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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: भारतवंशियों और प्रवासियों से सहयोग की नई उम्मीदें

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: November 3, 2022 13:32 IST

अभी तक आईपीए जिस तरह भारत को सहयोग के लिए सालाना करीब एक अरब डॉलर जुटाता है, उसे अगले साल बढ़ाकर 3 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है।

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ठळक मुद्देआईपीए ने 2 मार्च 2023 को इंडिया गिविंग डे मनाने का निश्चय किया है।आईपीए ने कहा कि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल का संतोषजनक सफर तय किया है। 

इस समय जहां एक ओर 25 अक्टूबर को भारतवंशीऋषि सुनक के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और ब्रिटेन के कारोबारी संबंध प्रगाढ़ होने और दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते के शीघ्र आकार लेने की उम्मीदें सामने दिखाई दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया में ऊंचाइयों पर पहुंचे भारतवंशियों और प्रवासियों से भी सहयोग और सहभागिता की नई संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं।

विगत 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर वॉशिंगटन में अमेरिका के भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों से सम्बद्ध अन्य सभी देशों के प्रवासियों की गैर-लाभकारी संस्थाओं के एक संयुक्त संगठन इंडिया फिलांथ्रोपी अलायन्स (आईपीए) के तत्वावधान में भारत के विकास और मानव विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिक आर्थिक मदद दिए जाने का निर्णय विभिन्न देशों के प्रवासी भारतीयों के लिए भी प्रेरणादायी बन गया है। 

आईपीए ने 2 मार्च 2023 को इंडिया गिविंग डे मनाने का निश्चय किया है। अभी तक आईपीए जिस तरह भारत को सहयोग के लिए सालाना करीब एक अरब डॉलर जुटाता है, उसे अगले साल बढ़ाकर 3 अरब डॉलर जुटाने का लक्ष्य तय किया गया है। आईपीए ने कहा कि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल का संतोषजनक सफर तय किया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भारत के बढ़ाए गए गौरव और प्रवासी भारतीयों के लिए किए गए विशेष प्रयासों से भारतवंशियों तथा प्रवासियों का भारत के लिए सहयोग और स्नेह लगातार बढ़ा है। ऐसे में अब भारत के तेज विकास और अपने भारतीय समुदाय के करोड़ों जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आईपीए खुले हाथों मदद के लिए आगे बढ़ा है।

जिस तरह ब्रिटेन के भारतवंशी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तथा दुनिया में ऊंचाइयों पर दिखाई दे रहे भारतवंशी राजनेताओं और प्रवासी भारतीय उद्यमियों ने भारत के साथ सहयोग के सूत्र आगे बढ़ाए हैं, उससे भी प्रवासी भारतीयों के द्वारा स्वदेश की ओर धन प्रेषण और स्वदेश के साथ स्नेह व मैत्री में लगातार वृद्धि हुई है। ऐसे प्रभावी राजनेताओं में अमेरिका की पहली महिला और पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, मॉरीशस में प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ, पुर्तगाल में प्रधानमंत्री एंटोनिया कोस्टा आदि दुनियाभर में चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं।

हम उम्मीद करें कि अमेरिका के आईपीए संगठन के माध्यम से प्रवासी भारतीयों और भारतीय मूल के लोगों के द्वारा भारत के विकास और भारत के करोड़ों जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए जिस तरह सहयोग के हाथ आगे बढ़ाए गए हैं, वैसे ही सहयोग के हाथ अन्य देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के द्वारा भी बढ़ाए जाएंगे।

टॅग्स :ऋषि सुनकब्रिटेनभारत
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