राजेश बादल का ब्लॉग: इज्जत कमाने का भी हुनर सीखे पाकिस्तान

By राजेश बादल | Published: December 16, 2020 11:13 AM2020-12-16T11:13:03+5:302020-12-16T11:18:32+5:30

प्रधानमंत्नी इमरान खान ने इससे निपटने के लिए हिंदुस्तान के खिलाफ नफरत का जहर उगलता कश्मीर तीर भी छोड़ा, पर वह निशाने पर न लगा.

Rajesh Badal's blog: Pakistan should learn the skills to earn respect | राजेश बादल का ब्लॉग: इज्जत कमाने का भी हुनर सीखे पाकिस्तान

पाकिस्तान का झंडा (सांकेतिक तस्वीर)

Highlights

पाकिस्तान के हुक्मरान इन दिनों परेशान हैं. संयुक्त विपक्ष के देशव्यापी आंदोलन ने उनकी नींदें उड़ा दी हैं. सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी ने इस आंदोलन से निपटने के लिए अपना परंपरागत ब्रह्मास्त्न भी इस्तेमाल कर लिया, लेकिन उसका भी अवाम पर कोई असर नहीं पड़ा है.

संयुक्त प्रतिपक्ष की रैलियां और आंदोलन दिनोंदिन तेज हो रहा है. पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्नी बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो और पूर्व प्रधानमंत्नी नवाज शरीफकी बेटी मरियम इस मुहिम के नायक-नायिका के रूप में उभरे हैं. प्रधानमंत्नी इमरान खान ने इससे निपटने के लिए हिंदुस्तान के खिलाफ नफरत का जहर उगलता कश्मीर तीर भी छोड़ा, पर वह निशाने पर न लगा.

इसके बाद भारत में चल रहे किसान आंदोलन को मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया, मगर यह भी बेकार गया क्योंकि पाकिस्तान के किसानों की हालत तो भारत के कृषकों से भी बदतर है. यही कारण है कि अब पाकिस्तानी फौज में आला स्तर पर इस बात का मंथन होने लगा है कि क्या वाकई मुल्क को इमरान खान का विकल्प खोज लेना चाहिए.

सेना और आईएसआई की शिखर बैठकों में यही मुद्दा गरमाया रहता है. महत्वपूर्ण तो यह है कि इमरान सरकार के मंत्रियों को इन बैठकों की कोई खबर नहीं होती. उन्हें इसकी जानकारी बैठकों में शामिल हो रहे गैर-सरकारी लोगों के हवाले से मिलती है.

ये पाकिस्तान के आला दज्रे के उद्योगपति और अर्थशास्त्नी होते हैं, जो मुल्क को बदहाली से उबारने के लिए सेना अध्यक्ष जनरल बाजवा के प्रतिनिधियों से बैठकें करते हैं और उन्हें अपनी सलाह देते हैं. वहां के उद्योग जगत को यकीन हो चला है कि इमरान सरकार में देश की मौजूदा समस्याओं से निपटने की क्षमता नहीं है. यह सिलसिला करीब छह महीने से चल रहा है. 

लेकिन हिंदुस्तान के खिलाफ प्रोपेगंडा चलाकर अवाम का साथ जुटाने के असफल प्रयास की चर्चा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि वहां सरकारें जब अपने देश के मसलों से निपटने में विफल रहती हैं तो वे या तो कश्मीर प्रसंग उठाकर जनता का समर्थन पाने का प्रयास करती रही हैं अथवा भारत के साथ छद्म युद्ध छेड़कर ध्यान बंटाने का काम करती रही हैं. अरसे तक वे इसमें सफल भी रही हैं. पर अब उनकी चालें पाकिस्तान का आम आदमी भी समझने लगा है.

ताजा उदाहरण यूरोप के एक स्वयंसेवी संगठन ईयू डिस इन्फोलेब की चंद रोज पहले आई रिपोर्ट का है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सुनियोजित साजिश के तहत वर्षो से अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान की छवि खराब करने का प्रयास कर रहा है. प्रधानमंत्नी इमरान खान जैसे इस रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.

उन्होंने आनन-फानन में इस रिपोर्ट के हवाले से आरोप लगाया कि उनके देश की दुर्गति का कारण भारत है. इमरान ने कहा कि साढ़े सात सौ फर्जी मीडिया केंद्रों के जरिए पंद्रह बरस तक हिंदुस्तान ने उसके विरुद्ध दुष्प्रचार किया है. इस संगठन के एक सदस्य एलेक्जेंड्रे अलिफलिप्पे ने इस रिपोर्ट को बेवजह सनसनीखेज बनाने के लिए कई झूठे तथ्य भी गढ़े. रिपोर्ट कहती है कि सौ से अधिक देशों में भारत ने यह जाल फैलाया था.

हालांकि भारत के विदेश मंत्नालय ने फौरन ही इसका प्रतिवाद किया. भारत ने पाकिस्तान की कड़े शब्दों में निंदा की. वैसे तो भारत को इस तरह के बेहूदा आरोपों का प्रतिवाद करने की आवश्यकता भी नहीं थी लेकिन वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारत विरोधी ताकतें इन दिनों बेहद सक्रि य हैं. उनकी प्रोपेगंडा जंग से बचने के लिए हिंदुस्तान को अपना संतुलित पक्ष रखना जरूरी था.

अन्यथा इस तथ्य को किसी प्रमाण की भी जरूरत नहीं कि पाकिस्तान आतंक का बड़ा केंद्र रहा है. खुद प्रधानमंत्नी इमरान खान के अनेक बयान इसके सबूत हैं, जिनमें उन्होंने अपने देश में आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों की मौजूदगी मानी और अपने पूर्ववर्तियों को इसके लिए जिम्मेदार बताया था.

इसके अलावा जनरल परवेज मुशर्रफअपने कई टीवी साक्षात्कारों में दहशतगर्दो को तैयार करने की कहानी दोहरा चुके हैं. पूर्व प्रधानमंत्नी नवाज शरीफ भी मंजूर कर चुके हैं कि भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ उनका मुल्क ऐसी हरकतें करता
रहा है. 

यह यक्ष प्रश्न है कि पाकिस्तान आखिर कब तक इस तरह की रंजिशी कार्रवाइयां करता रहेगा? वह अपने घर में लगी आग बुझाने से पहले पड़ोस में आग लगाना चाहता है. यह देश नहीं समझ रहा है कि वह हिंदुस्तान में जो जहरीली हवाएं भेज रहा है, उनके असर से वह भी नहीं बचने वाला है. वैसे भी विश्व मंच पर उसकी किरकिरी बहुत हो चुकी है. अपनी साख कमाने की तरफ अगर वह ध्यान देता है तो इससे उसका ही फायदा है.

Web Title: Rajesh Badal's blog: Pakistan should learn the skills to earn respect

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