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ब्लॉग: एशिया में उमस भरी ताप लहर की संभावना 30 गुना बढ़ी

By निशांत | Updated: May 20, 2023 16:43 IST

गर्मियों के मौसम आने के बाद इस साल तापमान बढ़ने से हीटवेव की संभावना काफी बढ़ गई है।

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ठळक मुद्देएशिया के देशों में हीटवेव के आशंकाहीटवेव के कारण लोगों को हो सकती है परेशानी मानव गतिविधियों के कारण हीटवेव का खतरा बढ़ा

इंसान की गतिविधियों की वजह से पैदा हुए जलवायु परिवर्तन ने बांग्लादेश, भारत, लाओस और थाईलैंड में रिकॉर्डतोड़ उमस भरी ताप लहर (हीटवेव) की संभावनाओं को 30 गुना तक बढ़ा दिया है।

वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन ग्रुप से जुड़े हुए प्रमुख जलवायु वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए रैपिड एट्रीब्यूशन एनालिसिस में यह बात सामने आई है।

इस अध्ययन में यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि हीटवेव के लिहाज से दुनिया के सबसे प्रमुख इलाकों में आने वाले इस क्षेत्र की उच्च जोखिमशीलता की वजह से दुष्प्रभाव कई गुना बढ़ गए हैं।

अप्रैल में दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई हिस्सों में प्रचंड ताप लहर महसूस की गई। इस दौरान लाओस में अधिकतम तापमान 42 डिग्री सेल्सियस और थाईलैंड में 45 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया।

गर्मी की वजह से बड़े पैमाने पर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, चिटकने की वजह से सड़कों को नुकसान हुआ, जगह-जगह आग लग गई जिसके परिणामस्वरूप स्कूलों को बंद करना पड़ा।

इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई जिनका कोई हिसाब नहीं है। पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन की वजह से हीटवेव की घटनाएं बहुत आम हो गई हैं। इतना ही नहीं, उनकी अवधि बढ़ गई है और वह ज्यादा गर्म भी हो गई है।

एशियाई हीटवेव पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की मात्रा का आकलन करने के लिए वैज्ञानिकों ने मौसम संबंधी डाटा और कम्प्यूटर मॉडल सिमुलेशन का विश्लेषण किया ताकि आज के मौसम और 19वीं सदी के अंत से लेकर ग्लोबल वार्मिंग में 1.2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने तक की जलवायु की तुलना की जा सके।

इसके लिए सहयोगियों द्वारा समीक्षा (पियर रिव्यू) की विधि को अपनाया गया. इस अध्ययन में दो क्षेत्रों में अप्रैल महीने के दौरान लगातार के 4 दिनों में हीट इंडेक्स के अधिकतम तापमान के औसत का विश्लेषण किया गया।

इन क्षेत्रों में से एक दक्षिणी तथा पूर्वी भारत और बांग्लादेश का है और दूसरा थाईलैंड और लाओस के संपूर्ण क्षेत्र का है। हीट इंडेक्स एक ऐसा पैमाना है जिसमें तापमान और नमी को एक साथ जोड़ा जाता है और इसके जरिये मानव शरीर पर हीटवेव के पड़ने वाले प्रभावों को और सटीक ढंग से जाना जाता है।

शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों ही क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन की वजह से नमी भरी हीटवेव की आशंका 30 गुना ज्यादा हो गई है और जलवायु परिवर्तन नहीं होने की स्थिति के मुकाबले तापमान में कम-से-कम 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।

जब तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को पूरी तरह नहीं रोका जाएगा तब तक वैश्विक तापमान में वृद्धि जारी रहेगी और हीटवेव जैसी घटनाएं और तीव्र हो जाएंगी।

टॅग्स :हीटवेवभारत
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