शोभना जैन का ब्लॉग: भारत की कूटनीतिक घेराबंदी से अकेला पड़ता पाकिस्तान
By शोभना जैन | Published: November 28, 2020 02:08 PM2020-11-28T14:08:17+5:302020-11-28T14:09:11+5:30
पाकिस्तान से आए आतंकियों ने 19 नवंबर को जम्मू के नगरौटा में आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी. सीमा पर सुरक्षा बलों की चौकसी बढ़ाने के साथ ही भारत ने पाकिस्तान की आतंकी साजिश को नाकाम करने के बाद इस मामले में विश्व बिरादरी में अपनी चिंताओं को लेकर कूटनीतिक नाकेबंदी की मुहिम भी तेज कर दी है.
पाकिस्तान सरकार के समर्थन से गत सप्ताह भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों और हरकतों को और बढ़ाते हुए जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जैसा ही नृशंस नगरौटा आतंकी हमला करने की साजिश रची गई, लेकिन चौकस भारतीय सुरक्षा बलों ने चारों आतंकियों को मार गिराया और साजिश को नाकाम कर दिया. निश्चित तौर पर भारत में दहशत फैलाने, विशेष तौर पर जम्मू-कश्मीर में इस सप्ताह 28 नवंबर से शुरू होने वाले जिला विकास परिषद के चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रि या में बाधा पहुंचाने और वहां अस्थिरता फैलाने के मकसद से रची गई इस जघन्य साजिश से पाकिस्तान दुनिया भर में एक बार फिर आतंक की धुरी वाले देश के रूप में बेनकाब हुआ.
पाकिस्तान से आए आतंकियों ने 19 नवंबर को जम्मू के नगरौटा में आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी. सीमा पर सुरक्षा बलों की चौकसी बढ़ाने के साथ ही भारत ने पाकिस्तान की आतंकी साजिश को नाकाम करने के बाद इस मामले में विश्व बिरादरी में अपनी चिंताओं को लेकर कूटनीतिक नाकेबंदी की मुहिम भी तेज कर दी है. इसी सप्ताह विदेश सचिव डॉ. हर्षवर्धन श्रृंगला ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों यानी दुनिया के पांच ताकतवर देशों में से चार के राजदूतों के साथ अपनी चिंताओं को साझा करते हुए उन्हें पाक की इस साजिश के ‘सबूतों का डॉकेट’ भी सौंपा.
इन सबूतों से साफ पता चलता है कि असलहा और दस्तावेजों के साथ साजिश में शामिल पकड़े गए आतंकी, पाक स्थित आतंकी संगठन जैशे-मोहम्मद से जुड़े थे. भारत ने विश्व बिरादरी के समक्ष पाकिस्तान की इन नापाक हरकतों को बेनकाब करते हुए अपनी चिंताएं व्यक्त कीं और कहा कि नगरौटा हमले की साजिश पिछले वर्ष फरवरी में पुलवामा में हुए नृशंस आतंकी हमले की तर्ज पर रची गई.
नगरौटा एक बेहद खतरनाक साजिश थी. पाकिस्तान की मंशा जम्मू-कश्मीर में आगामी जिला विकास परिषद के चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ध्वस्त करने, वहां अस्थिरता फैलाने के अभियान के साथ ही 26/11 के मुंबई आतंकी हमले की बरसी पर फिर से दहशत फैलाना था. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने सुरक्षा बलों की तारीफ करते हुए कहा कि बहादुर जवानों की सतर्कता से नापाक साजिश विफल हो गई. जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकाय के चुनावों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया को निशाना बनाने की यह नापाक साजिश थी.
दरअसल पाक अंतरराष्ट्रीय दबावों के मद्देनजर कभी-कभी आतंक के खिलाफ दिखावटी कदम तो उठा लेता है, लेकिन अंदर वही ढाक के तीन पात रहते हैं. पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए वित्तीय कार्रवाई कार्य बल ‘एफएटीएफ’ की ब्लैक सूची में रखे जाने की तलवार लटकती देख वह कभी-कभार आतंक के खिलाफ ‘दिखावटी’ कदम उठाता है. हाल ही में मुंबई के 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद-दावा सरगना हाफिज सईद को 10 साल जेल की सजा सुनाना ऐसा ही कदम है. मुंबई में हुई आतंकी घटना में 166 लोगों की जान चली गई थी.
गौरतलब है कि आतंकी हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर रखा है और अमेरिका ने उस पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है, लेकिन पाकिस्तान में जेल के नाम पर वह वहां किस तरह की मेहमान नवाजी पा रहा होगा, यह सोचा जा सकता है. अपनी भूमि से चलाई जा रही आतंकी गतिविधियों को रोक पाने में और लश्कर और जैश जैसे आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने की वजह से एफएटीएफ ने पाकिस्तान को गत अक्तूबर में आगामी फरवरी 2021 तक ग्रे (निगरानी) सूची में रखने का निर्देश दिया था क्योंकि वह वैश्विक धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए छह कार्य योजनाओं को अब तक भी पूरा करने में विफल रहा है. ग्रे सूची में रखने का अर्थ है उसे मिलने वाली वैश्विक आर्थिक मदद पर लगाम और अगर वह अब भी इन छह बिंदुओं पर कोई कार्रवाई नहीं करता है तो उसे ब्लैक सूची में रखे जाने पर वैश्विक आर्थिक मदद पर रोक लग सकती है. लेकिन लगता है कि पाक सीख लेने को तैयार नहीं है.