शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर चीन जमीनी हकीकत समझे

By शोभना जैन | Published: January 19, 2020 07:23 AM2020-01-19T07:23:49+5:302020-01-19T07:23:49+5:30

पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर एक बार फिर कोशिश की थी कि कश्मीर की स्थिति को लेकर वह विश्व समुदाय के समक्ष भारत को कठघरे में खड़ा करे, लेकिन इस बार फिर चीन को भी पाकिस्तान के साथ शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा

Shobhana Jain's blog: China considers ground reality on Kashmir issue | शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर चीन जमीनी हकीकत समझे

शोभना जैन का ब्लॉगः कश्मीर मुद्दे पर चीन जमीनी हकीकत समझे

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और उस के खास ‘दोस्त’ चीन को एक बार फिर से कश्मीर को लेकर इस विश्व संस्था में चर्चा कराए जाने में नाकामी हाथ लगी है और दोनों ही एक बार फिर इस मुद्दे पर दुनिया से अलग-थलग पड़ गए. पाकिस्तान ने चीन के साथ मिलकर एक बार फिर कोशिश की थी कि कश्मीर की स्थिति को लेकर वह विश्व समुदाय के समक्ष भारत को कठघरे में खड़ा करे, लेकिन इस बार फिर चीन को भी पाकिस्तान के साथ शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा और पंद्रह सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में न केवल स्थायी सदस्यों बल्किअस्थायी सदस्यों सहित सभी 14 सदस्यों ने भी कश्मीर पर ‘अनौपचारिक विचार विमर्श’ कराने के पाकिस्तान के ताजा प्रयास को नामंजूर कर दिया. 

इन सदस्य देशों ने साफ तौर पर कहा कि कश्मीर, भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है. परिषद के स्थायी सदस्य चीन ने परिषद के बंद कमरे में हुए विचार-विमर्श के दौरान ‘अन्य मुद्दों’ के तहत कश्मीर मुद्दे को उठाने की एक बार फिर पैरवी की थी, लेकिन नाकाम रहा. पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद से सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दा उठाने का चीन का यह तीसरा प्रयास था. भारत सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त कर दिए थे और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया था. पाकिस्तान ने इस बार परिषद के एक माह के लिए नियुक्त वर्तमान अध्यक्ष वियतनाम को पत्न लिख कर परिषद के स्थायी सदस्य चीन की मिलीभगत से कश्मीर की स्थिति पर अनौपचारिक विचार-विमर्श करवाने का प्रयास किया था लेकिन दोनों को अन्य सभी 14 सदस्य देशों का समर्थन नहीं मिल सका. 

भारत ने जहां पाकिस्तान द्वारा बार-बार इस मंच से यह मुद्दा उठाने पर उसे आड़े हाथों लिया, वहीं चीन को भी उसने साफ तौर पर कहा कि चीन को ‘वैश्विक आम सहमति’ का जो संदेश मिला है, उससे उसे सीख लेनी चाहिए और भविष्य में इस तरह के कदमों से बचना चाहिए. वैश्विक आम सहमति यही है कि कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है. दरअसल चीन अपने ‘खास एजेंडे’ के तहत न केवल इस मुद्दे पर बल्कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता जैसे अनेक और मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ सुर मिलाता रहा है. उसके चलते उसकी मंशा का पर्दाफाश होता जा रहा है और वह विश्व समुदाय में भी अलग-थलग पड़ता जा रहा है. खास तौर पर अगर कश्मीर मुद्दे की बात की जाए तो चीन की नीयत इस बात से समझी जा सकती है कि गत अक्तूबर में जब मल्लापुरम में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर बैठक हुई तब चीन ने आधिकारिक रूप से कश्मीर के बारे में कोई चिंता, सरोकार नहीं जताया, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के मंच से वह लगातार कश्मीर मसले का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिशों से बाज नहीं आता है. ऐसे में खास तौर पर दक्षिण एशिया क्षेत्न की स्थिति को समझते हुए विश्व संस्था में कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की चीन-पाक की साझी साजिश समझी जा सकती है.

गौरतलब है कि चीन ने गत पांच अगस्त के बाद कश्मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक के लिए जोर दिया था, हालांकि बैठक में चीन को कोई वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि सदस्य देशों ने भारत के कदम को आंतरिक मसला करार दिया था. पिछले महीने फिर सुरक्षा परिषद में कश्मीर मुद्दे पर बंद कमरे में चर्चा कराने के चीन के प्रयास को फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने विफल कर दिया था. दरअसल भारत ने इस बार भी इस मुद्दे को पाकिस्तान द्वारा उठाए जाने पर तीखी प्रतिक्रि या व्यक्त की. कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बार-बार इस मुद्दे को लाने पर कड़ा संदेश देते हुए विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सुरक्षा परिषद का बहुमत के साथ विचार है कि इस तरह के मुद्दों के लिए यह सही मंच नहीं है. निश्चय ही पाकिस्तान ने परिषद के मंच का दुरुपयोग करने की कोशिश की और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसको फिर शर्मिदगी ङोलनी पड़ी. वहीं इस बार चीन को भी भारत ने साफ तौर पर कहा है कि चीन इस मुद्दे पर उचित सबक ले और भविष्य में उसे इस तरह के कदम से बचना चाहिए.

गौरतलब है कि कश्मीर मुद्दे की ही तरह चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भी भारत की दावेदारी में अड़चनें डालता रहा है. जाहिर है पाकिस्तान तो भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध कर ही रहा है. हाल ही में जब रूस के विदेश मंत्नी सर्गेई लावरोव ने भारत यात्ना के दौरान स्थायी सदस्यता के लिए भारत और ब्राजील की दावेदारी का एक बार फिर समर्थन किया तो चीन ने फिर कहा कि इस मुद्दे पर काफी मतभेद हैं, जरूरत है कि मिलकर ऐसा समाधान खोजा जाए जिस पर सब सहमत हों. हालांकि अमेरिका, रूस, इंग्लैंड तथा फ्रांस जैसे स्थायी सदस्य भारत को स्थायी सदस्यता दिए जाने के पक्ष मे हैं.

भारत तथा पाकिस्तान के संबंधों के बीच मौजूद समस्याओं को उठाने और उससे निपटने के लिए अनेक द्विपक्षीय तंत्न हैं, पाकिस्तान मुद्दों को भटकाने के बजाय सामान्य द्विपक्षीय संबंध सुनिश्चित करने के कदमों पर ध्यान दे. चीन की बात करें तो जरूरी है कि ऐसे में जब कि भारत कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए व्यापक प्रयास कर रहा है और विश्व जनमत कुल मिलाकर भारत की स्थिति को समझ रहा है, चीन कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार पर उसकी पीठ पर हाथ रखने के बजाय जमीनी हकीकत और विश्व की आम सहमति को भी समझे.

Web Title: Shobhana Jain's blog: China considers ground reality on Kashmir issue

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