Israel Iran: इजराइल-ईरान जंग और पाकिस्तानी बम!, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने पल्ला झाड़ा

By विकास मिश्रा | Updated: June 17, 2025 06:37 IST2025-06-17T06:36:16+5:302025-06-17T06:37:53+5:30

Israel Iran Live: पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि पाकिस्तान ने ऐसा कोई वचन नहीं दिया है.

Live Israel-Iran war and Pakistani bomb Pakistani Defense Minister Khawaja Muhammad Asif shrugged off saying blog Vikas Mishra | Israel Iran: इजराइल-ईरान जंग और पाकिस्तानी बम!, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने पल्ला झाड़ा

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Highlightsविशेषज्ञ इस बात की जांच-पड़ताल में जुट गए थे कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है.भारत को ध्यान में रखते हुए अपनी परमाणु क्षमता विकसित की है.पाकिस्तान से इजराइल की हवाई दूरी 3300 किलोमीटर से ज्यादा है.

Israel Iran Live: इजराइली मिसाइलों के जवाब में स्वाभाविक रूप से ईरान ने भी इजराइल पर मिसाइलें बरसाई हैं. यह जंग निश्चय ही खौफनाक दिशा में जा रही है. इन मिसाइल हमलों के  बीच ईरानी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के जनरल और ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य मोहसेन रेजाई की चेतावनी ने हंगामा बरपा दिया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भरोसा दिया है कि ईरान पर यदि इजराइल ने परमाणु हमला किया तो इजराइल पर पाकिस्तान परमाणु बम गिरा देगा! हालांकि कुछ ही देर बाद पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि पाकिस्तान ने ऐसा कोई वचन नहीं दिया है. वैसे मोहसेन रेजाई के दावे के तत्काल बाद विशेषज्ञ इस बात की जांच-पड़ताल में जुट गए थे कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है.

पहली बात तो यह कि अमेरिका के खिलाफ जाकर इजराइल पर परमाणु बम गिराने के बारे में क्या पाकिस्तान सोच भी सकता है? और यदि वह सोचे भी तो क्या ऐसा करने की क्षमता उसके पास है. निश्चित रूप से पाकिस्तान के पास परमाणु बम है. विशेषज्ञ यह मानते हैं कि पाकिस्तान ने भारत को ध्यान में रखते हुए अपनी परमाणु क्षमता विकसित की है.

इस वक्त उसके पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं. उन्हें ढोकर ठिकाने पर पहुंचाने वाली मिसाइलों में सबसे ताकतवर शाहीन-3 को माना जाता है जिसकी रेंज करीब 2750 किलोमीटर है जबकि पाकिस्तान से इजराइल की हवाई दूरी 3300 किलोमीटर से ज्यादा है. इजराइल पर यदि पाकिस्तान वाकई हमला करना चाहे तो उसे ईरान की धरती तक अपने परमाणु हथियार को लेकर जाना होगा.

यह बहुत मुश्किल काम होगा, तब तक तो पाकिस्तान को इजराइल ठिकाने लगा देगा क्योंकि इजराइल के पास अमेरिका की शक्ति है. छोटा सा देश इजराइल यदि एक तरफ हमास से लड़ रहा है और दूसरीओर ईरान पर भी हमले कर रहा है और हमलों से निपट भी रहा है तो इसके पीछे निश्चित रूप से अमेरिका की शक्ति है. ईरान ने जो मिसाइल हमले किए, उनमें से बहुतों को अमेरिका ने ही मार गिराया!

इसलिए यदि पाकिस्तान परमाणु बम इजराइल पर गिराने की सोचता भी है तो अमेरिका उसे खुद पर हमला मानेगा! ईरान पर ये जो हमले हो रहे हैं, उसका मकसद एक है कि किसी भी तरह ईरान को परमाणु क्षमता प्राप्त नहीं करने दिया जाए. कहा जा रहा है कि ईरान के पास 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम है.

वह परमाणु बम बनाने के काफी करीब पहुंच गया था और अगले एक-आध साल में शायद वह परमाणु बम बना भी लेता लेकिन इजराइली हमले ने उसकी कमर तोड़ दी है. कई न्यूक्लियर प्रतिष्ठान नष्ट हो चुके हैं. उसके कई परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हो गई है. इसके पहले भी इजराइल कई ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या कर चुका है.

इजराइल तो एक मोहरा है, हमले के पीछे असली ताकत तो अमेरिका है और उसकी खिलाफत की हिम्मत पाकिस्तान कर ही नहीं सकता! एक और महत्वपूर्ण बात है कि क्या वास्तव में पाकिस्तान ने ईरान को इजराइल पर परमाणु हमले का वचन दिया होगा? हो सकता है कि कंगाली की हालत से जूझ रहे पाकिस्तान को ईरान ने ही प्रस्ताव दिया हो कि कुछ परमाणु बम हमें बेच दो!

...और पाकिस्तान ने यूं ही चलताऊ ढंग से कह दिया हो कि जरूरत पड़ी तो हम इजराइल पर बम गिरा देंगे और ईरान ने उसे जगजाहिर कर दिया ताकि इजराइल डर जाए! वैसे पाकिस्तान और ईरान के संबंधों को देखें तो दोनों देशों के बीच संबंध इतने मधुर कभी नहीं रहे कि वे एक-दूसरे के लिए खड़े हो जाएं! ईरान शिया मुल्क है और पाकिस्तान में ज्यादातर सुन्नी हैं.

दोनों के बीच एक तरह का खिंचाव हमेशा बना रहता है. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि हमास और हिजबुल्लाह सुन्नियों से भरा संगठन है लेकिन ईरान अपने हक की खातिर हमास को भरपूर पैसा देता है, भरपूर हथियार देता है. इजराइल और ईरान के बीच इस वक्त जंग का यही सबसे बड़ा कारण भी है. मध्यपूर्व के कुछ देशों को छोड़ दें तो ज्यादातर देश इजराइल के दोस्त अमेरिका के आगे घुटने टेक चुके हैं.

इराक ने सद्दाम हुसैन के जमाने में अमेरिका को आंख दिखाने की कोशिश की थी लेकिन सद्दाम का हश्र सभी को मालूम है. अब केवल ईरान है जो अमेरिका को चुनौती दे रहा है. उसकी चाहत रही है कि वह एक बार परमाणु बम बना ले तो उत्तर कोरिया की तरह वह भी अमेरिका को आंखें दिखा सके. मगर अमेरिका चौकन्ना है.

उसके कहने पर 1981 में इजराइल ने इराक के परमाणु रिएक्टर और 2007 में सीरिया के परमाणु रिएक्टर को नेस्तनाबूद कर दिया था. ईरान में भी उसने ऐसा ही किया है. वैसे आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 1979 तक इजराइल और ईरान अच्छे दोस्त हुआ करते थे. वह शाह रजा पहलवी के शासन के दौर की बात है. उसके बाद ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई.

अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने कट्टरपंथी शिया इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की और इसी के साथ इजराइल को शैतान घोषित कर दिया. उसके दुश्मनों की सहायता करने लगा. फिर इजराइल ने भी ईरान को बर्बाद करने कसम खा ली. ताजा जंग उसी लंबी दुश्मनी का विस्तार है.

लेकिन इस बार समस्या यह है कि चीन और रूस जैसे देश ईरान की सहायता में खड़े हैं. यदि जंग लंबी खिंचती है या भयावह रूप लेती है तो दुनिया इससे अछूती नहीं रहेगी लेकिन एक बात तय है कि अमेरिका किसी भी सूरत में ईरान को परमाणु बम नहीं बनाने देगा!

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