म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का चीन फैक्टर, शोभना जैन का ब्लॉग

By शोभना जैन | Published: February 6, 2021 10:51 AM2021-02-06T10:51:23+5:302021-02-06T10:53:18+5:30

म्यांमार में सैन्य तख्तापलटः सेना ने लोकतंत्न समर्थक निर्वाचित नेता आंग सान सू की सहित निर्वाचित सरकार के अनेक शीर्ष नेताओं को जेल में बंद कर देश में एक वर्ष के लिए आपातकाल का ऐलान कर दिया.

Myanmar military coup protest China Factor india United States america Shobhana Jain's blog | म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का चीन फैक्टर, शोभना जैन का ब्लॉग

म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया में भारत ने हमेशा अपना समर्थन दिया है. (file photo)

Highlightsअमेरिका सहित दुनिया के अनेक देशों ने जहां तीखे शब्दों में सैन्य तख्तापलट पर काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.भारत ने अपने पड़ोसी मित्र देश में घटे इस घटनाक्रम पर बेहद सधे शब्दों में बयान जारी किया जिसमें सेना की सीधे तौर पर निंदा नहीं की गई है. भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वो  स्थिति पर नजर रख रहा है.

म्यांमार में आखिर डावांडोल होते लोकतंत्न का वही हश्र हुआ जिसका पिछले कुछ समय से अंदेशा लग रहा था.

इसी सप्ताह गत एक फरवरी को म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद वहां की सेना ने लोकतंत्न समर्थक निर्वाचित नेता आंग सान सू की सहित निर्वाचित सरकार के अनेक शीर्ष नेताओं को जेल में बंद कर देश में एक वर्ष के लिए आपातकाल का ऐलान कर दिया.

अमेरिका सहित दुनिया के अनेक देशों ने जहां तीखे शब्दों में सैन्य तख्तापलट पर काफी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, वहीं भारत ने अपने पड़ोसी मित्न देश में घटे इस घटनाक्रम पर बेहद सधे शब्दों में बयान जारी किया जिसमें सेना की सीधे तौर पर निंदा नहीं की गई है. भारत के विदेश मंत्नालय ने म्यांमार की स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वो  स्थिति पर नजर रख रहा है.

म्यांमार का घटनाक्रम चिंताजनक

विदेश मंत्नालय ने अपने बयान में कहा है कि ‘म्यांमार का घटनाक्रम चिंताजनक है. म्यांमार में लोकतांत्रिक परिवर्तन की प्रक्रिया में भारत ने हमेशा अपना समर्थन दिया है. हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए.’

यहां पिछले कुछ समय से म्यांमार से तेजी से नजदीकियां बढ़ा रहे चीन की इस घटनाक्र म पर दबी ढकी या यूं कहें कुछ दिखावटी सी प्रतिक्रिया पर ध्यान देना होगा. चीन के विदेश मंत्नालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा, ‘म्यांमार में जो कुछ हुआ है, हमने उसका संज्ञान लिया है और हम हालात के बारे में सूचना जुटा रहे हैं.’ चीन की प्रतिक्रिया अनेक सवाल खड़े करती है. म्यांमार, भारत और चीन के इस त्रिकोण में चीन की पोजीशन आखिर क्या है. इस घटनाक्र म में चीन फैक्टर क्या है?

अलगाववादी समूहों को खुली छूट न दी जाए

दरअसल म्यांमार में लोकतंत्न के समर्थन के साथ ही भारत यह भी सुनिश्चित करना चाहता है कि द्विपक्षीय संबंधों की नीति ऐसी हो जो हमारे अपने राष्ट्रीय हित में हो, जो कि हमारे लिए जरूरी है. भारत के अंतर्राष्ट्रीय हित इसमें हैं कि अलगाववादी समूहों को खुली छूट न दी जाए, क्योंकि इसका भारत की सीमा पर असर पड़ेगा. दरअसल रणनीतिक चिंताओं के साथ-साथ  भारत म्यांमार के साथ मिलकर विकास के कार्यो से जुड़ी कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है.

इनमें इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड ट्राइलेटरल हाइवे और कालाधन मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट नेटवर्क के साथ-साथ सिट्वे डीप वॉटर पोर्ट पर विशेष आर्थिक क्षेत्न बनाने की कार्ययोजना शामिल है. भारत की नीति  रही है कि कोई भी सरकार हो, वह उनके अंदरूनी मामलों में दखल नहीं देती है, अलबत्ता लोकतंत्न का सदैव ही उसने समर्थन किया है और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन पर चिंता जताई है.

म्यांमार की सीमा चीन से भी सटी है

भारत, म्यांमार और चीन के त्रिकोण को समझों तो म्यांमार भारत का पड़ोसी मित्न देश है. वहां की राजनीतिक स्थिरता का असर दोनों देशों के संबंधों और सीमावर्ती क्षेत्नों की शांति पर पड़ सकता है. यही नहीं, म्यांमार की सीमा चीन से भी सटी है. इसलिए भी भारत के लिए म्यांमार की सरकार ज्यादा अहम हो जाती है. पहले से ही उत्तर-पूर्व में म्यांमार से होकर उग्रवादी संगठन भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देते हैं जिनका संबंध चीन से होने की आशंका जाहिर की जाती रही है.

यह भी कहा जाता है कि चीन और म्यांमार की सेनाओं के बीच संबंध अच्छे हैं. ऐसे में  सेना के हाथ में देश की बागडोर होना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. खासकर तब जबकि लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण हालात हैं, सेनाएं आमने-सामने डटी हैं. बेहद अहम बात यह कि चीन, म्यांमार का महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार है और उसने यहां खनन, आधारभूत संरचना और गैस पाइपलाइन परियोजनाओं में अरबों डॉलर का निवेश किया है.

चीन ने म्यांमार में काफी निवेश किया है

चीन ने म्यांमार में काफी निवेश किया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग  पहले प्रमुख चीनी नेता थे, जिन्होंने 2020 में म्यांमार का दौरा किया था. म्यांमार की चीन के साथ नजदीकियां अब काफी बढ़ी हैं. दरअसल, पिछले महीने ही चीन के राजनयिक वांग यी ने म्यांमार सेना के कमांडर इन चीफ मिन आंग लाइंग से मुलाकात की थी और अब तख्तापलट पर उसकी प्रतिक्रि या भी बेहद दिखावटी रही है.

पिछले साल राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब यहां दौरे पर आए थे तो 33 ज्ञापनों पर दस्तखत किए गए थे जिनमें से 13 इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े थे. चीन ने देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाई है और पिछली सैन्य तानाशाह सरकार में भी साथ रहा. अहम बात यह है कि आंग सान सू की के आने के बाद उनके साथ भी चीन के संबंध अच्छे रहे. लेकिन जिस तरह से गत एक फरवरी को सू की, देश के राष्ट्रपति और अन्य पार्टियों के नेताओं को  गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, उस सबसे एक बार फिर समय चक्र  तीस वर्ष पहले जा पहुंचा.

निश्चित तौर पर अब स्थितियां बदल चुकी हैं

निश्चित तौर पर अब स्थितियां बदल चुकी हैं, विश्व राजनीति के समीकरण बदले हैं, भारत के आसपास की स्थितियां बदली हैं. तीस वर्ष पूर्व भारत ने 1989-90 में सू की की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए लोकतंत्न की बहाली की मांग के साथ सैन्य तंत्न को आड़े हाथों लिया था.

नई परिस्थितयों में चीन की घेरेबंदी की साजिशों के चलते अब भारत के लिए म्यांमार के साथ सामरिक रिश्ते की खासी अहमियत है और विकास के रिश्तों की अपनी अहमियत है ही. इसीलिए उसने वहां लोकतंत्न के हनन पर तो गहरी चिंता जताई है, लेकिन साथ ही बेहद सधी प्रतिक्रिया में कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. द्विपक्षीय संबंधों  में संतुलन बनाने के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है.

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