पाकिस्तान में इतिहास अपने को दोहराएगा, राजेश बादल का ब्लॉग

By राजेश बादल | Published: October 20, 2020 02:28 PM2020-10-20T14:28:58+5:302020-10-20T14:28:58+5:30

पंजाब और सिंध में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जबरदस्त जन आंदोलन खड़ा हो गया है. विपक्ष का अगला पड़ाव अब बलूचिस्तान है. वहां पहले से ही इमरान-सेना के गठजोड़ के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. इससे पहले एक अपवाद को छोड़कर देश के इतिहास में हुकूमत के खिलाफ इस तरह का आंदोलन नहीं देखा गया.

Pakistan History repeat itself pm imran khan army Nawaz Sharif Rajesh Badal's blog | पाकिस्तान में इतिहास अपने को दोहराएगा, राजेश बादल का ब्लॉग

अयूब ने पाकिस्तान को अमेरिका की झोली में डाल दिया था तो इमरान खान और उनकी सेना चीन की गोद में बैठे हुए हैं.

Highlights इमरान अपनी सियासत की सिल्वर जुबली मनाने की तैयारी कर ही रहे थे कि प्रतिपक्ष ने धावा बोल दिया. पाकिस्तान की तवारीख में सिर्फ एक बार ऐसी स्थिति बनी थी, जब जनरल अयूब खान के फौजी शासन से खफा अवाम ने उन्हें दिन में तारे दिखा दिए थे. राष्ट्रपति मिर्जा इस्कंदर ने जनरल अयूब को मुख्य सैनिक प्रशासक नियुक्त किया था.

पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार दो बरस में ही इंटेंसिव केयर यूनिट में जाती दिखाई दे रही है. इमरान अपनी सियासत की सिल्वर जुबली मनाने की तैयारी कर ही रहे थे कि प्रतिपक्ष ने धावा बोल दिया. मुल्क के सारे सूबों में इमरान विरोधी बयार बह रही है.

पंजाब और सिंध में सत्तारूढ़ दल के खिलाफ जबरदस्त जन आंदोलन खड़ा हो गया है. विपक्ष का अगला पड़ाव अब बलूचिस्तान है. वहां पहले से ही इमरान-सेना के गठजोड़ के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. इससे पहले एक अपवाद को छोड़कर देश के इतिहास में हुकूमत के खिलाफ इस तरह का आंदोलन नहीं देखा गया.

पाकिस्तान की तवारीख में सिर्फ एक बार ऐसी स्थिति बनी थी, जब जनरल अयूब खान के फौजी शासन से खफा अवाम ने उन्हें दिन में तारे दिखा दिए थे. जनरल अयूब को गद्दी छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था. तब राष्ट्रपति मिर्जा इस्कंदर ने जनरल अयूब को मुख्य सैनिक प्रशासक नियुक्त किया था.

पद संभालने के बीस दिन बाद ही अयूब ने तख्तापलट कर दिया और मिर्जा इस्कंदर को देश निकाला दे दिया. अयूब की नीतियों से जनता त्नस्त थी. उनके बेटे गौहर अयूब पिता के नाम पर खुले आम कमीशन लेते थे. भ्रष्टाचार का बोलबाला था.

उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान के लोकप्रिय नेता शेख मुजीबुर्रहमान को भारत से मिलकर पाकिस्तान का बंटवारा करने की साजिश के आरोप में जेल में डाल दिया था. फिर भी किसी तरह लोग बर्दाश्त करते रहे. मगर जब मोहम्मद अली जिन्ना की बहन को जनरल अयूब ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में धांधली से हराया तो लोग सड़कों पर उतर आए. हारकर अयूब को पद छोड़ने का ऐलान करना पड़ा. वह पाकिस्तान का पहला कामयाब जन आंदोलन था.

कमोबेश वैसे ही हाल से पाकिस्तान एक बार फिर  गुजर रहा है. जनरल अयूब ने ग्यारह साल के फौजी शासन में फिर भी मुल्क में विकास की रफ्तार बढ़ाई थी और आर्थिक तरक्की को नया रूप दिया था. पर, इमरान खान तो यह भी नहीं कर पाए. दो साल में ही उनकी बंधी मुट्ठी खुल गई. वे एक खोखले प्रधानमंत्नी साबित हुए हैं.

अयूब ने पाकिस्तान को अमेरिका की झोली में डाल दिया था तो इमरान खान और उनकी सेना चीन की गोद में बैठे हुए हैं. अयूब ने विपक्ष के नेता शेख मुजीब को जेल में डाला था लेकिन इमरान तो इससे भी एक कदम आगे निकल गए. उन्होंने नवाज शरीफ, शाहबाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम, दामाद कैप्टन सफदर और पीपुल्स पार्टी के आसफ अली जरदारी समेत तमाम विरोधी नेताओं को सलाखों के पीछे कर दिया.

देश के प्रतिष्ठित पत्नकारों-संपादकों और मीडिया समूहों से जुड़े आलोचक स्वरों को भी हवालात की हवा खानी पड़ी है. कुल मिलाकर एक बार फिर विराट जन आंदोलन मुल्क की सड़कों पर लहरा रहा है.
क्या ही दिलचस्प तथ्य है कि इस आंदोलन में प्रधानमंत्नी इमरान खान नियाजी और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी नवाज शरीफ हिंदुस्तान के बहाने गद्दारी और देशभक्ति के मुद्दे को नए अंदाज में आम जनता के समक्ष परोस रहे हैं. इमरान खान कहते हैं कि नवाज शरीफ भारत के संरक्षण में यह आंदोलन चला रहे हैं.

उनका तर्क है कि भारत पाकिस्तान में स्थिर राजनीति और तरक्की नहीं देखना चाहता इसलिए गद्दारों को परदे के पीछे से मदद कर रहा है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्नी पद पर रहते हुए नवाज शरीफ ने साफ तौर पर स्वीकार किया था कि कारगिल जंग पाकिस्तान ने ही छेड़ी थी और मुंबई धमाके भी पाकिस्तान की धरती से संचालित थे. इमरान खान का कहना है कि नवाज मियां हिंदुस्तान और नरेंद्र मोदी के चहेते हैं. वे सेना के खिलाफ हैं इसलिए हिंदुस्तान से मिलकर ऐसे बयान देते हैं. इमरान अपने खिलाफ चल रहे आंदोलन को डाकुओं का आंदोलन बताते हैं.

नवाज शरीफ पलटवार करते हुए इसका करारा उत्तर देते हैं. नवाज ने इमरान खान के नाम में नियाजी जोड़कर कहा कि ढाका में हथियार तो नियाजी ने डाले थे, लेकिन गद्दार नेताओं को कहा जाता है. पाकिस्तान के लिए गद्दार तो नियाजी हैं. आज के पाकिस्तान में देशभक्त वे लोग कहलाते हैं, जो संविधान तोड़ते हैं और देश तोड़ते हैं. जाहिर है नवाज शरीफ का हमला इमरान और सेना - दोनों पर है. संदर्भ के तौर पर यहां बता दूं कि इमरान खान की जाति नियाजी है.

जब 16 दिसंबर 1971 को लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपनी सेना के साथ भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोरा के सामने हथियार डाले थे तो पाकिस्तान के लाखों लोगों ने शर्म के मारे तथा नियाजी को गद्दार मानते हुए अपने नामों के आगे से उपनाम की तरह लगा नियाजी हटा दिया था. खुद इमरान खान भी नियाजी नहीं लिखते. जब उन्हें कोई इमरान खान नियाजी बोलता है तो वे आगबबूला हो जाते हैं. आंदोलन में नवाज शरीफ और  विपक्ष इमरान खान को नियाजी बताकर ही हमला बोल रहे हैं.

नवाज शरीफ के इस आक्र मण से इमरान तिलमिला उठे. उन्होंने कहा कि मियां नवाज के  फौज के खिलाफ बयान पर हिंदुस्तान में खुशियां मनाई जा रही हैं. इमरान खान नियाजी के इस बयान का उत्तर विपक्षी गठबंधन के मुखिया मौलाना फजलुर्रहमान ने दिया. उन्होंने कहा कि भारत में उस वक्त खुशियां मनाई गई थीं, जब एक नकली प्रधानमंत्नी मुल्क पर थोपा गया था. असल में इस आंदोलन में भारत कहीं न कहीं पाकिस्तानियों के अवचेतन में उपस्थित है. यह राहत की बात है. जब तक भारत वहां की अवाम के दिलों में धड़कता रहेगा, मुल्क में जम्हूरियत की संभावनाएं बनी रहेंगी.

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