पीएम मोदी के पहले विदेश दौरे पर मालदीव पहुंचने के क्या मायने हैं?

By विकास कुमार | Published: June 8, 2019 04:49 PM2019-06-08T16:49:52+5:302019-06-08T16:49:52+5:30

चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है. अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने भारत के कूटनीतिक हितों को नजरअंदाज कर चीन के प्रति ज्यादा नरमी दिखाई और इसके लिए उन्होंने वहां के स्थानीय नेताओं के विरोध को भी दरकिनार किया.

PM Modi first visit to Maldives is a counter strategy for china in hind ocean | पीएम मोदी के पहले विदेश दौरे पर मालदीव पहुंचने के क्या मायने हैं?

पीएम मोदी के पहले विदेश दौरे पर मालदीव पहुंचने के क्या मायने हैं?

Highlightsमालदीव कूटनीतिक और भौगोलिक रूप से भारत का प्राकृतिक साझेदार रहा है.भारत में मध्य-पूर्व से आने वाले कच्चे तेल का अधिकांश हिस्सा मालदीव से ही होकर आता है. मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं को मजबूत करने के लिए अब्दुल्ला यामीन ने हर पैंतरे आजमाए.

प्रधानमंत्री मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर मालदीव पहुंच चुके हैं जहां उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जायेगा. इसके साथ ही पीएम मालदीव की संसद को भी संबोधित करेंगे. मालदीव और भारत के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंध काफी पुराना रहा है.

हिन्द महासागर में स्थित यह छोटा सा देश ऐसे तो क्षेत्रफल के मामले में पूरे एशिया का सबसे छोटा देश है लेकिन इसकी भौगोलिक स्थिति इसे अहम स्थान देती है.  भारत में मध्य-पूर्व से आने वाले कच्चे तेल का अधिकांश हिस्सा मालदीव से ही होकर आता है. 

मालदीव कूटनीतिक और भौगोलिक रूप से भारत का प्राकृतिक साझेदार रहा है लेकिन हाल के वर्षों में हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी ने भारत और मालदीव के रिश्ते में कुछ दूरियां पैदा कर दी हैं. 

चीन का बढ़ता कर्ज 

चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है. अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने भारत के कूटनीतिक हितों को नजरअंदाज कर चीन के प्रति ज्यादा नरमी दिखाई और इसके लिए उन्होंने वहां के स्थानीय नेताओं के विरोध को भी दरकिनार किया. 

मालदीव में हो रहे 511 मिलियन डॉलर के एयरपोर्ट के निर्माण का ठेका भारतीय कंपनी जीएमआर से छिन कर उन्होंने इसे चीनी कंपनी को दे दिया था. उन्होंने भारत द्वारा मिले एक हेलिकॉप्टर को भी वापस लौटा दिया था. मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं को मजबूत करने के लिए अब्दुल्ला यामीन ने हर पैंतरे आजमाए.

चीन का बढ़ता हस्तक्षेप 

उन्होंने अपने देश में ही आपातकाल घोषित किया और विरोधी नेताओं और सुप्रीम कोर्ट के जजों को जेल में डाल दिया था. भारत समर्थक मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को देश छोड़ कर भागना पड़ा था. 2018 के अंतिम में हुए संसदीय चुनाव में जनता ने अब्दुल्ला यामीन को बुरी तरह हराया जिसके बाद इब्राहिम मोहम्मद सालिह मालदीव के नए राष्ट्रपति बनें.

उन्हें भारत समर्थक माना जाता है. शपथ-ग्रहण में शामिल होने के लिए खुद पीएम मोदी माले पहुंचे थे. इसके बाद सालिह ने भी भारत का दौरा किया था जिस दौरान कई बड़े आर्थिक समझौते हुए.  

हाल ही में पीएम मोदी के शपथ-ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए बिम्सटेक के नेताओं को आमंत्रित किया गया था. जिसमें मालदीव शामिल नहीं था. हो सकता है कि मालदीव का दौरा इसलिए भी जरूरी हो गया था ताकि कोई नकारात्मक सन्देश नहीं जाए.

हिन्द महासागर बना अखाड़ा 

किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का यह 8 वर्ष बाद किया जा रहा दौरा है. हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए मालदीव और श्रीलंका जैसे देशों को कूटनीतिक रूप से साधना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि इन देशों में चीनी निवेश का हस्तक्षेप लगातार बढ़ रहा है. 

श्रीलंका का हमबनटोटा पोर्ट पहले ही चीन के अधीन हो चुका है. मालदीव के ऊपर विदेशी कर्ज का ज्यादातर हिस्सा चीन का है लेकिन राहत की बात है कि ये दोनों देश अब खुद चीनी कर्ज को लेकर सतर्क हो गए हैं. 

Web Title: PM Modi first visit to Maldives is a counter strategy for china in hind ocean

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