ब्लॉग: यूक्रेन संकट पर चिंतित दुनिया और भारत की दुविधा

By शोभना जैन | Published: February 18, 2022 03:29 PM2022-02-18T15:29:30+5:302022-02-18T15:29:30+5:30

यूक्रेन संकट को लेकर भारत फिलहाल दो धुरों पर खड़े अपने प्रगाढ़ मित्रों के बीच चल रहे इस विवाद के बीच संतुलनकारी रवैया अपना रहा है।

Russia Ukraine Crisis the whole world concerns and dilemma situation for India | ब्लॉग: यूक्रेन संकट पर चिंतित दुनिया और भारत की दुविधा

ब्लॉग: यूक्रेन संकट पर चिंतित दुनिया और भारत की दुविधा

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यह सबसे खतरनाक सुरक्षा संकट है जिसकी आंच पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले सकती है। भारत युद्ध की स्थिति में क्या करेगा? इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में है, अलबत्ता यह साफ है कि समस्या ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठने जैसी है। जितनी जल्द राजनयिक प्रयासों से तनाव दूर किया जाए उतना ही न केवल सभी सम्बद्ध पक्षों के लिए, बल्कि दुनिया भर के लिए सही होगा। 

यूक्रेन पर गहराते युद्ध के काले बादलों के बीच दो दिन पूर्व रूस द्वारा यूक्रेन पर अपनी तीन तरफा सैन्य घेराबंदी से कुछ सैनिक हटाए जाने के ‘ऐलान’ और निरंतर गहराते यूक्रेन संकट के समाधान के लिए किए जा रहे तमाम राजनयिक व शांति प्रयासों के बाद भी यूक्रेन संकट के हल को लेकर न केवल अनिश्चितता बनी हुई है बल्कि फिलहाल तो संकट गहराता प्रतीत होता है।

अमेरिका और नाटो देशों ने रूस के इस ऐलान पर भरोसा करने से इनकार कर दिया है कि उसने यूक्रेन की सीमा पर अपने कुछ सैनिक हटा लिए हैं। उसके इस ऐलान के बाद चंद घंटों के अंदर अमेरिका और नाटो ने कहा है कि उन्हें यूक्रेन सीमा पर ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। व्हाइट हाउस ने इस ऐलान के बाद फिर कहा है कि रूस किसी दिन भी हमला कर सकता है।

हमले की आशंकाओं के बीच राजनयिक तौर पर सुलह के प्रयासों का सिलसिला जारी है। जर्मनी, फ्रांस और हंगरी की राष्ट्राध्यक्षों की मास्को जाकर राष्ट्रपति पुतिन से मंत्रणा के बाद तेजी से घटते घटनाक्रम में ब्रिटेन के विदेशमंत्री यूक्रेन जा रहे हैं। अमेरिका-ईयू समेत पूरी दुनिया टकटकी लगाकर इस ओर देख रही है कि क्या रूसी फौजें वाकई हट रही हैं और फिर फौजों के हटने के बाद आखिर क्या स्थिति होगी?

भारत फिलहाल दो धुरों पर खड़े अपने प्रगाढ़ मित्रों के बीच चल रहे इस विवाद के बीच संतुलनकारी रवैया अपना रहा है। विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर का म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन और हिंद-प्रशांत मंत्री स्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए इस हफ्ते यूरोप की यात्रा पर जाने का कार्यक्रम है।

जयशंकर की यूरोप में होने वाली बैठकों में यूक्रेन की स्थिति पर भी चर्चा होना स्वाभाविक है। यूक्रेन पर रूस के संभावित हमले की स्थिति के बाद भारत किसके पक्ष में खड़ा होगा? यह सवाल अमेरिका और यूरोपीय यूनियन (ईयू) समेत दुनिया के तमाम बड़े देशों के शासकों के मन में आ रहा है। ऐसी भी अटकलें हैं कि नाटो और यूरोपीय यूनियन के देश म्यूनिख बैठक में भारत पर रूस के खिलाफ कड़ा रवैया अपनाने का जोर डाल सकते हैं।

बहरहाल, भारत अपने इसी ‘सैद्धांतिक’ रवैये पर बरकरार है कि नाटो और रूस राजनयिक प्रयासों से संकट का समाधान करें। इसी के चलते भारत ने संतुलन की डिप्लोमेसी की राह चुनते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इसी बीच यूक्रेन में युद्ध की आशंका को देखते हुए भारत ने यूक्रेन से अपने नागरिकों खासकर वहां रहकर पढ़ाई करने वाले अपने छात्रों को अस्थाई रूप से देश छोड़ने को कहा है।

कोविड से पूर्व वहां लगभग 18000 भारतीय छात्र पढ़ते थे। भारतीयों को वहां से निकालने के लिए भारत सरकार उड़ान सेवाएं बढ़ा रही है। मुद्दा जटिल है। रूस नाटो में यूक्रेन को सदस्य बनाए जाने की स्थिति में अपने सुरक्षा सरोकार को लेकर चिंतित है और दूसरी तरफ अमेरिका और पश्चिमी देश रूस के राष्ट्रपति पुतिन के हमलावर तेवर को लेकर आशंकित हैं।

ऐसे में जबकि महाशक्तियों के बीच आपसी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध को लेकर शुरू हुई तनातनी शत्रुता में बदल चुकी है। रूस के साथ भी अमेरिका के रिश्ते बेहद ठंडेपन के दौर में हैं, दुनिया भर में अपना वर्चस्व कायम करने की महत्वाकांक्षा लागू करने पर उतारू चीन अब रूस का साथी है। 

यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस और चीन की नजदीकियां बढ़ गई हैं। एक अमेरिकी जनरल ने तो चेतावनी दी है कि चीन यूक्रेन संकट का फायदा लेने की कोशिश कर सकता है। चीन ऐसे समय में एशिया में उकसाने की कोशिश कर सकता है जब अमेरिका का ध्यान रूस पर हो।

बहरहाल, इन खेमेबंदियों के बीच युद्ध के भयावह परिणामों से सभी के मन में गहरी चिंताएं हैं और समाधान के लिए राजनयिक प्रयास जारी हैं। जर्मनी इन सुलह के प्रयासों में काफी सक्रिय है। उसकी दो अहम गैस पाइप लाइन मास्को से जुड़ी हैं। वह इस मामले में आर्थिक हितों के साथ ही कुल मिलाकर तर्कसंगत तरीके से सुलह के प्रयासों में जुटा है।

Web Title: Russia Ukraine Crisis the whole world concerns and dilemma situation for India

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