रहीस सिंह का ब्लॉगः श्रीलंका में खतरनाक चीनी खेल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 25, 2018 08:58 PM2018-12-25T20:58:50+5:302018-12-25T20:58:50+5:30

यह अनुमान लगाया जा सकता है कि श्रीलंका के इस राजनीतिक संकट के पीछे असल भूमिका किसकी थी.

Rahees Singh's blog: Dangerous Chinese game in Sri Lanka | रहीस सिंह का ब्लॉगः श्रीलंका में खतरनाक चीनी खेल

रहीस सिंह का ब्लॉगः श्रीलंका में खतरनाक चीनी खेल

रहीस सिंह 

अक्तूबर 2018 के अंतिम सप्ताह में श्रीलंका में बड़ी तेजी से राजनीतिक घड़ी की सुइयां घूमीं और राष्ट्रपति मैत्रीपाल श्रीसेना द्वारा प्रधानमंत्री के पद से रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया गया. लेकिन अब उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें पुन: प्रधानमंत्री का पद प्राप्त हो गया. हालांकि वहां की स्थिति को देखकर लगता है कि संकट अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है.

श्रीलंका के संविधान में 19वां संशोधन कर प्रधानमंत्री को हटाने की विवेकाधीन शक्ति राष्ट्रपति से वापस ले ली गई. अब संविधान के अनुच्छेद 46 (2) के अनुसार -‘‘जब तक कैबिनेट मंत्री संविधान के नियमों के तहत काम करते हैं तब तक प्रधानमंत्री अपने पद पर बना रहेगा. 

प्रधानमंत्री अपने पद से तभी हटाया जा सकता है जब राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा भेजे या फिर उसकी सदस्यता (संसद की) समाप्त हो जाए.’’ लेकिन यह सब जानते हुए भी श्रीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को सदन में बहुमत साबित करने का अवसर दिए बिना ही पद से हटाया. सवाल उठता है कि क्यों? राष्ट्रपति मैत्रीपाल द्वारा किए गए निरंतर इन असंवैधानिक कृत्यों के पीछे सामान्य घरेलू कारण तो नहीं हो सकते. इसका एक उत्तर तो इस तथ्य में ही छुपा है कि महिंदा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेते ही कोलंबों में नियुक्त चीनी राजदूत उन्हें बधाई देने पहुंच गया. 

अब कुछ कार्य-कारणों पर नजर डालें. दरअसल श्रीलंका में उपजे इस राजनीतिक संकट की पटकथा करीब तीन वर्ष पहले से ही लिखी जा रही है. कारण यह कि बहुमत के अभाव के कारण सरकार बेमेल समर्थन से बनी थी. दूसरा, मैत्रीपाल जनता के बीच अपनी छवि बनाए रखने में कामयाब नहीं हो पा रहे थे. तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यहां चीन है. विदेश मामलों पर नजर रखने वाले लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि चीन ने अरबों डॉलर की बड़ी परियोजनाओं के तहत श्रीलंका में निवेश किया है. लेकिन जब श्रीसेना सत्ता में आए तो उन्होंने राजपक्षे के कार्यकाल में शुरू की गईं चीन समíथत परियोजनाओं को भ्रष्टाचार, ज्यादा महंगा और सरकारी प्रक्रियाओं के उल्लंघन का हवाला देकर रद्द कर दिया. 

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन परियोजनों को विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्रित्व वाली कैबिनेट ने रद्द करने की सिफारिश की थी. यही वजह है कि विक्रमसिंघे चीन की आंखों की किरकिरी बने. कुछ समय से श्रीसेना तो बदलने लगे और चीन की परियोजनाओं को पुन: बहाल करने की राह पर चल दिए. यानी श्रीसेना भारत का साथ छोड़ चीन की गोद में बैठने को तैयार हो गए लेकिन रानिल विक्रमसिंघे शायद नहीं डिग पा रहे थे. फिर तो रानिल विक्रमसिंघे का हटना चीन के लिए लाभदायक हो सकता था. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि श्रीलंका के इस राजनीतिक संकट के पीछे असल भूमिका किसकी थी.

Web Title: Rahees Singh's blog: Dangerous Chinese game in Sri Lanka

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