जाहिर है कि सम्मेलन बुरी तरह से विफल रहा.

दरअसल पाक के इन घड़ियाली  आंसुओं की हकीकत ब्रिटेन और पूरी दुनिया बखूबी जानती है. सम्मेलन को लेकर चल रहे विवाद  के चलते  ब्रिटेन ने इससे पूरी तरह से दूरी बनाए रखी.

ब्रिटेन ने साफ तौर पर कहा कि सम्मेलन में हिस्सा लेने आए  पाकिस्तान के विदेश मंत्नी एस. एम.  कुरैशी की  ब्रिटेन यात्ना निजी यात्ना थी और इसी वजह से कुरैशी की किसी ब्रिटिश नेता से कोई द्विपक्षीय  मुलाकात नहीं हो सकी और ब्रिटेन के विदेश मंत्नी जेरेमी हंट से मुलाकात की कोशिशें भी बेनतीजा रहीं. दरअसल इस पूरे मामले में भारत सतर्क था. उसने ब्रिटेन को आधिकारिक तौर पर  साफ कहा कि वह यह सुनिश्चित करे कि अपनी भूमि का भारत विरोधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देगा. ब्रिटेन पहले ही कह चुका है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मसला है और इस मुद्दे पर उस का पक्ष पहले वाला ही है, इसे शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्न  के जरिए ही हल किया जाए.

कश्मीर प्रलाप को लेकर पाकिस्तान नए-नए हथकंडे अपनाता रहा है, और हर बार नाकाम होता रहा है. इसी सिलसिले की नई कड़ी बतौर इस बार भी गत 5 फरवरी को ब्रिटेन में पाकिस्तान के समर्थन से कश्मीर मुद्दे पर कथित एकजुटता जाहिर करने के नाम पर आयोजित  भारत विरोधी  सम्मेलन भारत के दृढ़ कूटनीतिक तेवरों के चलते कामयाब नहीं हो सका. जाहिर है कि एक बार फिर  पाकिस्तान का दांव उल्टा पड़ा है. सूत्नों के अनुसार  सम्मेलन  में जिन 11 सांसदों ने हिस्सा लिया, वे सभी  पाकिस्तान मूल के थे.

आलम यह रहा कि सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्नी की मौजूदगी के बावजूद कोई भी ब्रिटिश सांसद मौजूद नहीं था. एक वरिष्ठ पूर्व राजनयिक के अनुसार सम्मेलन में कथित तौर पर  पारित प्रस्ताव में कश्मीर में मानवाधिकार हनन की दुहाई तो दी गई लेकिन पाकिस्तान समर्थक आयोजक यह भूल गए कश्मीर  में पाकिस्तान की शह पर  सीमा पार से आंतकवादी  गतिविधियां  चलाई जा रही  हैं जिससे  वहां के नागरिक  इस हिंसा में मारे जा रहे हैं और यह साफ तौर पर पाकिस्तान द्वारा भारत के घरेलू मामलों में दखलंदाजी करने का मामला है. 

Web Title: Shobhana Jain's blog: Pak Chak on Kashmir issue again

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